जानिए क्यों 40 रुपये किलो में भी इस मुर्गी के नहीं मिल रहे खरीदार...!

बॉयलर चिकन के रेट्स बढ़ रहे
सर्दियों के समय में चिकन तंदूरी (Chicken Tandoori), चिकन फ्राई और चिकन टिक्का (Chicken Tikka) की डिमांड काफी बढ़ जाती है, लेकिन इसके बाद भी इस खास मुर्गी के ग्राहकों की बाजार में काफी कमी देखने को मिल रही है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 28, 2020, 9:34 AM IST
नई दिल्ली: सर्दियों के समय में चिकन तंदूरी (Chicken Tandoori), चिकन फ्राई और चिकन टिक्का (Chicken Tikka) की डिमांड काफी बढ़ जाती है, लेकिन इसके बाद भी इस खास मुर्गी के ग्राहकों की बाजार में काफी कमी देखने को मिल रही है. वहीं, 80 से 105 रुपये किलो कीमत की ब्रायलर चिकन धड़ल्ले से मार्केट में बिक रहे हैं. आज भी देश की सबसे बड़ी मुर्गा मंडी गाजीपुर (Ghazipur) वजन के हिसाब से ब्रायलर चिकन 85 से 105 रुपये किलो तक बिक रहा है. वहीं, कुछ दिन पहले तक 40 के भाव में बिकने वाली मुर्गी 80 रुपये किलो तक पहुंच गई थी.
आखिर क्यों आ रही इस डिमांड में कमी
चिकन मार्केट एक्सपर्ट और यूपी पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली के मुताबिक, “अंडा न देनी वाली मुर्गी या फिर काम मात्रा में अंडा देने वाली मुर्गी की बिक्री 30 से लेकर 40 रुपये किलो तक में होती है. वहीं, कोरोना के चलते अंडा देने वाली मुर्गी कम हो गई थी. अब अगर कोई मुर्गी महीने में 15-16 दिन भी अंडा दे रही है तो पोल्ट्री फार्म वाले उनका पालन कर रहे हैं.
इसीलिए एक महीने पहले यह मुर्गी 80 रुपये किलो के भाव पहुंच गई थी. बता दें यह मुर्गी शादी-ब्याह और होटल में चिकन कोरमा बनाने में ज़्यादा इस्तेमाल होती है. इसका मीट थोड़ा सा टाइट होता है तो चिकन तंदूरी, फ्राई और टिक्का में इसका इस्तेमाल नहीं होता है जबकि कोरमे में यह आराम से खा ली जाती है.”UP में कोहरा और धुंध सड़क हादसों की दूसरी सबसे बड़ी वजह, एक्सप्रेस-वे नहीं हाइवे पर होते हैं ज़्यादा एक्सीडेंट
मुर्गी के रेट आ गया ब्रायलर चिकन
रेस्टोरेंट के संचालक हाजी अखलाक का कहना है कि तंदूरी-टिक्का और फ्राई चिकन के लिए ब्रायलर ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि अंडा देने वाली मुर्गी के मुकाबले ब्रायलर का मीट मुलायम होता है, लेकिन कोरोना के चलते ब्रायलर का माल कम आ रहा था तो अक्टूबर-नवंबर में 120 रुपये किलो तक ब्रायलर बिका था, लेकिन सस्ती होने के चलते कोरेमे में अंडे वाली मुर्गी खपाई जा रही थी.

आपको बता दें अब खुद ब्रायलर चिकन ही 75 से 80 के रेट में आ गया है तो इसलिए मुर्गी के रेट्स में कमी देखने को मिल रही है. वहीं, नवाब अली का भी कहना है कि गाज़ीपुर मंडी हमेशा 10 से 20 रुपये किलो तक ऊपर रहती है जबकि इस वक्त ब्रायलर 70 से 80 रुपये किलो आराम से मिल जाएगा.
आखिर क्यों आ रही इस डिमांड में कमी
चिकन मार्केट एक्सपर्ट और यूपी पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली के मुताबिक, “अंडा न देनी वाली मुर्गी या फिर काम मात्रा में अंडा देने वाली मुर्गी की बिक्री 30 से लेकर 40 रुपये किलो तक में होती है. वहीं, कोरोना के चलते अंडा देने वाली मुर्गी कम हो गई थी. अब अगर कोई मुर्गी महीने में 15-16 दिन भी अंडा दे रही है तो पोल्ट्री फार्म वाले उनका पालन कर रहे हैं.
इसीलिए एक महीने पहले यह मुर्गी 80 रुपये किलो के भाव पहुंच गई थी. बता दें यह मुर्गी शादी-ब्याह और होटल में चिकन कोरमा बनाने में ज़्यादा इस्तेमाल होती है. इसका मीट थोड़ा सा टाइट होता है तो चिकन तंदूरी, फ्राई और टिक्का में इसका इस्तेमाल नहीं होता है जबकि कोरमे में यह आराम से खा ली जाती है.”UP में कोहरा और धुंध सड़क हादसों की दूसरी सबसे बड़ी वजह, एक्सप्रेस-वे नहीं हाइवे पर होते हैं ज़्यादा एक्सीडेंट
मुर्गी के रेट आ गया ब्रायलर चिकन
रेस्टोरेंट के संचालक हाजी अखलाक का कहना है कि तंदूरी-टिक्का और फ्राई चिकन के लिए ब्रायलर ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि अंडा देने वाली मुर्गी के मुकाबले ब्रायलर का मीट मुलायम होता है, लेकिन कोरोना के चलते ब्रायलर का माल कम आ रहा था तो अक्टूबर-नवंबर में 120 रुपये किलो तक ब्रायलर बिका था, लेकिन सस्ती होने के चलते कोरेमे में अंडे वाली मुर्गी खपाई जा रही थी.
आपको बता दें अब खुद ब्रायलर चिकन ही 75 से 80 के रेट में आ गया है तो इसलिए मुर्गी के रेट्स में कमी देखने को मिल रही है. वहीं, नवाब अली का भी कहना है कि गाज़ीपुर मंडी हमेशा 10 से 20 रुपये किलो तक ऊपर रहती है जबकि इस वक्त ब्रायलर 70 से 80 रुपये किलो आराम से मिल जाएगा.