बजट 2021 में फूड सब्सिडी के आवंटन में 4 से 6 फीसद का हो सकता है इजाफा

वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले नौ महीनों में एफसीआई को 460 बिलियन रुपये का कर्ज लेना पड़ा.
Budget 2021: केंद्र सरकार एफसीआई (FCI) को किसानों से खरीदे गए अनाज की क्रय कीमत और बाद में बाजार में बेची गई कीमत के अंतर का भुगतान करती है. इसके लिए केंद्र सरकार सालाना बजट में फूड सब्सिडी (Food subsidy) के तौर पर फंड का आवंटन करती है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 1, 2021, 11:09 AM IST
नई दिल्ली. केंद्र सरकार बजट 2021 में 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सालाना फूड सब्सिडी (Food subsidy) के लिए आवंटन को 4 से 6 फीसद तक बढ़ा सकती है, ताकि दुनिया के सबसे बड़े फूड वेलफेयर प्रोग्राम (Food Welfare Programme) की लागत की भरपाई हो सके. वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए भारत का फूड सब्सिडी के लिए निर्धारित राशि का कुल आवंटन 2.1 लाख करोड़ को पार कर जाने की उम्मीद है. हालांकि पिछले साल आवंटित किए गए 1.16 लाख करोड़ की राशि में 4 से 6 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है. इकोनॉमिक टाइम्स ने बजट पर हुई चर्चा से जुड़े सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है. सूत्रों ने कहा कि वित्तीय बाध्यताओं की वजह से फूड सब्सिडी के लिए आवंटन को 1.22 लाख करोड़ से 1.24 लाख करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) सोमवार को सुबह 11 बजे से बजट भाषण पढ़ना शुरू करेंगी और फिर आगे बजट में तमाम योजनाओं के लिए आवंटन की घोषणा करेंगी.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर आवंटित राशि फूड वेलफेयर प्रोग्राम को चलाने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. ऐसे में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) को 800 बिलियन रुपये का कर्ज लेना पड़ सकता है. एफसीआई किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू और चावल खरीदती है और भारत की 1.38 अरब आबादी के 67 फीसद हिस्से के लिए बाजार दर के मुकाबले थोड़े कम कीमत पर दोबारा बेचती है. केंद्र सरकार एफसीआई को किसानों से खरीदे गए अनाज की क्रय कीमत और बाद में बाजार में बेची गई कीमत के अंतर का भुगतान करती है. इसके लिए केंद्र सरकार सालाना बजट में फूड सब्सिडी के तौर पर फंड का आवंटन करती है.
Union Budget 2021 Live Updates: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट
पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकारों ने एफसीआई को पूरा भुगतान नहीं किया है और इस वजह से एफसीआई को मजबूरन कर्ज लेना पड़ा है. परिणामस्वरूप एफसीआई के ऊपर 3.81 ट्रिलियन रुपये का कर्ज हो गया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले नौ महीनों में एफसीआई को 460 बिलियन रुपये का कर्ज लेना पड़ा.
पिछले दशक में, एफसीआई के खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि सामान्य चावल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 73 फीसद और गेहूं की कीमत में 64 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है, जबकि एफसीआई द्वारा बाजार में अनाज बेचने की दर में बदलाव नहीं हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर आवंटित राशि फूड वेलफेयर प्रोग्राम को चलाने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. ऐसे में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) को 800 बिलियन रुपये का कर्ज लेना पड़ सकता है. एफसीआई किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू और चावल खरीदती है और भारत की 1.38 अरब आबादी के 67 फीसद हिस्से के लिए बाजार दर के मुकाबले थोड़े कम कीमत पर दोबारा बेचती है. केंद्र सरकार एफसीआई को किसानों से खरीदे गए अनाज की क्रय कीमत और बाद में बाजार में बेची गई कीमत के अंतर का भुगतान करती है. इसके लिए केंद्र सरकार सालाना बजट में फूड सब्सिडी के तौर पर फंड का आवंटन करती है.
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पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकारों ने एफसीआई को पूरा भुगतान नहीं किया है और इस वजह से एफसीआई को मजबूरन कर्ज लेना पड़ा है. परिणामस्वरूप एफसीआई के ऊपर 3.81 ट्रिलियन रुपये का कर्ज हो गया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के पहले नौ महीनों में एफसीआई को 460 बिलियन रुपये का कर्ज लेना पड़ा.
पिछले दशक में, एफसीआई के खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि सामान्य चावल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 73 फीसद और गेहूं की कीमत में 64 फीसद का इजाफा दर्ज किया गया है, जबकि एफसीआई द्वारा बाजार में अनाज बेचने की दर में बदलाव नहीं हुआ है.