नई दिल्ली. महामारी (Pandemic) की वजह से नौकरीपेशा (Salaried) लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो कई नौकरीपेशा को सैलरी कट (Salary Cut) जैसे मुसीबतों का सामना करना पड़ा. मौजूदा माहौल में वर्क फ्रॉम होम (Work from home) की वजह से उनका कई तरह का खर्च बढ़ गया है. इंटरनेट, टेलीफोन, फर्नीचर और बिजली बिल भी बढ़ गया है. ऐसे में नौकरीपेशा और पेंशनर्स (Pensioners) को 1 फरवरी 2022 को पेश होने वाले बजट 2022 (Budget 2022) से काफी उम्मीदें हैं.
नौकरीपेश और पेंशनर्स की मुश्किलों को देखते हुए सरकार आगामी बजट में टैक्स छूट (Tax deduction) की लिमिट (Limit) बढ़ाने पर विचार कर सकती है. हालांकि, राजकोषीय स्थिति (Fiscal conditions) को देखते हुए टैक्स स्लैब (Tax Slab) में किसी प्रकार के बदलाव की उम्मीद नहीं है. जानकारों का कहना है कि टैक्स छूट लिमिट बढ़ाने से नौकरीपेशा की टेक होम सैलरी (Take home salary) में इजाफा हो सकता है.
35 फीसदी तक मिल सकती है छूट
सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकार बजट 2022 में नौकरीपेशा और पेंशनर्स के लिए मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) की लिमिट को 30-35 फीसदी तक बढ़ा सकती है. ऐसे करदाताओं (Taxpayer) के लिए वर्तमान में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50,000 रुपये है. इससे पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 40,000 रुपये थी, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री (Finance minister) अरुण जेटली वर्ष 2018 में लेकर आए थे. 2019 में पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट (Interim budget) पेश करते हुए इसकी लिमिट बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी थी.
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पर्सनल टैक्सेशन को लेकर कई सुझाव
वित्त मंत्रालय (Finance ministry) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आगामी बजट के लिए सरकार को पर्सनल टैक्सेशन (Personal taxation) पर कई सुझाव मिले हैं. इनमें कॉमन है स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ाना. कोविड-19 महामारी के दौर में बढ़े हुए मेडिकल खर्च को देखते इसकी मांग की जा रही है. इसके अलावा, वर्क फ्रॉम होम की वजह से नौकरीपेशा के इलेक्ट्रिसिटी, इंटरनेट और अन्य खर्चे बढ़ गए हैं. ऐसे में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाने से नौकरीपेश को कुछ राहत मिल सकती है. हालांकि, नया टैक्स स्लैब अपनाने वाले करदाताओं को इसका लाभ नहीं मिलेगा.
लिमिट बढ़ाने की दो प्रमुख वजह
अकाउंटिंग फर्म डेलॉयट (Deloitte) के पार्टनर सुधाकर सेथुरमन (Sudhakar Sethuraman) का कहना है कि सरकार को हर साल स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट पर विचार करना चाहिए. मेरे पास कोई तैयार आंकड़ा नहीं है. पर मुझे लगता है कि दो वजहों से स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को कम-से-कम 20-25 फीसदी बढ़ाया जाना चाहिए। पहला, लगातार बढ़ रही महंगाई. दूसरा, वर्क फ्रॉम होम के कारण बढ़ा खर्च. उन्होंने कहा कि कई देशों ने वर्क फ्रॉम होम के कारण नौकरीपेशा का खर्च बढ़ने की वजह से इस तरह की छूट देनी शुरू कर दी है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन को महंगाई से जोड़े सरकार
प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर अशोक शाह ने कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए आगामी बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट पर ज्यादा राहत का अनुमान नहीं है. फिर भी इसे बढ़ाकर कम-से-कम 75,000 रुपये किया जाना चाहिए. साथ ही इसे संशोधित करने और महंगाई (Inflation) से जोड़ने की आवश्यकता है. कई देश पहले से ऐसा कर रहे हैं.
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