नई दिल्ली. कोरोना महामारी की चुनौतियों की के बीच इस बार बजट से हर सेक्टर की उम्मीदें बढ़ गई हैं. वहीं, दूसरी तरफ वित्त मंत्री की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं. दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को लेकर उठते सवालों के बीच ऊर्जा सेक्टर इक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. इस बार के बजट में इस सेक्टर को भी लेकर काफी उम्मीदे की जा रही हैं.
जानकारों का मानना है गामी बजट में सौर ऊर्जा सेक्टर को लेकर भी बड़ी घोषणा हो सकती है. यह नेट जीरो-2070 लक्ष्यों के हिसाब से होने के साथ ही दो वर्ष पहले केंद्र सरकार ने सौर ऊर्जा सेक्टर में देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो अभियान शुरू किया था उसको आगे बढ़ाने वाला भी होगा. उस समय चीन के साथ बढ़ते तनाव के बाद सौर ऊर्जा परियोजनाओं में इस्तेमाल होने वाले सारे उपकरणों का भारत में निर्माण करने के लिए आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम के तहत कई तरह के प्रोत्साहन देने की घोषणा की गई थी.
इस सेक्टर के लिए प्रोत्साहन योजना
वर्ष 2021-22 से अगले पांच वर्षों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की मदद से कार्यक्रम शुरू करने का एलान किया गया है. इस प्रोत्साहन को देखते हुए कुछ कंपनियां भारत में सोलर पैनल आदि का निर्माण शुरू कर चुकी हैं लेकिन अब भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े लक्ष्य तय कर दिए हैं.
यह भी पढ़ें- महंगी होगी रेल यात्रा, टिकट में जुड़ेगा ये स्पेशल चार्ज, जानिए कितना होगा इजाफा
प्लांट से लेकर ट्रांसमिशन तक के क्षेत्र में निवेश की जरूरत
पीएम ने वर्ष 2030 तक देश में सौर ऊर्जा प्लांट की क्षमता पांच लाख मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है. इस हिसाब से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ज्यादा बड़े पैमाने पर सोलर सेक्टर के लिए उपकरण बनाने की जरूरत होगी. एक अनुमान के मुताबिक रीन्यूबल सेक्टर में आवश्यक क्षमता हासिल करने के लिए भारत में वर्ष 2030 तक 500 अरब डालर निवेश की जरूरत होगी. प्लांट से लेकर ट्रांसमिशन तक के क्षेत्र में यह निवेश चाहिए.
भावी घोषणाओं को लेकर पिछले दो महीनों से वित्त मंत्रालय, नीति आयोग, अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत मंत्रालय, बिजली मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय के बीच विमर्श चला है. ऊर्जा के क्षेत्र में एक दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा हाइड्रोजन के क्षेत्र में किए जाने की संभावना है.
हाइड्रोजन मिशन किया गया था लॉन्च
पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाइड्रोजन मिशन 2021-22 को लांच करने की घोषणा थी. हाल ही में बिजली मंत्री आरके सिंह ने भावी हाइड्रोजन नीति पर सरकार की कवायद का इजहार किया था. मंशा पैसेंजर कारों से लेकर हवाइ जहाजों व भारी- भरकम ट्रकों में भी हाइड्रोजन ईधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की योजना पर काम करने की है.
यह भी पढ़ें- रिलायंस ने न्यूयॉर्क के लग्जरी होटल मैंडारिन ओरिएंटल को 729 करोड़ रुपए में खरीदा, जानिए पूरी डील
ऊर्जा सुरक्षा के मोर्चे पर कम होंगी चुनौतियां
जानकारों का कहना है कि हाइड्रोजन मिशन को अभी से बेहद गंभीरता से लेते हुए पर्याप्त फंड व सरकार और निजी सेक्टर के बीच बड़े स्तर पर सहयोग स्थापित करने की जरूरत है. भारत की मंशा हाइड्रोजन ईधन में सिर्फ उपभोक्ता बनने की नहीं बल्कि निर्यातक बनने की है. अगर ऐसा होता है तो यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा के मोर्चे पर चुनौतियों को काफी हद तक कम कर देगा.
डिस्काम की स्थिति
ऊर्जा सेक्टर को लेकर वित्त मंत्री की घोषणाओं पर नजर देश की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) की स्थिति के लिहाज से भी रेहगी. कोरोना काल के दो वषरें में सरकार दो बार इन डिस्काम की स्थिति को सुधारने की कोशिश कर चुकी है लेकिन बहुत सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका है. पिछले साल के बजट में भी डिस्काम के लिए तीन लाख करोड़ रुपये की स्कीम की घोषणी की गई थी. इस पर असर होने में वक्त लग सकता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Budget, Nirmala sitharaman news, Solar power plant, Solar system