नई दिल्ली. रियल एस्टेट सेक्टर को कोविड-19 ने बहुत झटका दिया है, लेकिन अब फिर डिमांड बढ़ रही है. सरकार को भी इस सेक्टर का ख्याल रखते हुये टैक्स इंसेंटिव्स (Tax incentives) देने चाहिए. प्रॉपर्टी कंसल्टैंसी फर्म नाइट फ्रैंक (Knight Frank) ने यह मांग करते हुये कहा है रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) सरकारी सहायता के बिना रिकवरी कायम नहीं रख सकता.
नाईट फ्रैंक इंडिया (knight frank India) का कहना है कि सरकार को टैक्स इंसेटिव्स खरीदार और डेवलपर दोनों को देने चाहिए. कुछ राज्य सरकारों के रियल एस्टेट को दी गई छूट और लोगों के घर के प्रति लगाव की भावना से यह सेक्टर रिकवरी कर रहा है. लॉकडाउन से इस सेक्टर को बहुत नुकसान हुआ था. अब एक बार फिर कोविड-19 (covid-19) के केस बढ़ने से लग रहे प्रतिबंधों से इसकी राह मुश्किल हो रही है. इसलिए सरकार को बजट में टैक्स इंसेटिव्स देकर इसकी मदद करनी चाहिए.
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प्रॉपर्टी कंसल्टैंसी फर्म नाइट फ्रैंक ने मांग की है कि डेवलपर पर टैक्स का बोझ कम करने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit – ITC) की अनुमति सरकार को बजट में देनी चाहिये. सीमेंट पर 28 फीसदी और स्टील पर 18 फीसदी जीएसटी (GST) है. इससे इनकी कीमतें बहुत बढ़ गई हैं. डेवलपर्स आईटीसी क्लेम नहीं कर सकते हैं. इसलिये निर्माण सामग्री पर ज्यादा टैक्स होने के कारण कंस्ट्रक्शन लागत बढ़ जाती है. इससे घरों की कीमतों में इजाफा होता है. ज्यादा कीमत होने से लोग घर खरीदने से कतराते हैं और डिमांड कमजोर हो जाती है.
नाइट फ्रैंक ने सरकार से मांग की है कि अफोर्डेबिल हाउसिंग के लिए टैक्स हॉलिडे (Tax holiday) को 12 महीनों के लिए बढ़ाया जाना चाहिए. इन प्रोजेक्ट्स पर होने वाले प्रॉफिट को 100 फीसदी टैक्स छूट दी जाती है. कोविड-19 के कारण ऐसे प्रोजेक्ट्स के पंजीकरण में देरी हुई. इस कारण बहुत से डेवलेपर्स इस टैक्स रिलीफ का लाभ उठाने से वंचित है. अब इस टैक्स हॉलिडे को 12 महीनों के लिये बढ़ाना चाहिये.
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वर्तमान में पीपीएफ (PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), यूलिप (ULIP), एनएससी हाउसिंग लोन के प्रिंसिपल पेमेंट सहित विभिन्न इनवेस्टमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) लिया जा सकता है. इनवेस्टर्स को लुभाने के लिए प्रिंसिपल रिपेमेंट पर 1,50,000 रुपये के अलग सालाना डिडक्शन की पेशकश बजट में की जानी चाहिए. साथ ही हाउसिंग को ज्यादा सुविधाजनक बनाने और डिमांड बढ़ाने के लिए सेक्शन 24 के तहत हाउसिंग लोन इंटरेस्ट के लिए डिडक्शन को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए.
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Tags: Budget, Indian real estate sector