बीते साल यानी 2022 में रिकॉर्ड संख्या में प्रोपर्टी की बिक्री हुई है.
Budget 2023 Expectations: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी यानी बुधवार को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश करेंगी. इस दौरान देश भर की नजरें उनके बजट भाषण पर होगी. वह इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर गरीब कल्याण से जुड़ी तमाम योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान की घोषणा करेंगी. लेकिन, मध्य वर्ग की नजर आयकर और होम लोन ब्याज पर कर छूट को लेकर होगी. बजट और अर्थव्यवस्था के जानकार लगातार इस ओर इशारा कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि महंगाई और अर्थव्यवस्था में मांग और रोजगार पैदा करने के लिए मध्यवर्ग को राहत देने की इस वक्त बहुत जरूरत है.
वित्त मंत्री के बजट 2023 और मध्यवर्ग की उम्मीदों को लेकर हमने बेसिक होम लोन के संस्थापक अतुल मोंगा से बात की. मोंगा का कहना है कि कोरोना के बाद बीता वर्ष रियल स्टेट सेक्टर के लिए शानदार रहा. 2022 में प्रोपर्टी की सेल रिकॉर्ड स्तर पर रही. लेकिन, बीते कुछ समय में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से रेपो दरों में बढ़ोतरी करने की वजह से होम लोन महंगा हो गया है. बीते करीब दो साल के भीतर होम लोन पर ब्याज दरों में 1.5 से 2 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. इसका सीधा असर मध्यवर्ग पर पड़ा है. उनकी लोन की किश्तें बढ़ गई हैं और बचत कम हो गया है. ऐसे में इस बजट से घर खरीददार राहत की उम्मीद कर रहे हैं.
इस तरह राहत दे सकती है सरकार
मोंगा कहते हैं कि सरकार होम बायर्स को दो तरह से राहत दे सकती है. एक तो वह आयकर की धारा 80C के तहत आयकर छूट की सीमा बढ़ा सकती है या फिर हाउसिंग लोन मूल धन (प्रिंसिपल रिपेमेंट) रिपेमेंट पर भी कर छूट दे सकती है, जो मध्यवर्ग के लिए एक सेपरेट बेनिफिट हो सकता है. इसके अलावा दूसरे तरीके से वित्त मंत्री होम लोन पर ब्याज के बदले मिलने वाली कर छूट की सीमा बढ़ाकर मध्यवर्ग पर बढ़ती ईएमआई के बोझ को थोड़ा कम कर सकती हैं. इससे मध्यवर्ग की जेब में कुछ अतिरिक्त पैसे आएंगे और वे इसे खर्च करेंगे. इस तरह अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
आयकर कानून 1961 की धारा 24 के तहत घर खरीददार होम लोन पर ब्याज की राशि के बदले टैक्ट छूट का दावा कर सकते हैं. इसकी सीमा दो लाख रुपये प्रति वर्ष की रखी गई है. ऐसे में जरूरत है कि हाउसिंग सेक्टर में मांग को और बढ़ाने और मध्यवर्ग को राहत देने के लिए सरकार इस छूट की सीमा को पांच लाख रुपये वार्षिक करे.
मोंगा एक और अहम मुद्दा उठाते हैं. उनका कहना है कि अभी अफोर्डेबल हाउसिंग का जो कंसेप्ट है वह पर्याप्त नहीं है. अभी इसके लिए 45 लाख रुपये की सीमा तय की गई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि देश के अधिकतर शहरों में इस कीमत पर घर उपलब्ध नहीं हैं. इसे 75 लाख या इससे अधिक करना चाहिए. इससे अफोर्डेबल सेक्शन में हाउसिंग की डिमांग बढ़ेगी.
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