वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी.
नई दिल्ली. केंद्रीय बजट (Budget 2023) पेश होने में अब सिर्फ कुछ दिन बाकी हैं. साल 2024 में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और ये लोकसभा चुनावों से पहले का अंतिम बजट है. ऐसे में सभी सेक्टर के लोगों को बजट से तमाम आशाएं हैं. इस बजट से निवेशकों को भी काफी उम्मीदें हैं.
गौरतलब है कि अलग-अलग एसेट क्लास के लिए लॉन्ग टर्म की कैटेगरी में जाने के लिए अलग-अलग समयावधि निर्धारित है. अधिकांश निवेशकों को अपना टैक्स चुकाने के लिए असेट क्लास को लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म में क्लासिफाइड करने के लिए निर्धारित मानकों में समझने में दिक्कत होती है.
होल्डिंग पीरियड की शर्त को तर्कसंगत बनाने की जरूरत
मनीकंट्रोल के साथ बातचीत में Tax2win.in के सीईओ और को-फाउंडर अभिषेक सोनी कहते हैं कि इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल के होल्डिंग पीरियड की शर्त को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए. फिलहाल सभी कैपिटल असेट की होल्डिंग पीरियड और इन पर लागू होने वाला टैक्स अलग-अलग है. इसे सरल किए जाने की जरूरत है.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर मिलने वाली छूट में बढ़त की उम्मीद
इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स को उस स्थिति में इक्विटी और म्यूचुअल फंडों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है जब तक ये गेन किसी एक वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से ज्यादा नहीं होता है. गेन 1 लाख रुपये से ज्यादा होने पर 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है. मुंबई स्थित एसके पटोदिया एंड एसोसिएट्स के मिहिर तन्ना कहते हैं कि वर्तमान में छूट की लिमिट पर्याप्त नहीं है. कैपिटल गेन टैक्स पे पर मिलने वाली इस छूट को 2.50 लाख किया जाना चाहिए. अगर यह लिमिट बढ़ती है तो इससे शेयर बाजार में निवेशक और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.
लॉन्ग टर्म निवेश को प्रोत्साहन की जरूरत
निमित कंसल्टेंसी के नीतेश बुधदेव कहते हैं कि टैक्स राहत देकर रियल लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है. अगर लिस्टेड स्टॉक्स, अनलिस्टेड स्टॉक्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में कम से कम 10 साल के लिए निवेश किया जाता है तो कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं होना चाहिए.
क्या होता है कैपिटल गेन टैक्स
बता दें कि सरकार निवेशकों पर कई तरह के टैक्स लगाती है. इन्हीं में से एक है कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax). जब कोई निवेशक अपनी संपत्ति, घर, कार, बैंक एफडी आदि बेचता है तो इसके बिक्री से हासिल होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स लिया जाता है. साल 2018 में इसे स्टॉक मार्केट से जोड़ा गया था.
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स
उल्लेखनीय है कि शेयर बाजार के लिहाज से कैपिटल गेन्स टैक्स को 2 समय सीमा में बांधा गया है. किसी कैपिटल एसेट को एक साल के भीतर बेचने पर जो लाभ होता है, उस पर लगने वाले टैक्स को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं. वहीं, एक साल से अधिक अवधि के बाद कैपिटल एसेट बेचने पर जो लाभ होता है, उस पर लगने वाले टैक्स को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात है कि अलग-अलग एसेट क्लास के लिए लॉन्ग टर्म की कटेगरी में जाने के लिए अलग-अलग समयावधि निर्धारित है.
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