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महामारी के बाद रिकवरी मोड में बिजनेस एक्टिविटी, पहली छमाही में ऑफिस स्पेस की फ्रेश सप्लाई 96 फीसदी बढ़ी

 जनवरी से जून 2022 के बीच छह शहरों में ऑफिस स्पेस को पट्टे पर चढ़ाने की गतिविधि ढाई गुना बढ़कर 2.75 करोड़ वर्ग फुट हो गई.

जनवरी से जून 2022 के बीच छह शहरों में ऑफिस स्पेस को पट्टे पर चढ़ाने की गतिविधि ढाई गुना बढ़कर 2.75 करोड़ वर्ग फुट हो गई.

इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी कॉलियर्स ने ऑपिस स्पेस की डिमांड और सप्लाई को लेकर रिपोर्ट जारी की है. देश के छह प्रमुख शहर ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

मांग बढ़ने के कारण जनवरी से जून के बीच ऑफिस स्पेस की नई आपूर्ति लगभग दोगुनी.
मुंबई में नई आपूर्ति 8 लाख वर्गफुट से बढ़कर 11 लाख वर्ग फुट हुई.
कॉरपोरेट कंपनियां बीते दो साल से बनी अनिश्चितताओं के हालात से उबर रही हैं.

नई दिल्ली. महामारी के बाद देश में बिजनेस एक्टिविटी वापस पटरी पर लौट रही हैं. इसका अंदाजा आप बदलते आंकड़ों से लगा सकते हैं. देश के छह प्रमुख शहरों में मांग बढ़ने के कारण जनवरी से जून के बीच ऑफिस स्पेस की नई आपूर्ति लगभग दोगुनी होकर 2.37 करोड़ वर्गफुट हो गई. इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी कॉलियर्स ने यह जानकारी दी. पिछले वर्ष जनवरी से जून के बीच बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में ऑफिस स्पेस की आपूर्ति 1.21 करोड़ वर्गफुट थी.

आंकड़ों के मुताबिक चेन्नई में नई आपूर्ति जनवरी से जून 2021 में 4 लाख वर्गफुट थी जो जनवरी-जून 2022 में बढ़कर 42 लाख वर्गफुट हो गई. इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में नई आपूर्ति पिछले वर्ष के 15 लाख वर्गफुट से बढ़कर इस वर्ष 24 लाख वर्गफुट हो गई. हैदराबाद में ऑफिस स्पेस की आपूर्ति 2022 की पहली छमाही में तीन गुना से अधिक बढ़कर 64 लाख वर्गफुट हो गई जो एक साल पहले 19 लाख वर्गफुट थी.

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मुंबई औऱ पुणे में बढ़ी डिमांड
मुंबई में नई आपूर्ति 8 लाख वर्गफुट से बढ़कर 11 लाख वर्ग फुट हुई और पुणे में नई आपूर्ति पिछले वर्ष के चार लाख वर्ग फुट से कई गुना बढ़कर 38 लाख वर्ग फुट हो गई. हालांकि बेंगलुरु में जनवरी-जून 2022 में नई आपूर्ति घटकर 57 लाख वर्ग फुट हो गई जो एक साल पहले की समान अवधि में 73 लाख वर्ग फुट थी.

अनिश्चितताओं के हालात से उबर रहीं कंपनियां
जनवरी से जून 2022 के बीच छह शहरों में ऑफिस स्पेस को पट्टे पर चढ़ाने की गतिविधि ढाई गुना बढ़कर 2.75 करोड़ वर्ग फुट हो गई जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 1.03 लाख वर्ग फुट थी. कॉलियर्स इंडिया के सीईओ रमेश नैय्यर ने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियां बीते दो साल से बनी अनिश्चितताओं के हालात से उबर गई हैं और अब वे विस्तार की बड़ी योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं.

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खाली स्थलों की संख्या घटी
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि डेवलपर भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों की वजह से सामग्री की खरीद में परेशानी और मुद्रास्फीति के कारण बढ़ती निर्माण लागत से जूझ रहे हैं. ऐसे में बढ़ती मांग और सीमित नई आपूर्ति का जो मिलाजुला असर हुआ है उससे दस तिमाही के बाद पहली बार खाली स्थलों की संख्या घटी है.’’

Tags: Indian real estate sector, Real estate, Real estate market, Real Estate Regulation & Development Act

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