नई दिल्ली. भारत में बांस की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है. यही कारण है कि सरकार भी अब देश में बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. कई राज्य सरकारें किसानों को बांस की खेती (Bamboo Farming) करने पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही हैं. इसलिए अगर आप भी खेती को अपना प्रोफेशन बनाना चाहते हैं, तो आप बांस की खेती कर सकते हैं.
बांस की खेती के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बंजर जमीन पर भी किया जा सकता है. साथ ही इसे पानी की भी कम आवश्यकता होती है. एक बार लगाने के बाद बांस के पौधे से 50 साल तक उत्पादन लिया जा सकता है. बांस की खेती में मेहनत भी ज्यादा नहीं करनी होती है. इन सब कारणों से किसानों का रुझान भी बांस की खेती की ओर बढ़ा है.
ऐसे करें बांस की खेती
कश्मीर की घाटियों के अलावा कहीं भी बांस की खेती (Bans Ki Kheti) की जा सकती है. भारत का पूर्वी भाग आज बांस का सबसे बड़ा उत्पादक है. एक हेक्टेयर जमीन पर बांस के 1500 पौधे लगते हैं. पौधे से पौधे की दूरी ढाई मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर रखी जाती है. बांस की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए.
भारत में बांस (Bamboo) की कुल 136 किस्में हैं. इनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रजातियां बम्बूसा ऑरनदिनेसी, बम्बूसा पॉलीमोरफा, किमोनोबेम्बूसा फलकेटा, डेंड्रोकैलेमस स्ट्रीक्स, डेंड्रोकैलेमस हैमिलटन और मेलोकाना बेक्किफेरा हैं. बांस के पौधे की रोपाई के लिए जुलाई महीना सबसे उपयुक्त है. बांस का पौधा 3 से 4 साल में कटाई लायक हो जाता है.
सरकार देती है सहायता
राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत अगर बांस की खेती (Bans Ki Kheti) में ज्यादा खर्च हो रहा है, तो केंद्र और राज्य सरकार किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करेंगी. बांस की खेती के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि की बात करें तो इसमें 50 प्रतिशत खर्च किसानों द्वारा और 50 प्रतिशत लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी.
मध्य प्रदेश सरकार बांस के प्रति पौधे पर किसान को 120 रुपये की सहायता प्रदान कर रही है. यह राशि तीन साल में किस्तों में मिलती है. राष्ट्रीय बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट nbm.nic.in पर जाकर आप सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत हर जिले में नोडल अधिकारी बनाया गया है. आप अपने नोडल (Nodal) अधिकारी से भी योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
बांस की खेती से कमाई
रोपाई के चार बाद बांस की पहली कटाई होती है. एक अनुमान के अनुसार, बांस की खेती से 4 साल में ₹40 लाख की एक हेक्टेयर में हो जाती है. इसके अलावा बांस की लाइनों के बीच में खाली पड़ी जमीन पर भी अन्य फसलें लगाकर किसान आसानी से बांस की खेती पर लगने वाला खर्च निकाल सकते हैं. बांस की कटाई-छंटाई भी साल में दो-तीन बार करनी पड़ती है. कटाई में निकली छोटी टहनियां हरे चारे के रूप में काम ली जा सकती है.
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