नई दिल्ली. बॉर्डर (Border) पर दो साल तक जारी तनाव के बीच भारत सरकार (Indian Government) चीन (China) से आने वाले निवेश को लेकर नियमों में ढील देने की तैयारी में है. मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि महामारी के दौर में निवेश (Investment) को रफ्तार देने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार प्रत्यक्ष विदेश निवेश (FDI) नियमों में कुछ बदलाव पर विचार कर रही है.
अगर बदलाव होता है तो इसके तहत अगर कोई निवेशक (Investor) भारतीय सीमा से सटे देशों से संबंधित है और कंपनी में उसका मालिकाना हक 10 फीसदी से कम है तो ऐसे निवेश प्रस्ताव के लिए मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी. वर्तमान में अगर कोई कंपनी या निवेशक भारतीय सीमा से सटे देशों से संबंधित है तो वहां से आने वाले निवेश की ज्यादा कड़ाई से जांच होती है.
अगले महीने मिल सकती है मंजूरी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा नियम (Rule) की वजह से करीब 6 अरब डॉलर का विदेशी निवेश रुका हुआ है. माना जा रहा है कि इसमें बदलाव को अगले महीने यानी फरवरी तक मंजूरी मिल जाएगी. भारत सरकार ने पिछले दिनों खासकर चीन से आने वाले निवेश को ध्यान में रखते हुए एफडीआई नियमों में बदलाव किया था.
ढील से तेजी से बढ़ेगा निवेश
रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर, 2021 तक चीन समेत अन्य सीमावर्ती देशों से आने वाले 100 निवेश प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार है. इनमें एक चौथाई से ज्यादा प्रस्ताव ऐसे हैं, जिसमें निवेश मूल्य (Invest Value) एक करोड़ डॉलर (करीब 70 करोड़ रुपये) से ज्यादा है. माना जा रहा है कि नियमों में ढील देने के बाद भारत में निवेशकों की बाढ़ आ जाएगी और बड़े पैमाने पर निवेश आएगा.
इसलिए बदला गया था एफडीआई नियम
चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश शुरू कर दिया था. ऐसे में चीन के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के मकसद से सरकार ने एफडीआई नियमों में बदलाव किया था. इसके बाद चीन, हांगकांग से आने वाले निवेश के प्रस्ताव को धीरे-धीरे स्वीकृति मिलने लगी. निवेश के दर्जनों प्रस्ताव अब भी जांच के लिए पेंडिंग हैं.
निवेश में लगातार आ रहा उछाल
वाणिज्य मंत्रालय (Commerce Ministry) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में कुल 82 अरब डॉलर का एफडीआई आया. अप्रैल-जुलाई अवधि में यह आंकड़ा 62 फीसदी बढ़कर 27 अरब डॉलर रहा था. मोदी सरकार के कार्यकाल में 2014-15 से 2020-21 के बीच कुल 440.27 अरब डॉलर का एफडीआई आया है.
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