बड़ी खबर! बैंक से साल में एक लिमिट से ज्यादा कैश निकालने पर देना होगा टैक्स, लोकसभा में पास हुआ बिल

बड़ी खबर! बैंक से साल में एक लिमिट से ज्यादा कैश निकालने पर देना होगा टैक्स
अब किसी शख्स के सभी बैंक अकाउंट को मिलाकर साल में के लिमिट से ज्यादा के किए गए कैश विदड्राल पर 2 फीसदी TDS लगेगा. आइए जानें इसके बारे में....
- News18Hindi
- Last Updated: July 19, 2019, 1:06 PM IST
अगर अब आप बैंक से ज्यादा कैश विदड्रॉल करेंगे तो उस पर 2 फीसदी का TDS देना होगा. साथ ही, इसमें आपके सभी अकाउंट शामिल होंगे. नए नियम के मुताबिक, 1 करोड़ से ज्यादा कैश विदड्रॉल पर बैंक अब 2 फीसदी TDS काटेंगे. सरकार ने फाइनेंस बिल में संशोधन किया है. अब यह TDS किसी शख्स के सभी बैंक अकाउंट को मिलाकर साल में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के किए गए कैश विदड्राल पर लगेगा. आपको बता दें कि बजट में किए गए इस प्रस्ताव का मकसद कैश ट्रांजेक्शन को कम करना है. इसलिए सिर्फ एक अकाउंट से साल में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विदड्रॉल पर 2 फीसदी TDS प्रस्ताव का गलत इस्तेमाल हो सकता था. लिहाजा सरकान ने फाइनेंस बिल 2019 में संशोधन कर इसे एक अकाउंट से बढ़ाकर मल्टीपल बैंक अकाउंट से विदड्रॉल तक लागू कर दिया.
सरकार ने क्यों लागू किया नया कानून-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सफाई देते हुए कहा है कि कुछ कंपनियों बड़े पैमाने पर कैश निकाल रही थी. इसीलिए इस प्रवृत्ति को देखते हुए सरकार ने एक सीमा से अधिक के कैश निकालने पर 2 फीसदी TDS (धन के स्रोत पर कर की कटौती) लगाया है.
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क्या होता है फाइनेंस बिल- फाइनेंस बिल को मनी बिल भी कहा जाता है. ये संविधान के आर्टिकल 110 के अंतर्गत आता है. दरअसल, सरकार जब भी टैक्सेशन में बड़े बदलाव करती है तो वो इसी इंस्ट्रूमेंट के जरिये करती है यानी कि फाइनेंस बिल के जरिये बदलाव होता है.
अगर सरकार को नया टैक्स लगाना है तो वो फाइनेंस बिल में दर्ज करेंगे. अगर किसी तरह का टैक्स खारिज करना है या फिर टैक्सेशन स्लैब में किसी तरह का बदलाव करना है तो वो सब फाइनेंस बिल में ही आएगी.
क्या होता है TDS- आमतौर पर टीडीएस का नाम सुनते ही कई लोगों की परेशानियां बढ़ सकती हैं. लेकिन आपको बता दें कि टीडीएस शुरू करने का मकसद था सोर्स पर ही टैक्स काट लेना. अगर किसी की कोई आमदनी होती है तो उस आमदनी से टैक्स काटकर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं. केंद्र सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स के तौर पर अपना राजस्व बढाती है. यह अलग-अलग तरह के आय सॉर्स पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन इत्यादि पर.
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(1) अगर आसान शब्दों में समझें तो आप भारतीय हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया तो इस पर जो आय प्राप्त हुई उस पर कोई टीडीएस नहीं चुकाना होगा लेकिन अगर आप एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) हैं तो इस फंड से हुई आय पर आपको टीडीएस देना होगा.
(2) जो पेमेंट कर रहा है टीडीएस सरकार के खाते में जमा करने की जिम्मेदारी भी उसकी होगी. टीडीएस काटने वालों को डिडक्टर कहा जाता है. वहीं जिसे टैक्स काट के पेमेंट मिलती है उसे डिडक्टी कहते हैं.
(3) TDS की पूरी जानकारी फार्म 26AS में एक टैक्स स्टेटमेंट के तौर पर दिखाई जाती है कि काटा गया टैक्स और व्यक्ति के नाम या पैन में जमा किया गया है. हर डिडक्टर को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करके ये बताना भी जरूरी है कि उसने कितना टीडीएस काटा और सरकार को जमा किया.
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सरकार ने क्यों लागू किया नया कानून-वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सफाई देते हुए कहा है कि कुछ कंपनियों बड़े पैमाने पर कैश निकाल रही थी. इसीलिए इस प्रवृत्ति को देखते हुए सरकार ने एक सीमा से अधिक के कैश निकालने पर 2 फीसदी TDS (धन के स्रोत पर कर की कटौती) लगाया है.
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कैश निकालने पर देना होगा 2% TDS
क्या होता है फाइनेंस बिल- फाइनेंस बिल को मनी बिल भी कहा जाता है. ये संविधान के आर्टिकल 110 के अंतर्गत आता है. दरअसल, सरकार जब भी टैक्सेशन में बड़े बदलाव करती है तो वो इसी इंस्ट्रूमेंट के जरिये करती है यानी कि फाइनेंस बिल के जरिये बदलाव होता है.
अगर सरकार को नया टैक्स लगाना है तो वो फाइनेंस बिल में दर्ज करेंगे. अगर किसी तरह का टैक्स खारिज करना है या फिर टैक्सेशन स्लैब में किसी तरह का बदलाव करना है तो वो सब फाइनेंस बिल में ही आएगी.
क्या होता है TDS- आमतौर पर टीडीएस का नाम सुनते ही कई लोगों की परेशानियां बढ़ सकती हैं. लेकिन आपको बता दें कि टीडीएस शुरू करने का मकसद था सोर्स पर ही टैक्स काट लेना. अगर किसी की कोई आमदनी होती है तो उस आमदनी से टैक्स काटकर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं. केंद्र सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स के तौर पर अपना राजस्व बढाती है. यह अलग-अलग तरह के आय सॉर्स पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन इत्यादि पर.
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फाइनेंस बिल पास होने के बाद कैश विदड्रॉल का नया नियम लागू हो जाएगा
(1) अगर आसान शब्दों में समझें तो आप भारतीय हैं और आपने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश किया तो इस पर जो आय प्राप्त हुई उस पर कोई टीडीएस नहीं चुकाना होगा लेकिन अगर आप एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) हैं तो इस फंड से हुई आय पर आपको टीडीएस देना होगा.
(2) जो पेमेंट कर रहा है टीडीएस सरकार के खाते में जमा करने की जिम्मेदारी भी उसकी होगी. टीडीएस काटने वालों को डिडक्टर कहा जाता है. वहीं जिसे टैक्स काट के पेमेंट मिलती है उसे डिडक्टी कहते हैं.
(3) TDS की पूरी जानकारी फार्म 26AS में एक टैक्स स्टेटमेंट के तौर पर दिखाई जाती है कि काटा गया टैक्स और व्यक्ति के नाम या पैन में जमा किया गया है. हर डिडक्टर को टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करके ये बताना भी जरूरी है कि उसने कितना टीडीएस काटा और सरकार को जमा किया.
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