नई दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकरदाताओं को बड़ा झटका देते हुए वित्तवर्ष 2021-22 के लिए यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) पर कर छूट की सीमा घटा दी है. बोर्ड ने हाल में जारी सर्कुलर में आयकर (income tax) छूट के लिए यूलिप के प्रीमियम की सीमा 2.5 लाख रुपये निर्धारित कर दी है. इससे ज्यादा प्रीमियम चुकाने वाले करदाताओं को लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स का भुगतान करना होगा. वित्तमंत्री निर्मला सीमतारमण ने बजट 2020-21 में ही इसका प्रावधान किया था, जो चालू वित्तवर्ष से लागू होगा.
सीबीडीटी ने आयकर की धारा 10(10d) के तहत जारी गाइडलाइन में कहा है कि 2020-21 के बाद यूलिप पर कर छूट की गणना के लिए कुल प्रीमियम का कैप 2.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए. दरअसरल, यूलिप आयकर छूट के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला विकल्प है, क्योंकि इसमें दोहरी कर छूट मिलती है. पहले तो जब बीमा खरीदा जाता है तो उसके प्रीमियम पर आयकर की धारा 80सी के तहत कर छूट दी जाती है. यह अधिकतम 1.5 लाख रुपये हो सकता है. दूसरी छूट आयकर की धारा 10(10d) के तहत बीमा पर मिलने वाले सम एश्योर्ड पर मिलती है, जिस पर कुछ विशेष नियम भी लागू होते हैं. सरकार ने इसी नियम में बदलाव किया है जिससे कर छूट की सीमा प्रभावित होगी.
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क्या कहता है नया कानून
वित्त कानून 2021 कहता है कि अगर यूलिप का कुल प्रीमियम सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो जाएगा तो उस पर मिलने वाले सम एश्योर्ड को आयकर छूट के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा. मतलब साफ है कि अगर किसी करदाता ने बीते वित्तवर्ष 2.5 लाख रुपये से ज्यादा का प्रीमियम यूलिप में चुकाया है तो उसे 80सी में तो पूरी छूट दी जाएगी लेकिन 10(10d) के तहत छूट का लाभ खत्म हो जाएगा. सम एश्योर्ड की राशि में बोनस के रूप में मिलने वाला पैसा भी शामिल होगा.
इस पॉलिसी पर नहीं होगा असर
1 फरवरी 2021 से पहले खरीदी यूलिप पर नए नियमों का असर नहीं होगा और करदाता भविष्य में मिलने वाले इसके सम एश्योर्ड पर पहले की तरह ही आयकर छूट का दावा कर सकेंगे. इसके बाद खरीदी सभी यूलिप पर प्रीमियम की अधिकतम सीमा लागू होगी. अगर करदाता एक से अधिक पॉलिसी खरीदता है तो सभी पॉलिसी के कुल प्रीमियम को जोड़कर इसकी गणना की जाएगी. मसलन, किसी ने छोटी छोटी कई पॉलिसी खरीदी है जिसमें प्रत्येक का प्रीमियम भले ही 2.5 लाख से कम हो लेकिन सभी को जोड़कर यह सीमा पार होती है तो करदाता सिर्फ उतनी ही पॉलिसी पर कर छूट प्राप्त कर सकेगा जिसका कुल प्रीमियम 2.5 लाख से ज्यादा न हो.
ऐसे समझें कर छूट का गणित
माना किसी व्यक्ति ने 1 फरवरी 2021 से पहले x पॉलिसी खरीद है जिसका सालाना प्रीमियम 2.5 लाख से ज्यादा होता है. 2030 में यह पॉलिसी मेच्योर होने पर उसे सम एश्योर्ड के रूप में बोनस सहित मिली कुल राशि पर टैक्स छूट मिल जाएगी. अब उसी व्यक्ति ने अगर 1 फरवरी 2021 के बाद A,B,C तीन यूलिप खरीदी है, जिसमें हर किसी का प्रीमियम भले ही 2.5 लाख रुपये से कम है लेकिन इन्हें जोड़कर कुल प्रीमियम इससे ज्यादा हो जाता है तो करदाता सिर्फ उन्हीं पॉलिसी के सम एश्योर्ड पर टैक्स छूट ले सकेगा जिनका प्रीमियम 2.5 लाख से कम होगा. जैसे यूलिप A और B का प्रीमियम जोड़ 2.5 लाख से कम है लेकिन C को जोड़ते ही इससे ज्यादा हो जाता है, तो करदाता शुरुआती दो यूलिप के सम एश्योर्ड राशि पर कर छूट ले सकेगा. तीसरी यूलिप के सम एश्योर्ड में से प्रीमियम की राशि घटाकर शेष पर लांग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स चुकाना होगा.
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इस केस में पूरी छूट मिलेगी
अगर बीमा कराने वाले व्यक्ति की पॉलिसी मेच्योरिटी से पहले ही मौत हो जाती है तो उसके परिवार को सम एश्योर्ड के रूप में मिलने वाली पूरी राशि पर टैक्स छूट दी जाएगी. भले ही इस बीमा का प्रीमियम 2.5 लाख की सीमा से ज्यादा क्यों न हो.
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