केंद्र सरकार मध्य प्रदेश को पूंजीगत खर्च के लिए देगी 660 करोड़ रुपये अतिरिक्त फंड, जानें क्यों दी जा रही है ये राशि

केंद्र सरकार मध्य प्रदेश सरकार को पूंजीगत खर्च के लिए अतिरिक्त फंड मुहैया करा रही है.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार को वन नेशन-वन राशनकार्ड, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और अर्बन लोकल बॉडीज में सुधार करने में मिली सफलता के लिए 660 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि (Additional Fund) आवंटित की गई है. मध्य प्रदेश ये उपलब्धि हासिल करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 24, 2021, 8:58 PM IST
नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच राज्यों की वित्तीय मांगों और जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) ने कई कदम उठाए हैं. वैश्विक महामारी (Pandemic) के दौर में ऐलान किया था कि नागरिकों के हितों में 4 मापदंडों पर सुधार करने वाले राज्यों को केंद्र सरकार अतिरिक्त वित्तीय सहायता (Additional Financial Support) उपलब्ध कराएगी. इसी आधार पर केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के व्यय विभाग ने घोषणा की है कि मध्य प्रदेश को कैपिटल प्रोजेक्ट्स (Capital Projects) के लिए 660 करोड़ रुपये अतिरिक्त वित्तीय राशि उपलब्ध कराई जाएगी.
मध्य प्रदेश सरकार को वन नेशन-वन राशनकार्ड, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और अर्बन लोकल बॉडीज में सुधार करने में मिली सफलता के लिए 660 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है. मध्य प्रदेश ये उपलब्धि हासिल करने वाला पहला राज्य बन गया है. बता दें कि मध्य प्रदेश ने पावर सेक्टर में सुधार करने के लक्ष्य को भी पहले ही हासिल कर लिया है. आत्मनिर्भर भारत पैकेज की इस स्कीम के तहत कैपिटल प्रोजेक्ट्स की अनुमानित सूची के आधार पर केंद्र सरकार ने 660 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. इसका 50 फीसदी यानी 330 करोड़ रुपये पहली किस्त के तौर पर राज्य को जारी किया जा चुका है.
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राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई करना है स्कीम का मकसदमध्य प्रदेश को पहले भी स्कीम के पार्ट-2 के तहत कैपिटल प्रोजेक्ट्स के लिए 660 करोड़ रुपये की मंजूरी दी जा चुकी है. मध्य प्रदेश को अब तक कुल 660 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 अक्टूबर 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के तौर पर इस स्कीम की घोषणा की थी. चारों क्षेत्रों में सुधारों को पूरा करने के लिए राज्यों को 14,694 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी गई थी ताकि वे अपने पूंजीगत खर्च को बढ़ा सकें. मकसद साफ था कि कोरोना की वजह से राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके.
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27 राज्यों के 10,657 करोड़ रुपये के प्रपोजल्स को दी मंजूरी
केंद्र सरकार की ओर से घोषणा किए जाने के बाद राज्यों ने इसे हाथों-हाथ लिया. इसी का नतीजा है कि वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने अब तक 27 राज्यों के 10,657 करोड रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर प्रपोजल्स को मंजूरी दे दी है. इसमें से पहली किस्त के रूप में राज्यों को 5,328 करोड़ रुपये जारी भी किए जा चुके हैं. हालांकि, तमिलनाडु ने इस स्कीम का फायदा नहीं लिया है. देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश को इस स्कीम के तहत सबसे अधिक 1,501 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मंजूरी मिली है, जिसमें से 750.50 करोड़ रुपये केंद्र ने जारी कर दिए हैं.
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राज्य मंजूर राशि जारी राशि ( करोड़ रुपये में)
आंध्र प्रदेश 344 172
अरूणाचल प्रदेश 233.66 116.83
असम 450 225
बिहार 843 421.50
छत्तीसगढ़ 286 143
गोवा 65.66 32.83
गुजरात 285 142.50
हरियाणा 91 45.50
हिमाचल प्रदेश 450 225
झारखंड 277 138.50
कर्नाटक 305 152.50
केरल 163 81.50
मध्य प्रदेश 1320 660
महाराष्ट्र 514 257
मणिपुर 233.66 116.83
मेघालय 200 100
मजोरम 200 100
नागालैंड 200 100
ओडिशा 388 194
पंजाब 146.5 73.25
राजस्थान 501 250.5
सिक्किम 200 100
तमिलनाडु 351 00
तेलंगाना 179 89.5
त्रिपुरा 200 100
उत्तराखंड 450 225
पश्चिम बंगाल 630 315
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स्कीम को तीन हिस्सों में बांटा गया है
कैपिटल एक्सपेंडिचर स्कीम को तीन हिस्सों में कवर किया गया है. पहले हिस्से में पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों को शामिल किया गया है. इस हिस्से के तहत अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे राज्यों को 200-200 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है. वहीं, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हर पहाड़ी राज्य को 450 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है. अधिक आबादी और भौगोलिक तौर पर बड़ा राज्य होने की वजह से असम को 450 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रावधान किया गया है. दूसरे हिस्से में साल 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की ओर से अंतरिम अवार्ड के तहत सेंट्रल टैक्स में हिस्सेदारी करने वाले राज्यों को शामिल किया गया है. इन राज्यों को 7,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. तीसरे हिस्से में 4 सुधारों में 3 सुधार को हासिल कर चुके राज्यों को लिया गया है. इन राज्यों के लिए केंद्र सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये आवंटन की व्यवस्था की है.
मध्य प्रदेश सरकार को वन नेशन-वन राशनकार्ड, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और अर्बन लोकल बॉडीज में सुधार करने में मिली सफलता के लिए 660 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है. मध्य प्रदेश ये उपलब्धि हासिल करने वाला पहला राज्य बन गया है. बता दें कि मध्य प्रदेश ने पावर सेक्टर में सुधार करने के लक्ष्य को भी पहले ही हासिल कर लिया है. आत्मनिर्भर भारत पैकेज की इस स्कीम के तहत कैपिटल प्रोजेक्ट्स की अनुमानित सूची के आधार पर केंद्र सरकार ने 660 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. इसका 50 फीसदी यानी 330 करोड़ रुपये पहली किस्त के तौर पर राज्य को जारी किया जा चुका है.
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राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई करना है स्कीम का मकसदमध्य प्रदेश को पहले भी स्कीम के पार्ट-2 के तहत कैपिटल प्रोजेक्ट्स के लिए 660 करोड़ रुपये की मंजूरी दी जा चुकी है. मध्य प्रदेश को अब तक कुल 660 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 अक्टूबर 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के तौर पर इस स्कीम की घोषणा की थी. चारों क्षेत्रों में सुधारों को पूरा करने के लिए राज्यों को 14,694 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी गई थी ताकि वे अपने पूंजीगत खर्च को बढ़ा सकें. मकसद साफ था कि कोरोना की वजह से राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके.
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27 राज्यों के 10,657 करोड़ रुपये के प्रपोजल्स को दी मंजूरी
केंद्र सरकार की ओर से घोषणा किए जाने के बाद राज्यों ने इसे हाथों-हाथ लिया. इसी का नतीजा है कि वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने अब तक 27 राज्यों के 10,657 करोड रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर प्रपोजल्स को मंजूरी दे दी है. इसमें से पहली किस्त के रूप में राज्यों को 5,328 करोड़ रुपये जारी भी किए जा चुके हैं. हालांकि, तमिलनाडु ने इस स्कीम का फायदा नहीं लिया है. देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश को इस स्कीम के तहत सबसे अधिक 1,501 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मंजूरी मिली है, जिसमें से 750.50 करोड़ रुपये केंद्र ने जारी कर दिए हैं.
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राज्य मंजूर राशि जारी राशि ( करोड़ रुपये में)
आंध्र प्रदेश 344 172
अरूणाचल प्रदेश 233.66 116.83
असम 450 225
बिहार 843 421.50
छत्तीसगढ़ 286 143
गोवा 65.66 32.83
गुजरात 285 142.50
हरियाणा 91 45.50
हिमाचल प्रदेश 450 225
झारखंड 277 138.50
कर्नाटक 305 152.50
केरल 163 81.50
मध्य प्रदेश 1320 660
महाराष्ट्र 514 257
मणिपुर 233.66 116.83
मेघालय 200 100
मजोरम 200 100
नागालैंड 200 100
ओडिशा 388 194
पंजाब 146.5 73.25
राजस्थान 501 250.5
सिक्किम 200 100
तमिलनाडु 351 00
तेलंगाना 179 89.5
त्रिपुरा 200 100
उत्तराखंड 450 225
पश्चिम बंगाल 630 315
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स्कीम को तीन हिस्सों में बांटा गया है
कैपिटल एक्सपेंडिचर स्कीम को तीन हिस्सों में कवर किया गया है. पहले हिस्से में पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों को शामिल किया गया है. इस हिस्से के तहत अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा जैसे राज्यों को 200-200 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है. वहीं, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हर पहाड़ी राज्य को 450 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है. अधिक आबादी और भौगोलिक तौर पर बड़ा राज्य होने की वजह से असम को 450 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रावधान किया गया है. दूसरे हिस्से में साल 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की ओर से अंतरिम अवार्ड के तहत सेंट्रल टैक्स में हिस्सेदारी करने वाले राज्यों को शामिल किया गया है. इन राज्यों को 7,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. तीसरे हिस्से में 4 सुधारों में 3 सुधार को हासिल कर चुके राज्यों को लिया गया है. इन राज्यों के लिए केंद्र सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये आवंटन की व्यवस्था की है.