एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में सरकार

एयर इंडिया
एयर इंडिया कई सालों से घाटे में चल रही है और इसे चलाए रखने के लिए कई बेलआउट पैकेज जारी किए गए हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: June 12, 2018, 10:26 PM IST
केंद्र सरकार जल्दी ही नए नियमों और निर्देशों के तहत एयर इंडिया की बिक्री के आवेदन मांग सकती है. पिछले महीने भी सरकार ने सरकारी विमानन कंपनी को बेचने के लिए आवेदन मांगे थे लेकिन इसको लेकर बनी शर्तों की वजह से खरीदारों ने इससे दूरी बना ली. इसके चलते अब नए सिरे से निजीकरण की प्रकिया तैयार की जाएगी. रिपोर्ट के अनुसार, अब सरकार कंपनी में 24 फीसदी हिस्सेदारी को भी बेचने के मूड में है. पिछली वाली प्रक्रिया में सरकार अपने पास एयर इंडिया की कुछ हिस्सेदारी रखने पर अड़ी हुई थी.
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने बताया कि पिछली बार एक निश्चित रणनीति का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन उसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई. इसलिए अब कुछ अलग किया जाएगा. अबकी बार जरूरी नहीं है कि सरकार 24 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखे. इस शर्त पर फिर से विचार किया जा सकता है.
बता दें कि एयर इंडिया का निजीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की हाई प्रोफाइल योजना है. यह सरकारी एयरलाइंस लगभग 16 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी हुई है. भारत की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइंस इंडिगो ने शुरु में एयर इंडिया को खरीदने में रूचि दिखाई थी लेकिन बाद उसने हाथ खींच लिए थे. इसकी बड़ी वजह सरकार द्वारा एयर इंडिया के अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशंस को अलग से न बेचना था.
एयर इंडिया कई सालों से घाटे में चल रही है और इसे चलाए रखने के लिए कई बेलआउट पैकेज जारी किए गए हैं. लेकिन इसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. इसके चलते इसे बेचने का फैसला लिया गया.
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने बताया कि पिछली बार एक निश्चित रणनीति का प्रस्ताव रखा गया था लेकिन उसमें किसी ने रुचि नहीं दिखाई. इसलिए अब कुछ अलग किया जाएगा. अबकी बार जरूरी नहीं है कि सरकार 24 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखे. इस शर्त पर फिर से विचार किया जा सकता है.
बता दें कि एयर इंडिया का निजीकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की हाई प्रोफाइल योजना है. यह सरकारी एयरलाइंस लगभग 16 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी हुई है. भारत की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइंस इंडिगो ने शुरु में एयर इंडिया को खरीदने में रूचि दिखाई थी लेकिन बाद उसने हाथ खींच लिए थे. इसकी बड़ी वजह सरकार द्वारा एयर इंडिया के अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशंस को अलग से न बेचना था.
एयर इंडिया कई सालों से घाटे में चल रही है और इसे चलाए रखने के लिए कई बेलआउट पैकेज जारी किए गए हैं. लेकिन इसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. इसके चलते इसे बेचने का फैसला लिया गया.