नई दिल्ली. बिजली की ज्यादा डिमांड के कारण देश इस वक्त कोयले की कमी का सामना कर रहा है. सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही के दौरान यह कमी और ज्यादा बढ़ सकती है. भारत सरकार के स्वामित्व वाली दुनिया की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया 7 साल बाद कोयले का आयात करने जा रही है. इस संबंध में बिजली मंत्रालय ने एक पत्र जारी किया है.
2015 के बाद यह पहली बार होगा कि कोल इंडिया ने कोयला इम्पोर्ट करने जा रहा ही. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि अप्रैल में हुए बिजकी संकट जैसी स्थिति आगे फिर से न बने. इस दौरान भारत को छह वर्षों से अधिक समय में सबसे खराब बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था.
सरकार ने जारी किया था लेटर
केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने 28 मई को लिखे पत्र में कहा, “कोल इंडिया गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट (G2G) बेसिस पर कोयले का आयात करेगी और राज्य के बिजली उत्पादकों और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) के ताप बिजली संयंत्रों को सप्लाय किया जा सके.” यह पत्र सभी उपयोगिताओं, संघीय कोयला सचिव और कोल इंडिया के अध्यक्ष समेत शीर्ष संघीय और राज्य ऊर्जा अधिकारियों को भेजा गया था.
सरकाने ने कंपनियों को दी थी चेतावनी
बिजली मंत्रालय ने पत्र में कहा कि लगभग सभी राज्यों ने सुझाव दिया था कि राज्यों द्वारा कई कोयला टेंडर से गड़बड़ी की आशंका हो सकती है. इस लिए कोल इंडिया के जरिए केंद्रीकृत खरीद का फैसला लेने की मांग की गई थी. इस महीने की शुरुआत में भारत सरकार ने राज्यों और कोयले से ऑपरेट होने वाली कंपनियों को जरूरत का कम से कम 10 प्रतिशत कोयला आयात करने के लिए कहा था. सरकार ने ऐसा नहीं करने पर घरेलू खनन कोयले की आपूर्ति में कटौती की चेतावनी दी थी.
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अगले साल तक और बढ़ जाएगी मांग
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कोयले के भंडार में कमी और उसके चलते बिजली की कटौती की खबरें हाल में सुर्खियों में रहीं थीं. आशंका जताई जा रही है कि मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष में कोयले की मांग 784.6 मिलियन टन होगी, जो पहले के अनुमान से 3.3 फीसदी ज्यादा है. रॉयटर्स ने पावर मिनिस्ट्री के प्रजेंटेशन को देखा है, जिसमें बिजली संकट को दर्शाया गया है.
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