सिंगापुर. चीन के शहर वुहान (Wuhan) से फैल रहा नोवल कोरोनावायरस (2019-nCoV) पूर्वी एशिया के लोगों में दहशत का माहौल बना रहा है. सिंगापुर (Singapore) और चीन (China) आर्थिक व रणनीतिक करार समेत कई तरह की साझेदारी में हैं. ऐसे में चीन से सिंगापुर आने वाले यात्रियों की तादाद भी ठीक-ठाक है. लिहाजा, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सिंगापुर चीन के बाहर उन पहले देशों में शुमार है, जिनमें कोरोनावायरस (Coronavirus) से इंफेक्टेड केस मिले. नोवल कोरोनावायरस के हमले से सिंगापुर के लोगों को नवंबर, 2002 और जुलाई 2003 के बीच हुए सार्स (SARS) की मार की यादें ताजा हो गई हैं. उस दौरान सिंगापुर में 32 लोगों की मौत सार्स की चपेट में आने से हुई थी.
चीन से शुरू हुए सार्स ने 32 देशों के 775 लोगों की ली थी जान
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, 32 देशों के 8,098 लोग सार्स की चपेट में आए थे, जिनमें 775 लोगों की मौत हो गई थी. माना जा रहा है कि दिसंबर, 2019 में कोरोनावायरस सी-फूड के जरिये सांपों से इंसानों (Snake to Human) तक पहुंचा था. अब यह इंसानों से इंसानों में तेजी से फैल रहा है. खबर लिखे जाने तक कनाडा (Canada) इस वायरस की चपेट में आने वाला 16वां देश बन गया है. अब तक ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, नेपाल, सिंगापुर, साउथ कोरिया, ताइवान, थाइलैंड, अमेरिका, विपयतनाम, चीन, कनाडा और हॉन्ग कॉन्ग इस वायरस की जद में आ चुके हैं. इन सभी देशों में 2,000 से ज्यादा लोग वायरस से प्रभावित हो चुके हैं, जिनमें 56 की मौत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि हालात अभी और बिगड़ेंगे.
चीन ने 10 शहरों का पब्लिक ट्रांसपोर्ट किया पूरी तरह बंद
चीन ने 10 प्रभावित शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public Transport) को पूरी तरह बंद कर दिया है. शंघाई डिज़्नीलैंड, द ग्रेट वॉल और द फॉरबिडेन सिटी जैसे टूरिस्ट प्लेसेस (Tourist Places) को बंद कर दिया गया है. पिछले सप्ताह चीन ने घरेलू पर्यटकों को इन जगहों पर जाने से प्रतिबंधित कर दिया था. इसके बाद 27 जनवरी से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आवाजाही पर भी पाबंदी लगा दी गई है. इस वायरस ने ठीक उस समय हमला किया है, जब चीन अपने नए साल (Chinese New Year) का जश्न मनाता है. इस दौरान लाखों लोग अपने परिवारों से मिलने के लिए चीन पहुंचते हैं. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जब भी ऐसा कुछ होता है तो कई कारणों से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है.

2018 में चीन से 2,81,768 यात्री भारत आए थे. एक अनुमान के मुताबिक, विदेशी यात्री भारत की हर यात्रा पर औसतन 2 लाख रुपये खर्च करता है.
चीनी यात्री भारतीय अर्थव्यवस्था में करते हैं 76 करोड़ डॉलर का योगदान
कोरोनावायरस के कारण चीन से यात्रा करने वालों की संख्या में जबरदस्त कमी आएगी. इससे सिंगापुर, थाइलैंड और हॉन्ग कॉन्ग के टूरिज्म सेक्टर पर सबसे बुरा असर पड़ना तय है. वहीं, भारतीय पर्यटन मंत्रालय (Indian Ministry of Tourism) के अनुसार 2018 में चीन से 2,81,768 यात्री भारत आए थे. एक अनुमान के मुताबिक, विदेशी यात्री हर यात्रा पर औसतन 2,698 डॉलर (करीब 2 लाख रुपये) खर्च करते हैं. इस तरह चीनी पर्यटक भारतीय अर्थव्यवस्था में 76 करोड़ डॉलर का योगदान करते हैं. डीबीएस ग्रुप (DBS Group) की शुक्रवार को जारी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 2002 में जब सार्स फैला था तो चीन, हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर और ताइवान में यात्रा, पर्यटन व वाणिज्यिक गतिविधियों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई थी.
कोरोनावायरस ज्यादा फैला तो चीन में कच्चे माल की मांग घटना तय
सार्स के हमले के दौरान सिंगापुर के ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोड्यूस (GDP) में 0.5 फीसदी और हॉन्ग कॉन्ग की जीडीपी में 2.5 फीसदी का नुकसान हुआ था. वित्त वर्ष 2018-19 में चीन को भारत का निर्यात (Export) 16.75 अरब डॉलर रहा था, जो इससे पिछले साल के मुकाबले 25.6 फीसदी ज्यादा रहा था. भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 में निर्यात लक्ष्य को 4 फीसदी बढ़ा दिया था. अगर वायरस के कारण चीन के शहरों में लोग लंबे समय तक घरों में ही रहते हैं तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ओर से कच्चे माल की मांग कम होना और खुदरा उपभोग घटना तय है.
चीन में उपभोग घटने के साथ कच्चे तेल की मांग में भी आएगी गिरावट
तेल (Crude Oil) की कीमतों में काफी लंबे समय बाद गिरावट आई है. कोरोनावारस के फैलने के साथ कच्चे तेल की कीमतों में ये रुझान बने रहने की उम्मीद है. यात्रा पाबंदियों का समय बढ़ाए जाने के कारण पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क में फ्यूचर्स में 5.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. अगर अनुमान के मुताबिक चीन में उपभोग घटता है तो तेल की मांग भी उसी अनुपात में प्रभावित होगी. कच्चे तेल की कीमतें पिछले शुक्रवार को लगतार तीसरे सप्ताह 2.2 फीसदी की गिरावट के साथ 60.63 डॉलर प्रति बैरल रहीं. इस सप्ताह इसकी कीमतों में कुल 7.6 फीसदी और अप्रैल, 2019 से 12 महीनों के लिए करीब 23 फीसदी गिरावट दर्ज की गई.

कोरोनावायरस के कारण उपभोग घटने से कच्चे तेल की मांग और कीमतों में कमी होना तय है. इसका फायदा भारत को मिल सकता है.
कच्चे तेल की कीमतों में कमी से भारत को मिल सकता है फायदा
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का भारत को फायदा मिलेगा. दरअसल, भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. कच्चे तेल की कीमतों में कमी से भारत में महंगाई और चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) नीचे का रुख करेगा. साथ ही रुपये की कीमत में इजाफा हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत डॉलर में तय होती है. ऐसे में भारत को तेल खरीदने के लिए कम रुपये खर्च करने होंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर की कमी से भारत का चालू खाता घाटा 9.2 अरब डॉलर कम कर देगा. दूसरी तरफ भारत रिफाइंड पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स निर्यात के मामले में दुनिया का छठा बड़ा देश है. इससे भारत को सालाना 60 अरब डॉलर की कमाई होती है. मांग में कमी और कीमतों में गिरावट से इन आंकड़ों पर बुरा असर पड़ सकता है.
दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट, बीएसई पर मामूली असर
वुहान से शुरू हुआ इस अनिश्चितता का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर भी स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है. 8 अक्टूबर के बाद पिछले शुक्रवार वॉल स्ट्रीट का S&P 500 एक दिन में सबसे ज्यादा 30.07 अंक की गिरावट के साथ 3,295.47 पर बंद हुआ. वहीं, डॉ जोंस (Dowq Jones) में सप्ताह के दौरान 356.09 अंक यानी 1.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यह शुक्रवार को 28,989.73 अंक पर बंद हुआ. हालांकि, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखाई दिया. सेंसेक्स (Sensex) शुक्रवार को 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ 41,613.19 अंक पर बंद हुआ.
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Tags: China, Corona Virus, Crude oil, Indian economy
FIRST PUBLISHED : January 27, 2020, 13:04 IST