AIIMS सर्वर हैक मामले में हैकर्स ने क्रिप्टो में फिरौती मांगी है. (फोटो: न्यूज18)
नई दिल्ली. करीब हफ्ते भर से दिल्ली एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल का सर्वर हैक हो जाने की वजह से डाउन पड़ा हुआ है. इससे ओपीडी और बाकी सर्विस प्रभावित हो रही है. सर्वर हैक होने के चलते करोड़ों मरीजों का डेटा दांव पर लगा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैकर्स की ओर से क्रिप्टो करेंसी में 200 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी.
हालांकि दिल्ली पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी में फिरौती की मांग वाली बात को ख़ारिज कर दिया है. इस मामले में अभी भी जांच चल रही है. लेकिन अगर यह बात सच है तो हैकर्स फिरौती की रकम क्रिप्टोकरेंसी में ही क्यों वसूल करते हैं? हैकर्स इसे क्यों पसंद करते हैं हम यही बताने जा रहे हैं.
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क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टो करेंसी एक मुद्रा होती है जो पूरी तरह कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है. इसके सारे ट्रांजेक्शन भी कंप्यूटर से ही होते हैं, यानी इसमें कोई फिजिकल करेंसी नहीं होती है. क्रिप्टो करेंसी या वर्चुअल करेंसी को डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है. इसे इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी की सहायता से जेनरेट किया जाता है और उसके बाद रेगुलेट भी किया जाता है.
हैकर्स क्रिप्टोकरेंसी क्यों यूज़ करते हैं?
क्रिप्टोकरेंसी शुरुआत से ही हैकर्स या साइबर क्रिमिनल्स का बड़ा हथियार बनी हुई है. क्रिप्टोकरेंसी यूज़ करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे यूज़ करने वाले की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है यानी वो पूरी तरह से गुमनाम रहता है. क्योंकि ये एक डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करता है और इसमें बैंक जैसी कोई संस्था नहीं होती है. वहीं इसका दूसरा फायदा ये है कि बिटकॉइन और इसकी जैसी दूसरी करेंसी को वर्चुअल वॉलेट्स में रखा जा सकता है. इनकी पहचान सिर्फ नंबर से ही होती है.
क्रिप्टो करेंसी पर किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं
क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है जिसे किसी भी देश की सरकार लागू नहीं करती है. इस मुद्रा पर किसी देश, राज्य या किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं होता है यानी यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जो डिजिटल रूप में होती है इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है. इस तरह की करेंसी को अभी तक दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक की ओर से मान्यता नहीं मिली हुई है ना ही यह किसी केंद्रीय बैंक की ओर से रेगुलेट होती है. इस तरह की करेंसी पर किसी भी देश की मुहर भी नहीं लगी होती है. ऐसे में फिरौती मांगने वाला अपनी पहचान आसानी से छुपा जाता है.
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