पीएम मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के तत्कालीन नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था.
नई दिल्ली. रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की मेंबर आशिमा गोयल ने टैक्स कलेक्शन को लेकर बड़ा बयान दिया है. दरअसल, गोयल ने टैक्स कलेक्शन में आई तेजी का श्रेय नोटबंदी (Demonetisation) को देते हुए कहा है कि यह देश में लार्ज बेस पर कम टैक्स लगाने की आदर्श स्थिति की तरफ ले जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के तत्कालीन नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था. पीएम मोदी ने कहा था कि इस अप्रत्याशित कदम से ब्लैक मनी पर लगाम लगाने के साथ ही डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा.
अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने और टैक्स चोरी की घटनाओं में कमी
एमपीसी की मेंबर आशिमा गोयल ने यह स्वीकार किया कि नोटबंदी के सख्त कदम की कुछ अल्पकालिक लागत चुकानी पड़ी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में इसके कुछ लाभ भी होंगे. डिजिटलीकरण की दर में वृद्धि, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने और टैक्स चोरी की घटनाओं में कमी जैसे लाभ प्रमुख हैं.
लगातार सातवें महीने 1.40 लाख करोड़ के ऊपर रहा जीएसटी कलेक्शन
टैक्स विभाग ने गत 9 अक्टूबर को कहा था कि चालू वित्त वर्ष में कंपनियों और इंडिविजुअल आय पर ग्रॉस डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन करीब 24 फीसदी बढ़कर 8.98 लाख करोड़ रुपये हो चुका है. जीएसटी का कलेक्शन (GST Collection) लगातार सातवें महीने 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है. सितंबर में जीएसटी कलेक्शन एक साल पहले की तुलना में 26 फीसदी की वृद्धि के साथ 1.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
डिजिटल करेंसी से फाइनेंशियल इंक्लूजन को मिलेगी गति
रिजर्व बैंक की तरफ से एक डिजिटल करेंसी लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इससे कैश के इस्तेमाल में कमी और मौजूदा पेमेंट सिस्टम को अतिरिक्त समर्थन देने का मकसद पूरा हो सकेगा. उन्होंने कहा, ‘सीबीडीसी से डिजिटल युग में निश्चित रूप से नई जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. यह करेंसी सुदूर इलाकों तक पहुंच आसान बनाने के साथ ही फाइनेंशियल इंक्लूजन को भी गति देगी और उससे जुड़ी लागत में कमी आएगी.’
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