Advertisement

दिवाली से पहले मोदी सरकार ने जारी किए ग्रीन पटाखे, जानिए इनके बारे में सबकुछ...

Last Updated:

दिवाली से ठीक पहले केंद्र सरकार ने ग्रीन पटाखे जारी किए है. इनमें अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम शामिल हैं. सरकार का दावा है कि सामान्य पटाखों (Crackers in Delhi) के मुकाबले ग्रीन पटाखों से प्रदूषण 30 फीसदी तक कम होगा.

दिवाली से पहले मोदी सरकार ने जारी किए ग्रीन पटाखे, जानिए कितनी है कीमतजानिए ग्रीन पटाखों की कीमत क्या है?
नई दिल्ली. दिवाली (Diwali 2019) से ठीक पहले केंद्र सरकार (Modi Government) ने ग्रीन पटाखे (Green crackers) जारी किए है. इनमें अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम शामिल हैं. सरकार का दावा है कि सामान्य पटाखों (Crackers in Delhi) के मुकाबले ग्रीन पटाखों से प्रदूषण 30 फीसदी तक कम होगा. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि इस बार दिवाली पर देश भर में प्रदूषण कम करने वाले ग्रीन पटाखे बाजार में मिलेंगे.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2018 में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद ग्रीन पटाखों पर विचार किया गया. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने ग्रीन पटाखों को बनाने में अहम काम किया. पटाखा कंपनियों से करीब 230 सहमति-पत्रों और 165 नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट्स (NDA) पर हस्ताक्षर किए हैं.

>> दुनिया में सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन चीन में होता है. वहीं, इसके बाद भारत का नंबर आता है. भारत में तमिलनाडु के शिवकाशी में सबसे ज्यादा पटाखों का उत्पादन होता है. शिवकाशी में 1000 पटाखा मैन्युफैक्चर्स है. इनका सालाना कारोबार 6000 करोड़ रुपये का है.

>> कहा जाता है कि पटाखे हमारे देश में मुगलों के समय से ही जलाए जा रहे हैं. मुगलों के दौर में आतिशबाजी और पटाखे इस्तेमाल होते थे.

>> वैसे तो गन पाउडर बाद में भारत में आया और इसके बाद पटाखों में गन पाउडर का इस्तेमाल होने लगा.

ये भी पढ़ें-Railway ने चलाई स्पेशल ट्रेन, कंफर्म सीट के लिए चुकाने होंगे एक्स्ट्रा पैसे!



क्या होते है ग्रीन पटाखे- एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पटाखे को पूरी तरह से पलूशन-फ्री यानी प्रदूषण रहित नहीं बनाया जा सकता लेकिन CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने पटाखों का ऐसा फॉर्म्युला तैयार किया है जिसे ग्रीन पटाखों की कैटिगरी में रखा जा सकता है.

>> सरकार का दावा है कि इन पटाखों में धूल को सोखने की क्षमता है. साथ ही इन पटाखों से होने वाला उत्सर्जन लेवल भी बेहद कम है.

>>  इनमें पटाखों का एक फॉर्म्युला ऐसा भी है जिससे वॉटर मॉलेक्यूल्स यानी पानी के अणु उत्पन्न हो सकते हैं जिससे धूल और खतरनाक तत्वों को कम करने में मदद मिलेगी.



>>  एनईईआरआई और सीएसआईआर ने पटाखों में इस्तेमाल होने वाले बेरियम नाइट्रेट के स्तर की जांच कर ग्रीन पटाखों का नया मानक बनाया.

>> ग्रीन पटाखों में 30 फीसदी से लेकर 90 फीसदी तक बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कम किया गया. कुछ पटाखों में इसका बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया. ग्रीन पटाखाें की पहचान के लिए एनईईआरआई का ग्रीन लोगो और क्यूआर कोड दिया जाता है.

ये भी पढ़ें-GoAir का सुपर सेवर प्री-दिवाली ऑफर, 1,296 रुपये में करें हवाई सफर

कैसे पता लगेगा कि कौन से ग्रीन पटाखे हैं-  इन पटाखों पर ग्रीन स्टीकर और भी बारकोड होगा. स्टीकर से इस बात की पुष्टि होगी की ये ग्रीन क्रैकर्स है.

>> वहीं,  बारकोड के जरिए आप स्कैन कर ये पता कर सकते है की ये पटाखे कहां बने है, निर्माता कौन है वहीं पटाखे में क्या केमिकल है, इस सब की पूरी जानकारी मिल जाएगी.

कितना है इन पटाखों का दाम- अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, आमतौर पर मिलने वाले पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखे महंगे है.

>> आमतौर पर फुलझड़ी के एक पैकेट (10 पीस के साथ) की कीमत 200 रुपये होती है. लेकिन इस बार दिवाली के मौके पर पुरानी दिल्ली में ग्रीन पटाखों वाली फुलझड़ी की कीमत 400 रुपये है.

>> ग्रीन पटाखों के तहत मिलने वाली चकरी के 10 पीस वाला बॉक्स 550 रुपये में मिल रहा है. वहीं, आमतौर पर इसकी कीमत 250 रुपये है.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homebusiness
दिवाली से पहले मोदी सरकार ने जारी किए ग्रीन पटाखे, जानिए कितनी है कीमत
और पढ़ें