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नोट नहीं चांदी के सिक्‍के में चलता था डॉलर, आज 180 देशों पर जमा है 'सिक्‍का', कागज पर कब छपी इसकी पहली करेंसी

डॉलर को सिर्फ करेंसी में नहीं सिक्‍के में भी ढाला जाता है.

डॉलर को सिर्फ करेंसी में नहीं सिक्‍के में भी ढाला जाता है.

Dollar History : दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी अमेरिकी डॉलर का जन्‍म बेहद मुश्किल हालात में हुआ था. शुरुआत में इसे चांदी ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

2 अप्रैल, 1792 में पहली बार डॉलर चांदी के सिक्‍कों के रूप में ढाला गया.
इसके बाद अमेरिकी बैंकों ने चांदी के बजाए अपनी मुद्रा छापनी शुरू कर दी.
पहली बार सरकार के कंट्रोल में डिमांड नोट्स के रूप में कागज की मुद्रा चलन में आई.

नई दिल्‍ली. दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी डॉलर के जन्‍म लेने की कहानी भी बहुत रोचक है. पहले यह सिर्फ सिक्‍कों में ही चलता था, जिससे लेनदेन का तरीका काफी सीमित था. फिर करीब 150 साल बाद पहली बार कागज का डॉलर छापा गया और आज दुनिया के 180 देशों में इसका सिक्‍का चलता है. पहले कागज पर छपी इस करेंसी को ग्रीनबैक कहा जाता था. ऐसा नहीं है कि आज सारे डॉलर सिर्फ कागज पर ही छापे जाते हैं. कुछ डॉलर सिक्‍के के रूप में भी होते हैं. अमेरिकी डॉलर के जन्‍म से अब तक हुए बदलाव की पूरी कहानी बड़ी दिलचस्‍प है.

चांदी, तंबाकू और जमीन के टुकड़ों से होता था लेनदेन
कागज के नोट चलन में आने से पहले डॉलर भी चांदी के सिक्‍कों के रूप में चलता था. साल 1792 से पहले अमेरिकी नागरिकों के सामने करेंसी को लेकर बड़ी उलझन थी. सामान खरीदने और लेनदेन के लिए तंबाकू के पत्‍तों और जमीन के टुकड़ों का भी इस्‍तेमाल किया जाता था. लेकिन, यात्रा के दौरान लेनदेन में बड़ा संकट होता. इसके बाद 2 अप्रैल, 1792 में पहली बार डॉलर चलन में आया और इसे चांदी के सिक्‍कों के रूप में ढाला गया. तब कॉइनेज एक्‍ट के रूप में यूएस मिंट बनाया गया और सिक्‍के ढालने व दुनियाभर में उसका चलन बढ़ाने का जिम्‍मा भी इसी को दिया गया. लोग चांदी लेकर आते और मिंट उसे सिक्‍के में ढालकर दे देता.

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नहीं चला जुगाड़ फिर…
दरअसल, चांदी में डॉलर को ढालने का जुगाड़ ज्‍यादा चला नहीं और इसकी कमी से नई मुश्किलों ने जन्‍म लेना शुरू कर दिया. अमेरिकी बैंकों ने चांदी के बजाए अपनी मुद्रा छापनी शुरू कर दी, जिसका परमानेंट हल 1861 में निकाला गया और कागज की मुद्रा छापने पर विचार शुरू हुआ. इस तरह पहली बार सरकार के कंट्रोल में डिमांड नोट्स के रूप में कागज की मुद्रा चलन में आई.

डॉलर को क्‍यों कहा गया ग्रीनबैक्‍स
सरकारी मंजूरी के बावजूद डॉलर को कागज के रूप में छापने में सबसे बड़ी मुश्किल स्‍याही को लेकर थी. हालांकि, केमिस्‍ट ने ऐसी स्‍याही बना ली जिसे मिटाया न जा सके. हरे रंग की इस स्‍याही को नोट के पिछले हिस्‍से पर लगाया जाता था और यही कारण है क‍ि शुरुआत में डॉलर की नोट को ग्रीनबैक्‍स कहा गया. अब आप सोच रहे होंगे कि शुरुआती नोट कितने डॉलर का था. कागज की करेंसी पहली बार 5, 10 और 20 डॉलर की छापी गई. फिर एक साल बाद 1862 में पहली बार 1 डॉलर का नोट छापा गया.

कई डिजाइन बदले, अब 3D का इस्‍तेमाल
डॉलर की करेंसी को अब तक कई बार डिजाइन किया जा चुका है. साल 2013 में 100 डॉलर का नोट रीडिजाइन कर इसमें 3D रिबन जोड़ा गया. 1 डॉलर से कम की मुद्रा को चलन में लाने के लिए सेंट का इस्‍तेमाल शुरू हुआ. 1 डॉलर में 100 सेंट होते हैं. 50 सेंट को हॉफ डॉलर, 25 को क्‍वार्टर डॉलर और 10 सेंट को डाइम और 5 सेंट के सिक्‍के को निकल कहा गया, जबकि 1 सेंट पेनी के नाम जाना जाता है.

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कई देशों में चलता है डॉलर, लेकिन बॉस सिर्फ एक
वैसे देखा तो डॉलर कई देशों की मुद्रा है और ऑस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड, सिंगापुर समेत तमाम देश अपनी मुद्राएं डॉलर में ही चलाते हैं. बावजूद इसके 180 देशों में सिर्फ अमेरिकी डॉलर का ही ‘सिक्‍का’ चलता है. अगर दुनियाभर के मुद्रा संग्रह को देखा जाए तो 66 फीसदी हिस्‍सेदारी सिर्फ डॉलर की है. दुनियाभर के देश आज अपनी मुद्रा की अहमियत भी डॉलर के सापेक्ष ही आंकते हैं.

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