खुशखबरी! जल्द सस्ते हो सकते हैं खाने के तेल, सरकार ने दी यह बड़ी राहत

सस्ते हो सकते हैं खाने के तेल
सरसों (Mustard oil), तिल और मूंगफली जैसे खाने के तेल जल्द सस्ते हो सकते हैं. केन्द्र सरकार (Central Government) ने इन तेलों से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के चलते कारोबारियों को तो राहत मिली ही है, लेकिन ग्राहकों को भी राहत मिलने वाली है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 4, 2021, 1:17 PM IST
नई दिल्ली: सरसों (Mustard oil), तिल और मूंगफली जैसे खाने के तेल जल्द सस्ते हो सकते हैं. केन्द्र सरकार (Central Government) ने इन तेलों से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के चलते कारोबारियों को तो राहत मिली ही है, लेकिन ग्राहकों को भी राहत मिलने वाली है. अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ की कोशिशों के बाद ये संभव हुआ है. महासंघ की मांग पर अब सरकार खाने के तेलों में जांच के दौरान एक खास बैलियर टर्बीडिटी टेस्ट (BTT) की जांच नहीं कराएगी. बाकी सारी जांच में पास होने के बावजूद भारतीय तेल (Indian oil) बीटीटी में फेल हो रहे थे. इसके कई प्राकृतिक कारण थे.
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया, “हमने बीटीटी परीक्षण के बारे में बार-बार प्रशासन को अवगत कराया था की हमारे देशी तेल जैसे कि सरसों तेल, तिल का तेल, मूंगफली तेल बाकी सब मापदंडों में खरे उतरने के बावजूद भी जांच में बार-बार और अधिकतर फेल हो रहे हैं.
जिससे व्यापारी देसी तेल का व्यापार करने से कतराने लगे हैं. और साल दर साल तिलहन के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है. जिसके चलते हमें तेलों के आयात पर निर्भर होना पड़ रहा है. और इस सब के चलते भारत सरकार को भी खाद्य तेल पर राजस्व का बहुत बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है.”
पॉड टैक्सी के लिए 60 करोड़ में तैयार होता है एक किमी तक का ट्रैक, जानिए क्या है यहबीटीटी में यह हैं प्राकृतिक कारण
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है, “हमने इस विषय को सरकार को गंभीरता पूर्वक सोचने को कहा था और भारत सरकार की वैज्ञानिक समिति के समक्ष इस विषय को रखा और बताया था कि परीक्षण के मापदंड बहुत पुराने हो चुके हैं. मिट्टी में, बीजों में, खाद में और यहां तक की पानी में कई तरह के परिवर्तन आ चुके हैं, इसलिए इनके अनुरूप परीक्षण के नए आयाम स्थापित करने चाहिए.

सरकार ने हमारी इस विनंती को मानते हुए सरकार ने अब तेलों के टेस्ट में से बीटीटी टेस्ट को ही निकाल दिया है. जो कि संगठन की बहुत बड़ी जीत है क्योंकि जो व्यापारी इसकी वजह से देसी तेलों का व्यापार नहीं कर पा रहे थे वह अब निश्चिंत होकर व्यापार कर सकेंगे.” गौरतलब रहे महासंघ ने इससे पहले जीवन आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 कानून निरस्त करवाया था और एफएसएसएआई के कई प्रावधानों में बदलाव कराने में भी सफल हुआ है.
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया, “हमने बीटीटी परीक्षण के बारे में बार-बार प्रशासन को अवगत कराया था की हमारे देशी तेल जैसे कि सरसों तेल, तिल का तेल, मूंगफली तेल बाकी सब मापदंडों में खरे उतरने के बावजूद भी जांच में बार-बार और अधिकतर फेल हो रहे हैं.
जिससे व्यापारी देसी तेल का व्यापार करने से कतराने लगे हैं. और साल दर साल तिलहन के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है. जिसके चलते हमें तेलों के आयात पर निर्भर होना पड़ रहा है. और इस सब के चलते भारत सरकार को भी खाद्य तेल पर राजस्व का बहुत बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा है.”
महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है, “हमने इस विषय को सरकार को गंभीरता पूर्वक सोचने को कहा था और भारत सरकार की वैज्ञानिक समिति के समक्ष इस विषय को रखा और बताया था कि परीक्षण के मापदंड बहुत पुराने हो चुके हैं. मिट्टी में, बीजों में, खाद में और यहां तक की पानी में कई तरह के परिवर्तन आ चुके हैं, इसलिए इनके अनुरूप परीक्षण के नए आयाम स्थापित करने चाहिए.
सरकार ने हमारी इस विनंती को मानते हुए सरकार ने अब तेलों के टेस्ट में से बीटीटी टेस्ट को ही निकाल दिया है. जो कि संगठन की बहुत बड़ी जीत है क्योंकि जो व्यापारी इसकी वजह से देसी तेलों का व्यापार नहीं कर पा रहे थे वह अब निश्चिंत होकर व्यापार कर सकेंगे.” गौरतलब रहे महासंघ ने इससे पहले जीवन आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 कानून निरस्त करवाया था और एफएसएसएआई के कई प्रावधानों में बदलाव कराने में भी सफल हुआ है.