दुकानों और गोदामों में अक्सर आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं.
नई दिल्ली. भारत को दुनिया की फैक्ट्री बनाने का सपना लिए सरकार के सामने फैक्ट्रियों और गोदामों में आए दिन हो रहे आगजनी के हादसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं. नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन ने इसके कारणों को खोजा और अब सरकार से मानकों में बदलाव की सिफारिश की है. एसोसिएशन का कहना है कि आग लगने के ज्यादातर हादसे बिजली के तार में शार्ट सर्किट या तार चलने की वजह से होते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हमें इस दिशा में कारगर कदम उठाने चाहिए.
आगजनी की इन घटनाओं से चिंतित भारतीय विद्युत उद्योग के विशेषज्ञों ने इलेक्ट्रिक उत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. उनका मानना है कि यही सबसे सही समय है जब भारत सरकार को गंभीर होने और उत्पाद की गुणवत्ता को सुधारने की जरूरत है. नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन के अनुसार, बिजली के झटके और बड़े पैमाने पर आग लगने की घटानाएं 69 फीसदी घटिया अथवा टूटे हुए बिजली उपकरणों के कारण होती हैं.
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बीआईएस को उठाने होंगे और कदम
एसोसिएशन ने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) वैसे तो इा मामले में सजग है, लेकिन अभी उसका जोर साधारण तारों के मानकों को लेकर ज्यादा नहीं है. बीआईएस अभी भी केवल पीवीसी इंसुलेटेड तारों को अनिवार्य करता है जो सिर्फ 70 डिग्री सेल्सियस तक तापमान का सामना कर सकते हैं. भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देश में तो गर्मी के मौसम में तापमान 50 डिग्री तक चला जाता है, जो ऐसे घटिया तारों से आग लगने की घटनाओं को बुलावा देता है. यह पीवीसी इंसुलेशन जहरीला धुआं भी छोड़ता है जो आग लगने के दौरान लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है.
देश में हर दिन जाती है 50 लोगों की जान
एक अध्ययन के अनुसार, बिजली से संबंधित आग के कारण भारत में हर दिन 50 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है और यह स्थिति सरकार से कदम उठाने और यह सुनिश्चित करने की मांग करती है कि भारतीय उत्पाद विश्व स्तर पर बराबरी वाले हों. इससे घरेलू बाजार को बेहतर उत्पाद और संबंधित सेवाएं प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही कीमती विदेशी मुद्रा की बचत करने वाले आयात पर भी लगाम लगेगी. इलेक्ट्रिकल कंसल्टेंसी क्षेत्र में काम करने वाले अजीत कुलकर्णी कहते हैं कि करीब सभी तरह के वायर्स से लगने वाली आग मूल रूप से इलेक्ट्रिकल गलतियों की वजह से होती है.
…तभी आएंगी विदेशी कंपनियां
भारत वर्तमान में ‘मेक इन इंडिया’ अवधारणा के लिए अभियान चला रहा है और हम विदेशी निर्माताओं को भारत में आमंत्रित कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि हम बिना गुणवत्ता और वैश्विक मानक बनाए दुनिया को कैसे आमंत्रित कर सकते हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा, हमारे मानक अन्य देशों में निर्धारित मानदंड से नीचे हैं. हमें इस पर फिर से विचार करने की तत्काल आवश्यकता है.
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