आग लगने की घटनाएं ज्यादातर शॉर्ट सर्किट से होती हैं.
नई दिल्ली. इलेक्ट्रिकल केबल उद्योग के निर्माताओं और इस इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स ने देशभर में कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल भवनों में बिजली की आग के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है. उन्होंने इसके लिए असंगठित खिलाड़ियों या कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया है, जिनकी उद्योग में बाजार हिस्सेदारी लगभग 35% है. आरोप लगाया है कि असंगठित खिलाड़ी रिसाइकल्ड तांबे और पीवीसी का इस्तेमाल करते हैं और लंबे समय से जीएसटी देने से भी बचते रहे हैं, जिसका उन्हें लोकल मार्केट फायदा मिलता है.
आरएसपी डिजाइन कंसल्टेंट्स के सलाहकार और पूर्व निदेशक गोपाल राव का कहना है कि ज्यादातर मामलों में शॉर्ट सर्किट को जिम्मेदार ठहराया जाता है. इससे बचने के लिए लोगों से प्रतिष्ठित ब्रांडों के बने उत्पादों को ही चुनना चाहिए, जिनकी गुणवत्ता को सरकारी एजेंसियों की ओर से परखा जाता है. अगर कुछ पैसे बचाने के लिए असंगठित स्थानीय उत्पादों से काम चलाएंगे जिनकी क्वालिटी घटिया किस्म की होती है, तो हादसों को रोका नहीं जा सकेगा.
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20 हजार करोड़ के बाजार में बड़ी हिस्सेदारी
बिल्डिंग वायर का मार्केट लगभग 20,000 करोड़ का है, लेकिन उनमें से ज्यादातर पीवीसी या एफआरएलएस इंसुलेटेड तार बेचते हैं. ऐसे तार का इस्तेमाल बिल्डिंग में किए जाने से हादसों को बढ़ावा मिलता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, बिजली से आग लगने के कई कारण होते हैं जैसे ओवरलोडिंग, ढीले कनेक्शन, इन्सुलेशन में कमी, खराब कंडक्टर, मानवीय गलती आदि. इन आग दुर्घटनाओं से न सिर्फ संपत्ति का नुकसान होता है, बल्कि कई जानें भी जा चुकी हैं. इसे रोकने में लोड के अनुसार कंडक्टर का चुनाव, उचित इन्सुलेशन और क्वालिटी कंट्रोल का महत्वपूर्ण रोल होता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि अच्छी क्वालिटी वाले केबल को अगर ठीक से फिट किया गया है और उनसे कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है तो सालों साल चलना चाहिए. इसलिए चाहे बिजली के उपकरण भारतीय मानक वाले हों या अंतर्राष्ट्रीय मानक हो, सही उपकरण और इंस्टालेशन ज्यादा मायने रखते हैं. एक सर्किट के ओवरलोड हो जाने से ज्यादातर घटनाएं सामने आती हैं और यह ओवरलोडिंग पीवीसी इन्सुलेशन की कमी और लाइव सर्किट कंडक्टर के एक’दूसरे के संपर्क में आने से होता है. बड़ी आग दुर्घटनाओं में ज्यादातर लोगों की मौत जहरीले धुएं के सांस लेने और दम घुटने से होती है.
कैसे कर सकते हैं बचाव
गोपाल राव का कहना है कि वायर के सही प्रकार और आकार चुनना जरूरी है और यूजर्स को केवल क्लास 2 कंडक्टर वाले तारों पर ही जोर देना चाहिए. पीवीसी या कम धुएं वाले पीवीसी (एफआरएलएस) इन्सुलेशन वाले तारों से बचना चाहिए और कंडक्टर 99.97% शुद्धता के साथ ईसी ग्रेड कॉपर का होना चाहिए. उन्होंने यह भी सलाह दी कि मल्टी-पिन सॉकेट्स का उपयोग करके ओवरलोड न करें, जिसके परिणामस्वरूप सर्किट सॉकेट या वायर रेटिंग के 70% से अधिक लोड ले सकता है.
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