नई दिल्ली. ईएलएसएस (Equity Linked Saving Scheme) में अगर आप निवेश (Investment) करते हैं तो इसके जरिये भी टैक्स बचा (Tax Saving) सकते हैं. कई लोग इसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी कहते हैं. इसमें तीन साल का लॉक-इन पीरियड होता है. इस दौरान आप स्कीम से पैसा नहीं निकाल सकते हैं. ईएलएसएस (ELSS) में निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनेफिट मिलता है. 80C में एक फाइनेंशियल ईयर (Financial Year) में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है.
ईएलएसएस में आप जो रकम निवेश करते हैं, उसके ज्यादातर हिस्से को म्यूचुअल फंड शेयर मार्केट में लगाती हैं. इस कारण टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले इसमें अस्थिरता और जोखिम ज्यादा रहता है. टैक्स सेविंग एफडी के मामले में निवेश के समय ही यह पता चल जाता है कि आपको कितना रिटर्न मिलेगा. लेकिन ईएलएसएस में वास्तविक रिटर्न का अनुमान लगा पाना मुश्किल होता है क्योंकि इसका प्रदर्शन शेयर मार्केट से जुड़ा होता है.
एकमुश्त पैसा न लगाएं
ईएलएसएस म्यूचुअल फंड स्कीम्स में एसआईपी के जरिए या फिर एकमुश्त निवेश किया जा सकता है. निवेश एवं टैक्स सलाहकार (Investment and Tax Advisor) बलवंत बताते हैं कि शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ाव के कारण ईएलएसएस में कभी भी एकमुश्त निवेश नहीं करना चाहिए. एसआईपी (SIP) के जरिये हर महीने निवेश करें. इसमें जोखिम का खतरा कम होता है. फंड हाउस भी लोगों को मिनिमम 500 रुपये से ELSS में निवेश शुरू करने की सलाह देते हैं.
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अधिकतम बचा सकते हैं 46,800 रुपये, ये रहा कैलकुलेशन
बलवंत जैन बताते हैं कि टैक्स सेविंग फंडों में निवेश की अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन 80C के तहत एक फाइनेंशियल ईयर में केवल 1.5 लाख रुपये तक ही डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. ELSS में एक फाइनेंशियल ईयर में निवेश कर आप अधिकतम 48,600 रुपये की टैक्स बचत कर सकते हैं. इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं है. मान लीजिए, आप ईएलएसएस में एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं तो 30 फीसदी के उच्च टैक्स स्लैब के हिसाब से आपको 45,000 रुपये का टैक्स बेनेफिट मिलेगा. इसके अलावा, 4 फीसदी सेस यानी 1,800 रुपये की और बचत होगी. इस तरह, आप ELSS में निवेश पर एक फाइनेंशियल ईयर में अधिकतम 46,800 रुपये बचा सकते हैं.
…तो 10 साल में बना सकते हैं इतने लाख का फंड
बलवंत जैन का कहना है कि ELSS शेयर मार्केट से लिंक्ड होता है, इसलिए रिटर्न का वास्तविक अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. लेकिन, माना जाता है कि ईएलएसएस में निवेश पर हर साल औसतन 12 फीसदी तक रिटर्न मिल जाता है. ऐसे में अगर आप ELSS में एक लाख रुपये डाल देते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से 10 साल में आप 3,10,584.82 रुपये के मालिक बन जाते हैं.
मैच्योरिटी पर पैसा निकालने पर टैक्स
ELSS में लॉकइन पीरियड खत्म होने के बाद स्कीम से पैसा निकालते हैं तो उस पर टैक्स लगता है. मौजूदा टैक्स नियमों के मुताबिक, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में एक साल से ज्यादा समय तक लगाए गए पैसे पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. एक फाइनेंशियल ईयर में अगर ईएलएसएस म्यूचुअल फंड से गेन्स एक लाख रुपये से ज्यादा हुआ है तो बिना इंडेक्सेशन बेनिफिट 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. एक लाख रुपये तक का गेन टैक्स के दायरे में नहीं आता है.
ऐसे कर सकते हैं निवेश
-ईएलएसएस में निवेश के लिए केवाईसी जरूरी है.
-फंड हाउस के ब्रांच ऑफिस या रजिस्ट्रार ऑफिस में चेक के साथ फॉर्म भरना पड़ता है. फंड हाउस की वेबसाइट या एग्रीगेटर्स के जरिये ऑनलाइन भी ईएलएसएस में निवेश कर सकते हैं.
-निवेश शुरू होने पर फोलियो नंबर मिलता है, जिसकी मदद से भविष्य में ईएलएसएस योजनाओं में निवेश कर सकते हैं.
-ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश के वक्त निवेशकों के पास कुछ विकल्प रहते हैं. इनमें ग्रोथ, डिविडेंड और डिविडेंड रीइंवेस्टमेंट ऑप्शन शामिल हैं.
-ग्रोथ ऑप्शन में निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान नहीं किया जाता है. स्कीम को भुनाते या इससे स्विच करते समय ही गेन्स/लॉस मिलता है.
-डिविडेंड ऑप्शन में निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान होता है. हालांकि, डिविडेंड का डिक्लेरेशन पूरी तरह फंड हाउस पर निर्भर करता है. डिविडेंड टैक्सेबल होता है.
-डिविडेंड रीइंवेस्टमेंट ऑप्शन में फंड हाउस जिस डिविडेंड की घोषणा करते हैं, उसे दोबारा स्कीम में निवेश कर दिया जाता है.
-डिविडेंड के रीइंवेस्टमेंट का भी लॉकइन पीरियड होता है.
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