नई दिल्ली. पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क पर की गई कटौती की भरपाई के लिए भारत सरकार 1 लाख करोड़ रुपये (करीब 13 अरब डॉलर) का उधार लेगी और राजस्व के तौर पर छोड़ देगी. ब्लूमबर्ग ने मामले से जुड़े लोगों के हवाले से लिखा है कि जीएसटी और आयकर के जरिए किए गए उच्च संग्रह का इस्तेमाल गरीबों को दी जाने वाली खाद्य व उर्वरक सब्सिडी पर अतिरिक्त खर्च के रूप में किया जाएगा.
सूत्रों के अनुसार, ईंधन पर की गई उत्पाद शुल्क की कटौती की भरपाई मार्केट से अतिरिक्त उधार लेकर की जाएगी. बता दें कि इस पर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. जानकारों का मानना है कि यह भारत के बॉन्ड मार्केट को झकझोर सकता है जहां 10-वर्षीय बेंचमार्क नोट्स पर पिछले एक महीने में प्रतिफल बढ़ गया है. आरबीआई पहले ही असामयिक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर लोगों को हैरान कर चुका है.
उत्पाद शुल्क में की गई बड़ी कटौती
केंद्र सरकार ने ईंधन की बढ़ती कीमतों पर लगाम खींचने के लिए शनिवार को पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क घटा दिया था. इसके बाद देश में पेट्रोल व डीजल की उच्च कीमतों से ग्राहकों को कुछ राहत मिली है. हालांकि, इससे सरकारी खजाने पर 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. इसके अलावा उज्जवला योजना के लाभार्थियों को घरेलू गैस पर प्रति सिलिंडर 200 रुपये की छूट मिलेगी. इससे सरकार पर करीब 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
रेटिंग एजेंसियों ने किया आगाह
ईंधन पर शुल्क कटौती के साथ राजस्व हानि ऐसे समय पर आई है जब रेटिंग एजेंसियां सरकार को रिकॉर्ड उधार को लेकर सरकार को आगाह कर रही हैं. उनका कहना है कि इससे राजकोषीय घाटा और बढ़ेगा. भारत सरकार की इस वित्त वर्ष में डेट जारी कर 14.3 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. यह उधार स्थानीय करेंसी में लिया जाएगा और बैंक व बीमा कंपनियां की इस सॉवरिन डेट की सबसे बड़ी खरीदार होंगी.
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Tags: Excise duty, Petrol and diesel