नई दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को नेटवर्क-18 के एमडी व ग्रुप एडिटर इन चीफ राहुल जोशी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू (Exclusive Interview FM Nirmala Sitharaman) में कहा कि चुनाव आते जाते रहेंगे, लेकिन महामारी से उबर रही देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत सहयोग की जरूरत है. वित्त मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दिमाग में यह संदेह कभी नहीं था कि यह बजट नीतिगत नुस्खे की तरह था, जो हमने पिछले बजट में रखे थे.” उन्होंने कहा कि महामारी से बाहर आ रही अर्थव्यवस्था बहुत ही सकारात्मक तौर पर उबरने के संकेत दे रही है. इसकी मदद के लिए हमें बिना किसी हिचकिचाहट के अधिक सहायता व प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि यह प्रक्रिया टिकाऊ तथा मजबूत हो.
बता दें कि 1 फरवरी 2022 यानी मंगलवार को पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री ने दो सप्ताह से कम समय में होने जा रहे विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) वाले पांच राज्यों के लिए किसी विशेष योजना का ऐलान नहीं किया. बता दें कि पिछले साल देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे और वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में इन चारों राज्यों के लिए कई अहम घोषणाएं की गई थीं.
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “इस बजट पर काम करने के शुरुआती चरण से ही हमारे दिमाग में कोई संदेह नहीं था कि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश यानी सरकार के लिए पूंजीगत व्यय को रखा जाना चाहिए. यहां तक कि पिछले साल 2021 में और 2021-22 के बीच सरकार के पूंजीगत व्यय में हमने काफी बढ़ोतरी की थी.”
इसी रफ्तार से आगे बढ़ना चाहती है सरकार
बता दें कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के लिए 7 चरण में 10 फरवरी से 7 मार्च 2022 के बीच मतदान होगा. सभी पांच राज्यों में मतों की गिनती 10 मार्च 2022 को होगी. इन राज्यों में संसद के 145 सदस्य हैं, जिसमें लोकसभा के 102 और राज्यसभा के 43 सदस्य हैं.
वित्त मंत्री सीतारमण ने विस्तार से बताया कि इस वर्ष भी सरकार गति को जारी रखना चाहती है और राज्यों को उनके बुनियादी ढांचे के खर्च के साथ आगे बढ़ने में जितनी जरूरी हो उतनी मदद करना चाहती है. उन्होंने कहा, “इसलिए शुरू से ही मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री के दिमाग में यह स्पष्टता थी कि केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण पर सार्वजनिक खर्च से विकास को सुनिश्चित और सतत रखा जाना चाहिए.” उन्होंने कहा कि सरकार का मानना था कि इससे निजी निवेश के लिए रास्ता बनेगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या बजट तैयार करते समय चुनावों को भी ध्यान में रखा गया था, वित्त मंत्री ने कहा, “नहीं. वास्तव में हमने सोचा कि अर्थव्यवस्था अच्छा करती है और अगर विकास ने वैसी रफ्तार पकड़ी है, तो इसका मल्टीप्लायर इफेक्ट होता है.”
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