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Explainer : घर खरीदें या किराये पर रहें? किससे मिलेगा ज्‍यादा फायदा, समझें दोनों में अपने फायदे का गणित

ज्‍यादातर नौकरीपेशा लोगों के सामने एक समय के बाद घर खरीदने को लेकर संशय की स्थिति बन जाती है.

ज्‍यादातर नौकरीपेशा लोगों के सामने एक समय के बाद घर खरीदने को लेकर संशय की स्थिति बन जाती है.

आप अगर घर खरीदने या किराये पर रहने में से कोई फैसला करते हैं तो आपकी छोटी और लंबी दोनों अवधि की वित्‍तीय स्थिति पर सीधा ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

45 लाख रुपये के होम लोन पर करीब-करीब 45 हजार रुपये तक ईएमआई चुकानी होगी.
60 लाख रुपये तक‍ की प्रॉपर्टी पर इस समय औसतन 17 हजार रुपये तक किराया है.
रेपो रेट घटने और बढ़ने का होम लोन की ईएमआई पर भी सीधा असर पड़ता है.

नई दिल्‍ली. देश के छोटे शहरों, कस्‍बों, गांवों से लोग नौकरी, प्रोफेशन या बिजनेस के लिए मेट्रोपॉलिटिन और कॉस्‍मोपॉलिटिन शहरों का रुख करते हैं. शुरुआती दौर में किराये पर रहने के बाद जब कमाई ठीकठाक होने लगती है तो लोगों के दिमाग में सबसे पहला ख्‍याल मकान या फ्लैट खरीदने का आता है. हालांकि, इस दौरान ज्‍यादातर लोगों के दिमाग में ये सवाल बार-बार उठता है कि क्‍या अपना घर खरीदना किराये पर रहने से बेहतर रहेगा? आज हम ऐसे कुछ प्‍वाइंट्स पर चर्चा करेंगे, जिससे आपको इस सवाल का जवाब तलाशने में कुछ हद तक मदद मिलेगी.

आप अगर घर खरीदने या किराये पर रहने में से कोई फैसला करते हैं तो आपकी छोटी और लंबी दोनों अवधि की वित्‍तीय स्थिति पर सीधा असर पड़ता है. आप अपना फैसला अपनी मौजूदा आर्थिक हालत, भविष्‍य के वित्‍तीय लक्ष्‍य, आने वाले बड़े खर्च, संभावित इमरजेंसी फंड्स की दरकार, सामाजिक परिस्थितियों के आधार पर तय करते हैं. आसान शब्‍दों में समझें तो आप तय करते हैं कि अगले 20 साल में आपको कौन-कौन से बड़े खर्च करने हैं, तब तक आपकी आर्थिक हालत कैसी होगी और आपको होम लोन के एवज में कितना भुगतान करना होगा?

घर खरीदने या किराये पर लेने में शुरुआती खर्च

अगर आप दिल्‍ली या नोएडा में 60 लाख रुपये तक का फ्लैट किराये पर लेते हैं तो आपको हर महीने औसतन 12-17 हजार रुपये का भुगतान करना होगा. इसमें मेंटेनेंस फीस भी शामिल है. वहीं, अगर आप यही घर खरीदते हैं तो आप 60 लाख रुपये की कीमत पर 15 लाख रुपये डाउन पेमेंट करेंगे. बाकी 45 लाख रुपये आप बैंक से होम लोन लेंगे. इस पर आपको करीब-करीब 40-45 हजार रुपये तक ईएमआई चुकानी होगी. साफ है कि घर खरीदने पर आप पर एकसाथ दो बड़े खर्च का बोझ पड़ेगा. पहला, एकमुश्‍त दिया जाने वाला डाउन पेमेंट और इसके बाद हर महीने की भारी-भरकम किस्‍त. वहीं, रेपो रेट बढ़ने या घटने का असर ईएमआई पर भी पड़ेगा.

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लंबी अवधि में कितना पड़ेगा आर्थिक बोझ

अगर आप 20 साल की अवधि का होम लोन लेकर आज कोई प्रॉपर्टी 60 लाख रुपये में खरीदते हैं तो कर्ज खत्‍म होते इस घर की कीमत आपको दोगुने के आसपास पड़ती है.

घर की कीमत – 60 लाख रुपये
डाउन पेमेंट – 15 लाख रुपये
औसत ईएमआई – 45,000 X 12 X 20 = 1,08,00,000 रुपये
कुल कीमत – 1,23,00,000 रुपये

वहीं, अगर किराये में सामान्‍य वृद्धि के आधार पर मानें तो औसतन इतनी कीमत के फ्लैट के लिए आपको अगले 20 साल में 20 हजार रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा. ऐसे में आप अगले 20 साल में सिर्फ 48 लाख रुपये का भुगतान करेंगे. साफ है कि किराये के मकान में रहना ज्‍यादा फायदे का सौदा है.

मकान-फ्लैट के दाम में हो रहा कम इजाफा

आप अपने घर के लिए किए गए ज्‍यादा भुगतान को सही साबित करने के लिए ये तर्क भी दे सकते हैं कि अगले 20 साल में उसकी कीमत में भी बड़ा उछाल आएगा. हम आपको बता दें कि हाल के वर्षों के ट्रेंड को देखते हुए कहा जा सकता है कि पहले की तरह अब प्रॉपर्टी के दाम में बहुत ज्‍यादा बढ़ोतरी नहीं हो रही है. पहले 4 या 5 साल में प्रॉपर्टी की कीमत दोगुना हो जाती थी, लेकिन अब 10 साल में दोगुना होने का दावा भी नहीं किया जा सकता है.

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नौकरी बदलने के साथ बदल सकती है जगह

मौजूदा दौर में ज्‍यादातर युवा तेजी से नौकरी बदलने में ज्‍यादा भरोसा करते हुए नजर आते हैं. इससे उन्‍हें पद और वेतन दोनों में तेजी से बड़ा फायदा मिल जाता है. इसमें सबसे बड़ी बात यही है कि आपके बहुत लंबे समय तक एक ही शहर में रहना भी तय नहीं होता है. कुछ लोगों को तो ये भी पक्‍का पता नहीं होता कि वे भारत में कब तक काम कर पाएंगे. इसके अलावा दिल्‍ली, मुंबई जैसे कुछ शहर इतने बड़े हैं कि उनमें एक जगह से दूसरी जगह जाने में ही घंटों का वक्‍त लग जाता है. ऐसे में आपको यह खुद तय करना होगा कि आपको किराये पर घर लेना है या अपना घर खरीदना है.

कोरोना के बाद काफी बदली है तस्‍वीर

रियल एस्‍टेट एक्‍सपर्ट प्रदीप मिश्रा का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद लोगों के लिए अपना घर फाइनेंशियल से ज्‍यादा सिक्‍योरिटी और मानसिक सुकून का मामला बन गया है. उन्‍होंने बताया कि दिल्‍ली एनसीआर में कोरोना के बाद फ्लैट की कीमतों में औसतन 20 फीसदी और जमीन के दाम में औसतन 80 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उन्‍होंने बताया कि इस समय लोगों की प्रायॉरिटी में अपना घर खरीद लेना है; यही नहीं, लोगों को अगर 2 बेडरूम, हॉल, किचिन फ्लैट की जरूरत है तो वो 3 बेडरूम, हॉल, किचिन का फ्लैट खरीद रहे हैं. उनके मुताबिक, कोरोना महामारी के दौरान विदेश में नौकरी करने वाले लोगों को भी ये समझ आया कि भारत में भी उनके पास कम से कम एक प्रॉपर्टी होनी चाहिए.

घर खरीदना ना हो तो क्‍या करें

अगर आप घर नहीं खरीदना चाहते हैं तो जिस फ्लैट में किराये पर रह रहे हैं उसकी ईएमआई कैलकुलेट करें. फिर उसमें से किराया घटाकर बाकी रकम एसआईपी में डाल सकते हैं. अब मान लीजिए कि आप किसी फ्लैट में 20,000 रुपये किराया देकर रहते हैं. इस घर को खरीदने पर आपको 45 हजार रुपये ईएमआई देनी होगी. अनुमानित ईएमआई में से किराया घटाएंगे तो 25 हजार रुपये बचेंगे. इस रकम को हर महीने सिप में निवेश करते रहें. अगर इस निवेश पर औसत 12 फीसदी सालाना रिटर्न मिले और कंपाउंडिंग का रूल लगाएं तो 20 साल में आपके पास 1 करोड़ से भी ज्‍यादा रकम इकट्ठी हो जाएगी. वहीं, अगर डाउन पेमेंट के 15 लाख को एकमुश्‍त निवेश कर दें तो कई निवेश विकल्‍पों में ये रकम भी तगड़ा रिटर्न दे देगी.

Tags: Bank rates, Home loan EMI, Property investment, Property market, Rental Housing Scheme

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