किसान द्वारा किए जा रहे आंदोलन पर खड़े हो रहे सवाल
(सुमंंथ रमन)
नई दिल्ली. पिछले कई दिनों से चल रहे किसान आंदोलन ने व्यापक रूप ले लिया है. केंद्र से आया प्रस्ताव ठुकराने के साथ ही किसानों ने अंबानी-अड़ानी (Ambani-Adani) के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. पिछले एक हफ्ते में पंजाब में 1500 जिओ (Jio) के टॉवर को नुकसान पहुंचाया, जिसमें से 25 टेलीकॉम टॉवर को काफी क्षतिग्रस्त किया गया, ये किसानों द्वारा किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन पर एक सवालिया निशान छोड़ रहा है. इन सब को देखते हुए लगता है जैसे ये जान बुझकर एक तय रणनीति के तहत जिओ को निशाना बनाया जा रहा है.
किसानों ने अंबानी-अड़ानी को बनाया निशाना
इससे पहले भी अंबानी-अड़ानी के उपर किसानों द्वारा निशाना साधा गया था. ये पहली बार नहीं है, जब किसान आंदोलन में ये दोनों कॉर्पोरेट घराने प्रदर्शनकारियों के निशाने पर आए हैं. करीब तीन महीने पहले जब यह आंदोलन पंजाब और हरियाणा तक सीमित था, तब भी सरकार के साथ ही अड़ानी-अंबानी ग्रुप के खिलाफ प्रदर्शन जारी हो चुके थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा निशाना साधते हुए ‘धर्म दा न साइंस दा, मोदी है रिलायंस दा’ जैसे नारे पंजाब के अलग-अलग शहरों में खूब गूंज रहे थे.
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हालांकि इस प्रकार की निंदा मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही चालू हो गई थी. लोगों का मानना है कि सरकार व्यापारियों को खास सुविधा मुहैया कराती है. देखा जाए तो व्यापारियों के लिए भी ये चिंता का विषय है कि उनकी सरकार के साथ घनिष्ठता की खबर से लोगों में आक्रोश की स्थिति बन रही है. इस तरह की बर्बरता से व्यापार और निवेशक भावना को नुकसान पहुंचता है. पंजाब को आम तौर पर एक निवेशक के हिसाब अनुकूल राज्य के रूप में पहचाना जाता है. लेकिन हाल ही की घटनाओं ने बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण राज्य को काफी नुकसान पहुंचाया है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो
सोशल मीडिया पर डीजल जनरेटर सेटों को जलाने और मोबाइल टॉवारों को नुकसान पहुचांने की वीडियो ने किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन पर एक प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. इससे ये साफ होता है कि ये बुझकर एक तय रणनीति द्वारा दंगा मचाने के लिए की गई घुसपैठ है. जिसका मकसद सिर्फ आतंक फैलाना है. पंजाब के मुख्यमंत्री, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आंदोलनकारी किसानों के लिए चेतावनी जारी की कि जो भी संपत्ति को नुकसान पहुंचाएगा, उसे खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. क्योंकि इस तरह की तोड़-फोड़ से कई टॉवरों की कनेक्टिविटी नहीं है.
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कोरोना काल में जब शिक्षा से लेकर वित्तीय लेनदेन तक सब ऑनलाइन किया जा रहा है. वैसे समय में इस तरह की हिंसा से काफी नुकसान पहुचेगा, जो पूरी तरह से निंदनीय है. टेलीकॉम टावरों में तोड़फोड़ से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई, व्यापारियों का बैंक लेनदेन सभी को प्रभावित कर रहे हैं. इस तरह की घटनाओं को देखते हुए किसान नेताओं ने भी अराजकता को समाप्त करने का आह्वान किया है लेकिन उनकी इस अपील का खास प्रभाव नहीं पड़ा है. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)
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Tags: Farmer Protest, Kisan Andolan, Kisan Bill
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