Farm Act-2020: सरकारी खरीद ज्यादा होने से बढ़ जाती है किसानों की आमदनी?

किसान ने कहा है कि वह कहीं नहीं जाएंगे और प्रदर्शन जारी रहेगा. (फाइल फोटो)
Farmers Protest: यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब का लेखाजोखा. क्यों उत्तर प्रदेश , बिहार जैसे बड़े राज्य किसानों की आय के मामले में फिसड्डी हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 6:58 PM IST
नई दिल्ली. कृषि एक्ट के विरोध किसानों का प्रदर्शन जारी है. किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा. किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर है. मोदी सरकार के नए कृषि कानून को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर छिड़े विवाद के बीच यह समझने की जरूरत है कि आखिर कौन सा राज्य किसानों से उनकी कितनी उपज की सरकारी खरीद कर रहा है. उससे किसानों को कितना फायदा पहुंच रहा है. कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की एक रिपोर्ट के मुताबिक रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं इस साल देश भर में सिर्फ 43.3 लाख किसानों से ही एमएसपी पर खरीदा गया है. यह आंकड़ा भी पांच साल में सबसे अधिक है. बाकी किसान निजी क्षेत्र पर निर्भर हैं. इस साल (2020-21) में हरियाणा और पंजाब ने खरीद घटा दी है. नए कृषि कानूनों के बाद इन दोनों सूबों के किसानों को यही चिंता सता रही है कि कहीं अगले साल खरीद और न घट जाए.
अगर सरकारी खरीद और डबलिंग फार्मर्स इनकम (DFI) कमेटी की रिपोर्ट का विश्लेषण करें तो साफ होता है कि जिन राज्यों में सरकारी खरीद ज्यादा है वहां पर किसानों की इनकम अच्छी है, जिनमें एमएसपी पर कम उपज खरीदी गई वहां के किसानों की आय सबसे कम है. उदाहरण के लिए यूपी, बिहार को ही लीजिए. जहां किसानों की उपज का सही दाम नहीं मिल पाएगा वहां आय कैसे बढ़ सकती है. आईए, राज्यवार खरीद और वहां की इनकम को समझते हैं.

यह भी पढ़ें: MSP पर धान की खरीद को लेकर हरियाणा सरकार ने लिया बड़ा फैसला
बिहार: यह गेहूं उत्पादक राज्य जरूर है लेकिन खरीद में सबसे निचले पायदान पर है. 2018-19 में अपने कुल उत्पादन का 0.3 फीसदी, 2019-20 में 0.5 परसेंट और 2020-21 में सिर्फ 0.1 फीसदी ही खरीद की है. मक्के की खरीद तो यहां पहले से ही एमएसपी पर नहीं होती और किसान व्यापारियों के हाथों ठगे जाते हैं. एफसीआई (FCI-Food Corporation of India) के मुताबिक यह धान की खरीद में (2019-20) भी पीछे ही है. इसने सिर्फ 20.3 लाख मिट्रिक टन धान ही खरीदा है.
किसानों की औसत सालाना आय: देश में सबसे कम सिर्फ 45,317 रुपये.
उत्तर प्रदेश: पिछले तीन साल से यूपी में भी गेहूं की खरीद लगातार घट रही है. एफसीआई के मुताबिक 2018-19 में यूपी ने अपने कुल उत्पादन का 16.6 फीसदी, 2019-20 में 11.3 फीसदी और 2020-21 में सिर्फ 11.1 फीसदी (35.5LMT) एमएसपी पर खरीदा. इसी तरह यहां 2019-20 में धान की खरीद भी सिर्फ 56.57 लाख मिट्रिक टन की ही की गई. यहां 1 जुलाई 2020 तक सरसों की जीरो खरीद थी. अब आप आसानी से समझिए कि यूपी बिहार के किसानों की इनकम क्यों सबसे कम है.
किसानों की औसत सालाना आय: 78,973 रुपये (सबसे कम आय वाले पांच राज्यों में शामिल)
मध्य प्रदेश: इसने इस साल (2020-21) में गेहूं की खरीद का रिकॉर्ड बना दिया है. अपने कुल उत्पादन का करीब 70 फीसदी (129.3 LMT) गेहूं सरकारी रेट पर खरीदा वो भी कोरोना महामारी के बीच. यह देश में सबसे अधिक है. जबकि 2018-19 में यहां कुल उत्पादन का 46 फीसदी और 2019-20 में 40.7 फीसदी (67.3 LMT) ही खरीदा था. हालांकि, इसने 2019-20 धान की खरीद सिर्फ 25.97 लाख मिट्रिक टन ही की थी. मूंग और मक्के की खरीद एमएसपी पर न होने की वजह से यहां के किसान पहले से ही गुस्से में हैं. फिर भी खेती-किसानी के कई मामलों में यूपी से बेहतर हालात हैं.
किसानों की औसत सालाना आय: 1,16,878 रुपये.
हरियाणा: यहां पर (2020-21) में गेहूं की खरीद पहले के मुकाबले काफी घट कर प्रदेश के कुल उत्पादन का सिर्फ 60.3 फीसदी (74 LMT) रह गई है. जबकि 2018-19 में यहां कुल उत्पादन का 81.6 फीसदी और 2019-20 में 74.1 फीसदी (93.2 LMT) खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई थी. एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक धान खरीद की बात करें तो यहां 2019-20 में 64.23 लाख मिट्रिक टन की खरीद हुई. हरियाणा ऐसा राज्य है जो धान की खेती को हतोत्साहित करके मक्का और दूसरी फसलों को बढ़ावा दे रहा है. यहां पर किसानों ने 1 लाख 18 हजार हेक्टेयर में इस साल (2020-21) धान की खेती नहीं की है. देश के करीब 25 फीसदी सरसों की खरीद अकेले हरियाणा ने की है.
किसानों की औसत सालाना आय: देश में दूसरे नंबर पर-1,87,225 रुपये है.

इसे भी पढ़ें: किसान आंदोलन के बाद अब PMFBY को लेकर कई राज्य उठाने वाले हैं बड़ा कदम

पंजाब: गेहूं और धान की खरीद करने के मामले में पंजाब हमेशा अव्वल रहता है. लेकिन इस साल (2020-21) में गेहूं की खरीद के मामले में इसके इस तमगे को मध्य प्रदेश ने छीन लिया. वैसे पिछले तीन साल की बात करें तो पंजाब ही पहले नंबर पर आएगा. साल 2018-19 में पंजाब सरकार ने अपने कुल उत्पादन का 71.2 फीसदी (126.9 LMT) और 2019-20 में 70.7 फीसदी गेहूं की खरीद की. जबकि 2020-21 में 69.8 फीसदी यानी 127.1 लाख मिट्रिक टन खरीदा. एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक एमएसपी पर सबसे अधिक धान की खरीद पंजाब ही कर रहा है. यहां 2019-20 में रिकॉर्ड 162.33 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा गया.
किसानों की औसत सालाना आय: देश में सबसे अधिक-2,30,905 रुपये.
अगर सरकारी खरीद और डबलिंग फार्मर्स इनकम (DFI) कमेटी की रिपोर्ट का विश्लेषण करें तो साफ होता है कि जिन राज्यों में सरकारी खरीद ज्यादा है वहां पर किसानों की इनकम अच्छी है, जिनमें एमएसपी पर कम उपज खरीदी गई वहां के किसानों की आय सबसे कम है. उदाहरण के लिए यूपी, बिहार को ही लीजिए. जहां किसानों की उपज का सही दाम नहीं मिल पाएगा वहां आय कैसे बढ़ सकती है. आईए, राज्यवार खरीद और वहां की इनकम को समझते हैं.

किसानों को मजबूत या कमजोर क्या बनाएगा कृषि कानून?
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बिहार: यह गेहूं उत्पादक राज्य जरूर है लेकिन खरीद में सबसे निचले पायदान पर है. 2018-19 में अपने कुल उत्पादन का 0.3 फीसदी, 2019-20 में 0.5 परसेंट और 2020-21 में सिर्फ 0.1 फीसदी ही खरीद की है. मक्के की खरीद तो यहां पहले से ही एमएसपी पर नहीं होती और किसान व्यापारियों के हाथों ठगे जाते हैं. एफसीआई (FCI-Food Corporation of India) के मुताबिक यह धान की खरीद में (2019-20) भी पीछे ही है. इसने सिर्फ 20.3 लाख मिट्रिक टन धान ही खरीदा है.
किसानों की औसत सालाना आय: देश में सबसे कम सिर्फ 45,317 रुपये.
उत्तर प्रदेश: पिछले तीन साल से यूपी में भी गेहूं की खरीद लगातार घट रही है. एफसीआई के मुताबिक 2018-19 में यूपी ने अपने कुल उत्पादन का 16.6 फीसदी, 2019-20 में 11.3 फीसदी और 2020-21 में सिर्फ 11.1 फीसदी (35.5LMT) एमएसपी पर खरीदा. इसी तरह यहां 2019-20 में धान की खरीद भी सिर्फ 56.57 लाख मिट्रिक टन की ही की गई. यहां 1 जुलाई 2020 तक सरसों की जीरो खरीद थी. अब आप आसानी से समझिए कि यूपी बिहार के किसानों की इनकम क्यों सबसे कम है.
किसानों की औसत सालाना आय: 78,973 रुपये (सबसे कम आय वाले पांच राज्यों में शामिल)
मध्य प्रदेश: इसने इस साल (2020-21) में गेहूं की खरीद का रिकॉर्ड बना दिया है. अपने कुल उत्पादन का करीब 70 फीसदी (129.3 LMT) गेहूं सरकारी रेट पर खरीदा वो भी कोरोना महामारी के बीच. यह देश में सबसे अधिक है. जबकि 2018-19 में यहां कुल उत्पादन का 46 फीसदी और 2019-20 में 40.7 फीसदी (67.3 LMT) ही खरीदा था. हालांकि, इसने 2019-20 धान की खरीद सिर्फ 25.97 लाख मिट्रिक टन ही की थी. मूंग और मक्के की खरीद एमएसपी पर न होने की वजह से यहां के किसान पहले से ही गुस्से में हैं. फिर भी खेती-किसानी के कई मामलों में यूपी से बेहतर हालात हैं.
किसानों की औसत सालाना आय: 1,16,878 रुपये.
हरियाणा: यहां पर (2020-21) में गेहूं की खरीद पहले के मुकाबले काफी घट कर प्रदेश के कुल उत्पादन का सिर्फ 60.3 फीसदी (74 LMT) रह गई है. जबकि 2018-19 में यहां कुल उत्पादन का 81.6 फीसदी और 2019-20 में 74.1 फीसदी (93.2 LMT) खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई थी. एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक धान खरीद की बात करें तो यहां 2019-20 में 64.23 लाख मिट्रिक टन की खरीद हुई. हरियाणा ऐसा राज्य है जो धान की खेती को हतोत्साहित करके मक्का और दूसरी फसलों को बढ़ावा दे रहा है. यहां पर किसानों ने 1 लाख 18 हजार हेक्टेयर में इस साल (2020-21) धान की खेती नहीं की है. देश के करीब 25 फीसदी सरसों की खरीद अकेले हरियाणा ने की है.
किसानों की औसत सालाना आय: देश में दूसरे नंबर पर-1,87,225 रुपये है.

यूपी, बिहार जैसे सूबों में किसानों की कम आय का कारण
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पंजाब: गेहूं और धान की खरीद करने के मामले में पंजाब हमेशा अव्वल रहता है. लेकिन इस साल (2020-21) में गेहूं की खरीद के मामले में इसके इस तमगे को मध्य प्रदेश ने छीन लिया. वैसे पिछले तीन साल की बात करें तो पंजाब ही पहले नंबर पर आएगा. साल 2018-19 में पंजाब सरकार ने अपने कुल उत्पादन का 71.2 फीसदी (126.9 LMT) और 2019-20 में 70.7 फीसदी गेहूं की खरीद की. जबकि 2020-21 में 69.8 फीसदी यानी 127.1 लाख मिट्रिक टन खरीदा. एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक एमएसपी पर सबसे अधिक धान की खरीद पंजाब ही कर रहा है. यहां 2019-20 में रिकॉर्ड 162.33 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा गया.
किसानों की औसत सालाना आय: देश में सबसे अधिक-2,30,905 रुपये.