अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Women Day 2020) के मौके पर हम आपको पिता की प्रॉपर्टी से जुड़े अधिकारों की जानकारी दे रहे है
नई दिल्ली. दिल्ली के मयूर विहार फेस -1 के पास एक गांव समसपुर में रहने वाली शालिनी बहुत ज्यादा पढ़ी-लिखी नही हैं. उनकी शादी भी कम उम्र में ही हो गई. इसीलिए उन्हें आर्थिक रूप से अपने पति पर ज्यादा निर्भर होना पड़ा. लेकिन पति और उनका परिवार उन्हें पीड़ित करता था. इसीलिए उन्होंने पति और उसके परिवार को छोड़ने का फैसला किया. ऐसे में फिर से उन्हें अपने पिता के घर लौटना पड़ा. लेकिन पिता की मृत्यु हो चुकी थी और भाई उन्हें पुरखों की जायदाद में हिस्सा नहीं देना चाहते. ऐसे में शालिनी के लिए अपने घर को चलाने के लिए पैसों की परेशानी आने लगी. देश की तमाम महिलाओं को कई बार ऐसे हालातों का सामना करता पड़ा हैं. इसीलिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Women Day 2020) के मौके पर हम आपको पिता की प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं...
आपको बता दें कि 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में संशोधन किया गया था. इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हिस्सा देने की बात कही गई है. क्लास 1 कानूनी वारिस (Legal heir) होने के नाते संपत्ति पर बेटी का बेटे जितना हक है. शादी से इसका कोई लेना-देना नहीं है. अपने हिस्से की प्रॉपर्टी पर दावा किया जा सकता है.
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(1) हिंदू कानून के तहत प्रॉपर्टी दो तरह की हो सकती है. एक पिता के द्वारा खरीदी हुई. दूसरी पैतृक संपत्ति होती है. जो पिछली चार पीढ़ियों से पुरुषों को मिलती आई है. कानून के मुताबिक, बेटी हो या बेटा ऐसी प्रॉपर्टी पर दोनों का जन्म से बराबर का अधिकार होता है.
कानून कहता है कि पिता इस तरह की प्रॉपर्टी को अपने मन से किसी को नहीं दे सकता है. यानी इस मामले में वह किसी एक के नाम वसीयत नहीं कर सकता है. इसका मतलब यह है कि वह बेटी को उसका हिस्सा देने से वंचित नहीं कर सकता है. जन्म से बेटी का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होता है.
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Tags: Business news in hindi, International Women Day
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