अमेरिका में महंगाई अभी 40 साल के शीर्ष पर है.
नई दिल्ली. जैसा कि पहले से अनुमान लगाया जा रहा था, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने वही फैसला किया और लगातार चौथी बार ब्याज दरों में 0.75 फीसदी बढ़ोतरी कर दी. भारतीय समय अनुसार बुधवार देर रात हुए इस फैसले का तत्काल असर भी दिखने लगा है और अमेरिका सहित तमाम देशों के शेयर बाजार आज गिरावट पर कारोबार कर रहे हैं. फेड रिजर्व के ताजा फैसले से अमेरिका में ब्याज दरें 15 साल के शीर्ष पर पहुंच गई हैं.
दरअसल, अभी अमेरिका में महंगाई सबसे बड़ी मुसीबत बनी हुई है और इस पर काबू पाने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपनी ब्याज दरें लगातार बढ़ा रहा है. फिलहाल यहां प्रभावी ब्याज दर बढ़कर 3.75 फीसदी से 4 फीसदी के दायरे में पहुंच गई है. यह डेढ़ दशक की सबसे ऊंची दर है. अगर साल 2022 की बात करें तो यह लगातार 6वीं बढ़ोतरी है, जिसमें से चार बार तो 0.75 फीसदी की वृद्धि की गई. चिंता की बात ये है कि इस ताबड़तोड़ बढ़ोतरी के बावजूद अमेरिका में खुदरा महंगाई नीचे नहीं आ रही, जो अभी 40 साल के उच्चतम स्तर पर चल रही है.
आगे राहत के आसार
अमेरिकी फेड रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने बैठक के बाद कहा कि महंगाई के काबू में आने तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती रहेगी. हालांकि, उन्होंने संकेत दिया है कि आगे होने वाली बढ़ोतरी कम अनुपात में की जाएगी. इसका मतलब है कि फेड रिजर्व अब अपनी ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी नहीं करेगा. कुछ एक्सपर्ट और विश्लेषकों का अनुमान है कि दिसंबर में होने वाली बैठक में फेड रिजर्व 0.50 फीसदी वृद्धि ब्याज दर में कर सकता है.
ब्याज बढ़ाने से अमेरिका को क्या फायदा
फेड रिजर्व के लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने से फिलहाल तो अमेरिका को कुछ ज्यादा फायदा नहीं दिख रहा है, लेकिन महंगाई को थामने का प्रयास कुछ हद तक सफल रहा है. फेड रिजर्व ने जबसे ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की है महंगाई और ज्यादा नहीं बढ़ी है. हालिया आंकड़ों को देखें तो अमेरिका में खुदरा ब्याज दरें अभी 8 फीसदी के आसपास ही स्थिर हैं.
अमेरिका को नुकसान क्या होगा
ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी होने से उपभोक्ताओं के लिए कर्ज महंगा होता गया है, जिसका असर उपभोक्ता खर्च पर भी पड़ रहा है. इससे विकास दर और मंद पड़ती जा रही है. यही कारण है कि दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां अमेरिका में मंदी की आशंका जता रही हैं. कर्ज महंगा होने से कारोबार की लागत भी बढ़ती जा रही है. इससे अमेरिका की बिजनेस एक्टिविटी पर भी असर पड़ रहा है, जो उसके रोजगार परिदृय को प्रभावित कर रहा है.
भारत और दुनिया पर क्या होगा असर
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाने का तात्कालिक असर तो आज शेयर बाजार पर ही दिख रहा है. इसकी वजह ये है कि अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट से भारतीय आईटी कंपनियों को नुकसान हुआ है और इसका असर आज बीएसई-एनएसई पर आईटी शेयरों में हो रही ट्रेडिंग पर भी दिख रहा है. आज सबसे ज्यादा गिरावट आईटी सेक्टर में ही आई है. इतना ही नहीं फेड रिजर्व ने साल 2022 में जबसे ब्याज दरें बढ़ानी शुरू की हैं, भारतीय आईटी कंपनियों के मुनाफे पर भी तगड़ा असर डाला है.
दूसरा बड़ा असर भारतीय मुद्रा पर दिखाई दे सकता है. अमेरिका अपने डॉलर को मजबूत बनाने के लिए भी ब्याज दरें बढ़ा रहा है और हालिया बढ़ोतरी के बाद डॉलर में फिर उछाल की संभावना दिख रही है, जिसका सीधा असर रुपये की गिरावट के रूप में होगा. यानी पिछले दिनों थोड़ा सुधार की ओर बढ़ रही भारतीय मुद्रा एक बार फिर दबाव में आ जाएगी.
मंदी को सीधा न्योता
आईएमएफ और विश्व बैंक सहित दुनिया की शीर्ष वित्तीय संस्थाएं कई बार इस बात की चेतावनी दे चुकी हैं कि ब्याज दरों में हो रही अंधाधुंध बढ़ोतरी से वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है. यूरोप और अमेरिका के केंद्रीय बैंक लगातार अपनी ब्याज दरें बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, नतीजतन इन दोनों क्षेत्रों में मंदी का सबसे ज्यादा खतरा भी पैदा हो रहा है. हालांकि, यूरोप और अमेरिका के मंदी के चपेट में आने का पूरी दुनिया पर गंभीर असर होगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Business news in hindi, Federal Reserve meeting, Inflation, Interest Rates, Recession
शादीशुदा जिंदगी में अपने पार्टनर से न रखें 5 उम्मीदें, रिश्ता रहेगा मजबूत, लाइफ खुलकर करेंगे एंजॉय
B'day Spl; 30 लाख में बनी और कमाए 9 करोड़ से ज्यादा, भोजपुरी की वो फिल्म; जिसने बदल दी मनोज तिवारी किस्मत
मुरली विजय के बाद 4 भारतीय खिलाड़ी जल्द कर सकते हैं संन्यास का ऐलान... एक तो 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेल चुका है