नई दिल्ली. सरकार ने अधूरी पड़ी आवास परियोजनाओं के लिए 25,000 करोड़ रुपये के कोष की घोषणा करने के एक दिन बाद गुरुवार को घर खरीदारों को सलाह दी है कि उन्हें अपने मौजूदा होम लोन (Home Loan) की बहाली अथवा अतिरिक्त कर्ज के लिए बैंकों में जाना चाहिये. इसके साथ ही सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऊंची अदालतों में मुकदमे में फंसी आवासीय परियोजनाओं को प्रस्तावित कोष से पूंजी नहीं दी जाएगी.
4.58 लाख घरों को मानने में मिलेगी
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को घोषित कोष के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब देते हुये कहा कि किसी एक परियोजना को इस वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) या विशेष व्यवस्था से अधिकतम 400 करोड़ रुपये की ही पूंजी दी जायेगी. माना जा रहा है कि सरकार के प्रस्तावित कोष से 1,508 अटकी पड़ी आवास परियोजनाओं की 4.58 लाख आवासीय इकाइयों को तैयार करने में मदद मिलेगी.
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वित्त मंत्रालय ने एफएक्यू जारी कर दिया जवाब
वित्त मंत्रालय ने बार - बार पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) का जवाब जारी करते हुए कहा , "घर खरीदारों को सलाह दी जाती है कि वे मौजूदा कानूनी एवं नियामकीय व्यवस्था के दायरे में अपने मौजूदा होम लोन को फिर से चालू कराने या अतिरिक्त कर्ज के लिए अपने - अपने कर्जदाताओं के पास जाएं." इसमें कहा गया है कि जिन परियोजनाओं के खिलाफ उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में मुकदमा चल रहा है उनमें प्रस्तावित कोष से निवेश नहीं किया जायेगा. मंत्रालय ने कहा कि यह विशेष व्यवस्था उन परियोजनाओं पर जोर देगी जो निर्माण के लिए पैसे की कमी होने की वजह से अटकी पड़ी हैं.
एनपीए या एनसीएलटी की प्रक्रिया से गुजर रहे परियोजनाओं को भी फंड
इसमें कहा गया, "यह कोष उन परियोजनाओं को भी दिया जा सकता है जो एनपीए की समस्या या फिर एनसीएलटी की प्रक्रिया से गुजर रही हैं और जिन्हें धन मिलने पर वह तुरंत बाद निर्माण कार्य शुरू कर सकती हैं." यह कोष पूंजी बाजार नियामक सेबी में पंजीकृत दूसरी श्रेणी का एआईएफ कोष होगा. इस कोष का प्रबंधन एसबीआईकैप वेंचर्स लिमिटेड करेगी.
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रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं पर भी विचार
एफएक्यू में कहा गया है कि इस कोष के तहत केवल रेरा में पंजीकृत सस्ती एवं मध्यम-आय आवासीय परियोजनाओं पर ही विचार किया जायेगा, जो कि पर्याप्त पूंजी नहीं होने की वजह से लटकी हुई हैं लेकिन उनका नेटवर्थ सकारात्मक होना चाहिए. इसमें कहा गया है कि ऐसी परियोजनाएं जो "बहुत जल्द पूरी होने वाली हैं" उन्हें वित्तपोषण में प्राथमिकता दी जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : November 07, 2019, 20:40 IST