EPF टैक्स लिमिट पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार है सरकार, वित्त मंत्री ने दिए संकेत

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक इंटरव्यू में ईपीएफ टैक्स लिमिट पर दोबारा विचार करने का संकेत दिया है. आम बजट 2021 में ही उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों को एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा.
- News18Hindi
- Last Updated: February 22, 2021, 2:02 PM IST
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि ज्यादा कमाई करने वाले कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि में बचत करने से सरकार को कोई परेशानी नहीं है. EPF में सालाना 2.5 लाख रुपये के योगदान के फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए वो तैयार हैं. इस महीने की शुरुआत में पेश किए आम बजट में वित्त मंत्री ने 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के सालाना योगदान पर टैक्स वसूलने का ऐलान किया था. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कर्मचारी भविष्य निधि अपने मौजूदा रूप में बना रहेगा. निकट भविष्य में ईपीएफ और नेशनल पेंशन स्कीम के विलय करने की कोई योजना नहीं है.
बिजनेस लाइन के साथ एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा, 'हम EPF को जारी रखना चाहते हैं. हम समझ सकते हैं कि लोगों के साथ यह एक आराम की बात है. खासतौर से मिडिल इनकम वाले लोगों के लिए, इससे उन्हें सुनिश्चित रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है.'
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उन्होंने कहा कि 2.5 लाख रुपये की लिमिट पर अभी भी चर्चा हो सकती है. मैं इस पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार हूं. लेकिन यह सिद्धांत की बात है. यहां हम उनकी बात कर रहे हैं जो प्रति महीने औसत भारतीयों की कमाई से ज्यादा की बचत कर रहे हैं. वित्त मंत्री ने बजट में प्रस्ताव पेश किया था कि कर्मचारी भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा.गौरतलब है कि पिछले बजट में पीएफ, एनपीएस और सुपर-एनुएशन फंड में कुल सालाना योगदान 7.5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर उस पर मिलने वाले इंट्रेस्ट को टैक्स के दायरे में रखा गया था. इससे बहुत ही कम कर्मचारी प्रभावित हुए थे, लेकिन बजट 2021-22 में किए गए नए प्रावधान से इसका दायरा विस्तृत हुआ है. अब करदाताओं की संख्या बढ़ेगी और इस तरह सरकार की आय में भी इजाफा होगी. खासकर स्वैच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund) के जरिये टैक्स फ्री ब्याज पाने वालों को इससे तगड़ा झटका लगा है. अब वे इसका फायदा नहीं उठा सकेंगे.
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कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते बड़े पैमाने पर नौकरियां गईं और व्यवसाय को भी काफी नुकसान हुआ. ऐसे में आम लोग आयकर स्लैब में बदलाव की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन मोदी सरकार ने उनकी आशाओं को पूरा नहीं किया. इस बार के बजट में इनकम टैक्स के स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. उसे पूर्ववत ही रखा गया है. इससे खासकर नौकरीपेशा लोगों को बड़ी निराशा हुई है.
बिजनेस लाइन के साथ एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री ने कहा, 'हम EPF को जारी रखना चाहते हैं. हम समझ सकते हैं कि लोगों के साथ यह एक आराम की बात है. खासतौर से मिडिल इनकम वाले लोगों के लिए, इससे उन्हें सुनिश्चित रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है.'
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उन्होंने कहा कि 2.5 लाख रुपये की लिमिट पर अभी भी चर्चा हो सकती है. मैं इस पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार हूं. लेकिन यह सिद्धांत की बात है. यहां हम उनकी बात कर रहे हैं जो प्रति महीने औसत भारतीयों की कमाई से ज्यादा की बचत कर रहे हैं. वित्त मंत्री ने बजट में प्रस्ताव पेश किया था कि कर्मचारी भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा.गौरतलब है कि पिछले बजट में पीएफ, एनपीएस और सुपर-एनुएशन फंड में कुल सालाना योगदान 7.5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर उस पर मिलने वाले इंट्रेस्ट को टैक्स के दायरे में रखा गया था. इससे बहुत ही कम कर्मचारी प्रभावित हुए थे, लेकिन बजट 2021-22 में किए गए नए प्रावधान से इसका दायरा विस्तृत हुआ है. अब करदाताओं की संख्या बढ़ेगी और इस तरह सरकार की आय में भी इजाफा होगी. खासकर स्वैच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund) के जरिये टैक्स फ्री ब्याज पाने वालों को इससे तगड़ा झटका लगा है. अब वे इसका फायदा नहीं उठा सकेंगे.
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