नई दिल्ली. विदेशी निवेशक भारत सहित एशिया की कुछ महत्वपूर्ण बाजारों से धड़ाधड़ अपने पैसे निकाल रहे हैं. हालात ये हैं कि इस सप्ताह तो उन्होंने अगस्त 2021 के बाद सबसे ज्यादा पैसे भारत, ताइवान और दक्षिण कोरिया के शेयर बाजारों से निकाले हैं. विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) की जबरदस्त बिकवाली से एशियाई बाजारों (Asian Stock Exchanges) पर भारी दबाव देखा जा रहा है.
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) और अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरों को बढाये जाने की आशंकाओं से विदेशी निवेशकों में भगदड़ मची है. पिछले सप्ताह ही भारत, ताइवान और दक्षिण कोरिया के बाजारों में विदेशी निवेशक बिकवाल रहे. उन्होंने करीब 3.1 billion डॉलर मूल्य के शेयर बेच दिये.
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ब्लूमबर्ग के अनुसार अभी तक विदेशी निवेशक इन तीनों देशों से 3.1 billion डॉलर की रकम निकाल चुके हैं. अगस्त 2021 के बाद एक सप्ताह में सबसे ज्यादा बिकवाली है. तब 4.9 बिलियन डॉलर कीमत के शेयर विदेशी निवेशकों ने बेचे थे. विदेशी निवेशकों की इस तरह ताबड़तोड़ बिकवाली से एशियाई बाजारों में गिरावट आ गई है. MSCI एशिया पैसेफिक इंडेक्स (Asia Pacific Index) दो सप्ताह में 5 फीसदी टूट चुका है. ताइवान और कोरिया के बैंचमार्क भी दबाव में हैं. भारत में भी शेयर बाजार (Stock Market) में पिछले कुछ दिनों से उथल-पुथल जारी है. सोमवार को बाजार करीब 1500 अंक टूट गया था. हालांकि मंगलवार को यह कुछ संभला.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर क्या फैसला लेगा, यह तो 26 जनवरी को ही पता चलेगा, लेकिन इसके ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की संभावनाओं ने ही एशियाई बाजारों में कंपकंपी चढ़ा रखी है. माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व महंगाई (Inflation) पर कंट्रोल करने के लिए इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी कर सकता है. यही वजह है कि बाजार में भारी बिकवाली है. विदेशी निवेशक भी भारत सहित अन्य एशियाई बाजारों से बिकवाल बने हुये हैं.
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मॉर्निंगस्टार में डायरेक्टर ऑफ एशिया इक्विटी, लॉरियेन टेन ने का कहना है कि यूक्रेन संकट के कारण विश्व में भू-राजनीतिक रिस्क बढ़ रहे हैं. इससे निवेशकों को निकट भविष्य में एनर्जी कॉस्ट बढ़ने की संभावना नजर आ रही है. अभी रिस्क बहुत हाई हैं. यही कारण है कि बाजारों से पैसे निकाले जा रहे हैं. विदेशी निवेशकों को लगता है कि यूक्रेन संकट कभी भी युद्ध का रूप ले सकता है. अगर, ऐसा होता है तो इससे वैश्विक आर्थिक गतिविधियों पर बहुत असर होगा. हालांकि दक्षिण एशिया की कुछ ऐसी मार्केट्स भी हैं जहां पर विदेशी निवेशक खरीददारी कर रहे हैं. इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड और वियतनाम में विदेशी निवेशक खरीददार हैं.
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