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वैश्विक अर्थव्यवस्था को उबरने में लग सकते हैं 5 साल, गरीबी भी बढ़ेगी: विश्व बैंक

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विश्व बैंक (World Bank) के प्रमुख अर्थशास्त्री कारमेन रेनहार्ट (Carmen Reinhart) का कहना है कि COVID-19 के मद्देनजर लगा ...अधिक पढ़ें

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    नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) को उबरने में करीब 5 साल तक लग सकता है. विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री कारमेन रेनहार्ट (Carmen Reinhart) ने गुरुवार को यह बात कही. रेनहार्ट ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही. इस दौरान उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट के बाद करीब 20 सालों में ऐसा पहली बार होगा कि वैश्विक स्तर पर गरीबी दर (Poverty Rate) में तेजी आएगी.

    बढ़ेगी आर्थिक असमानता
    उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन संबंधी सभी प्रतिबंधों के खत्म होने के बाद एक त्वरित तेजी देखने को मिलेगी. लेकिन, फुल रिकवरी में करीब 5 साल का वक्त लग सकता है. रेनहार्ट ने कहा कि कुछ देशों में अन्य के मुकाबले महामारी की वजह से आई मंदी का दौर लंबा होगा. अमीर देशों में रहने वाले गरीब वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि आर्थिक असामनता बढ़ेगी. इसी प्रकार अमीर देशों की तुलना में गरीब देशों की स्थित भी चुनौतीपूर्ण होगी.

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    हालिया सुधार के बाद भी अनिश्चितता बरकरार
    सितंबर के शुरुआत में ही डन एंड ब्रैंडस्ट्रीट की ‘देशों के जोखिम और वैश्विक परिदृश्य’ पर रिपोर्ट में कहा गया था कि अभी तक महामारी के बारे में कुछ वर्गीकरण नहीं किया जा सकता. कुछ अर्थव्यवस्थाओं में तीसरी तिमाही में गतिविधियां सुधरी हैं. इसका पता खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई), गूगल के मोबिलिटी आंकड़ों तथा मासिक आर्थिक आंकड़ों से चलता है.

    भारत में रिकवरी रेट बेहतर लेकिन बढ़ रहा संक्रमण
    इस रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया था कि यहां कोविड-19 से सुधार की दर सबसे अधिक है, लेकिन संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. सख्त लॉकडाउन उपायों का असर चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही पर भी दिखेगा.

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    चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 23.9 फीसदी की गिरावट आई है. रिपोर्ट में कह गया है कि भारत में उपभोक्ता मांग और निवेश पहले से घट रहा था, लॉकडाउन से यह और प्रभावित हुआ. (रॉयटर्स इनपुट सहित)

    Tags: Business news in hindi, Economy, Indian economy, World bank

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