भारतीय मानक ब्यूरो ने देश में ज्वैलरी की शुद्धता बनाए रखने के लिए छह अंकों वाला हॉलमार्क विशिष्ट पहचान अनिवार्य कर दिया है.
नई दिल्ली. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने देश में ज्वैलरी की शुद्धता (Purity of Jewelery) बनाए रखने के लिए छह अंकों वाला हॉलमार्क विशिष्ट पहचान (HUID) अनिवार्य कर दिया है. देश में चार और पांच अंकों वाली पुरानी हॉलमार्क ज्वैलरी (Hallmark Gold) की बिक्री पर अब पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. हालांकि, बीआईएस के इस फैसले का अब दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के व्यापारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. इन लोगों की मांग है कि चार या पांच अंकों वाली पुरानी हॉलमार्क की ज्वैलरी को छह अंकों वाली हॉलमार्क ज्वैलरी में बदलने का पूरा खर्चा अब सरकार उठाए.
रविवार को दिल्ली-एनसीआर के ज्वैलर्स एसोसिएशन की इस मुद्दे पर बैठक हुई है. इस बैठक में यह सहमति बनी है कि चार या पांच अंकों वाली पुरानी ज्वैलरी को छह अंकों वाले हॉलमार्क में परिवर्तन कराने पर आने वाला खर्च पूरी तरह से सरकार उठाए. ज्वैलर्स एसोसिएशन से जुड़े रमेश मनचंदा के मुताबिक, ‘व्यापारियों के पास चार और पांच अंकों वाली हॉलमार्किंग अरबों में पड़े हैं. ऐसे में अगर आप एक बार किसी ज्वैलरी पर हॉलमार्क कराते हैं तो उस पर 53.10 रुपये खर्च आता है. हमलोगों से 40.50 रुपये ज्वैलरी की शुद्धता देखने के बाद टैग के लिए लिए जाते हैं. इनमें 8.10 रुपये जीएसटी और 4.50 रुपये बीआईएस का खर्चा भी देना पड़ता है. ऐसे में दोबारा से अगर इतने ज्वैलरी पर फिर से छह अंकों वाला टैग लगाया जाएगा तो करोड़ों रुपये खर्च आएंगे, जिस पर सरकार को सोचना चाहिए.’
6 अंकों वाला हॉलमार्क ही अब मान्य
भारत में सोना खरीदने और इसमें निवेश करने का चलन बहुत ज्यादा है. खासतौर पर शादी-विवाह हो या फिर कोई त्यौहार भारतीय गोल्ड जरूर खरीदते हैं. लेकिन, कई बार किसी कारण से हमें सोना बेचना भी पड़ता है. ऐसे में आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि सोना बेचने के नियम में क्या बदलाव हुए हैं.
हॉलमार्किंग के नियम कब से हुए लागू
सोने की हॉलमार्किंग के नियम में एक बार फिर से 1 अप्रैल, 2023 से बदलाव होने वाले हैं. उपभोक्ता मंत्रालय के नए नियम के तहत एक अप्रैल से 6 डिजिट वाले अल्फान्यूमेरिक हॉलमार्किंग के बिना सोना नहीं बिकेगा. जैसे आधार कार्ड पर 12 अंकों का कोड होता है, उसी तरह से सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड होगा. इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं. मंत्रालय का कहना है कि अब केवल 6 अंकों वाला हॉलमार्क की मान्य होगा.
हॉलमार्किंग से ऐसे मिलती है सोने की शुद्धता की गारंटी
गोल्ड हॉलमार्किंग एक स्टैम्प है जो उपभोक्ताओं को उनके द्वारा खरीदे जा रहे सोने के आभूषणों की शुद्धता बताती है. मोदी सरकार ने 15 जनवरी 2021 से हॉलमार्किंग वाला सोना बेचना अनिवार्य किया था. हालांकि, यह पूरी तरह से 16 जून 2021 से स्वैच्छिक तौर पर लागू हुआ था. मोदी सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई से गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग के संकेतों में बदलाव करते हुए संकेतों की संख्या तीन कर दी थी.
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हॉलमार्किंग ऐसे देती है शुद्धता की गारंटी
हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता की गारंटी होती है. हॉलमार्क हर आभूषण पर लगने वाला एक निशान होता है. इसमें भारतीय मानक ब्यूरों (BIS) का लोगो, उसकी शुद्धता दी होती है. इसके साथ ही टेस्टिंग सेंटर आदि की भी जानकारी हॉलमार्किंग में मिलती है. किसी आभूषण में सोने की मात्रा अलग-अलग होती है, जो उसकी शुद्धता यानी कैरेट के आधार पर तय होती है. कई बार ज्वैलर्स कम कैरेट के आभूषणों पर ऊंची कैरेट की कीमतें वसूलते हैं. इसी को खत्म करने के लिये हॉलमार्किग को अनिवार्य किया गया है.
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