भारत में 2/3 गोल्ड लोन असंगठित क्षेत्र में दिया जाता है. (फोटो- न्यूज18)
नई दिल्ली. सोने को भारतीय घरों में हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है. इसकी सीमित मात्रा, मजबूती और सुंदरता ने कई सालों से इसे संपन्नता के प्रतीक रूप में पेश किया है. इतना ही सोना भारतीय घरों में मुसीबत के समय पूंजी जुटाने का भी एक बेहतरीन तरीका होता है. सोने पर कर्ज कई सैकड़ों सालों से चला आ रहा है. हालांकि, असंगठित क्षेत्र होने और कोई रेगुलेशन नहीं होने के कारण इसका नाजायज लाभ भी उठाया गया है.
समय में बदलाव के साथ यह स्थिति भी बदली और अब सोने पर कर्ज लेना पहले से अधिक सुरक्षित है. असंगठित क्षेत्र में कुछ बहुत बड़ी समस्याएं थी जिन्हें संगठित क्षेत्र ने खत्म कर दिया है. मसलन, सोने से लिए कर्ज पर मनमाने ब्याज, उसके भुगतान के लिए आजमाए जाने वाले हथकंडे और संदेह कि क्या कर्जदार को दोबारा वहीं सोना वापस मिलेगा जो उसने गिरवी रखते समय दिया था. वहीं, अब कागजी कार्यवाहियों, रेगुलेशन, निगरानी और तय ब्याज दरों ने इन परेशानियों को खत्म कर दिया है.
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मध्यम वर्ग के सबसे बड़ा उपभोक्ता
आईआईएम, अहमदाबाद के इंडिया गोल्ड पॉलिसी सेंटर के एक सर्वे में यह सामने आया था कि भारत में सबसे ज्यादा गोल्ड 2-10 लाख की सालाना इनकम वाले परिवारों द्वारा खरीदा जाता है. बीते 5 वर्षों में देश में सोने की कुल खपत का औसतन 56 फीसदी इसी वर्ग में गया है. भारत में 75 फीसदी से अधिक परिवार किसी न किसी तरह से सोने को अपने पास रखने के पक्ष में हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारत में लोगों के पास कुल 1.5 लाख करोड़ डॉलर का सोना हो सकता है.
असंगठित क्षेत्र का वर्चस्व
गोल्ड लोन देने के लिए कई संस्थान आ गए हैं. केवल बैंक ही नहीं कई गैर-बैकिंग वित्तीय संस्थान भी गोल्ड लोन दे रहे हैं. हालांकि, इसके बावजूद लोगों का असंगठित क्षेत्र से मोह कम नहीं हुआ है. अभी गोल्ड पर जितना लोन दिया जा रहा है उसका 2/3 हिस्सा असंगठित क्षेत्र से है. केपीएमजी के अनुसार, 2019 में गोल्ड लोन का केवल 5.5 हिस्सा संगठित क्षेत्र के पास था.
संगठित क्षेत्र का लाभ उठाएं
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि असंगठित क्षेत्र में ऊंच ब्याज दरें, अविश्वसनीयता और पारदर्शिता की कमी है. वहां, भले ही आपको जल्द लोन मिल जाए या कागजी कार्यवाही कम हो लेकिन लंबी अवधि में आपके कर्ज के जाल में फंसने की अधिक आशंका रहती है. वहीं, दूसरी ओर संगठित क्षेत्र में कागजी कार्यवाही शायद थोड़ी अधिक होगी, लेकिन आपके सोने के साथ छेड़छाड़ की आशंका बहुत कम है. इसके अलावा आपसे मनमानी ब्याज दरें नहीं ली जाएंगी और न ही भुगतान के निपटारे के लिए गैर-कानूनी तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.
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