Gold के दाम में हुई 16 फीसदी की तगड़ी गिरावट, जानें क्या मौजूदा कीमतों पर निवेश से मिलेगा शानदार मुनाफा

सोने की कीमतें अगस्त 2020 के उच्चस्तर से काफी गिर चुकी हैं.
सोने के दाम (Gold Prices) अगस्त 2020 के अपने सर्वोच्च स्तर से अब तक 16 फीसदी घट चुके हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि गोल्ड की कीमतों में 2021 में बढ़ोतरी होना तय है. साथ ही गोल्ड आपके निवेश पोर्टफोलियो में विविधता (Diversified Portfolio) लाता है. आइए जानते हैं कि गोल्ड में निवेश को लेकर विशेषज्ञों का क्या कहना है?
- News18Hindi
- Last Updated: February 24, 2021, 7:46 AM IST
नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच 2020 में गोल्ड ने निवेशकों को सबसे शानदार मुनाफा (Top Performing Asset) दिया. गोल्ड के दाम (Gold Prices) 7 अगस्त 2020 को एमसीएक्स (MCX) पर 55,922 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चस्तर पर बंद हुए थे. तब से इस कीमती पीली धातु के दामों में 16 फीसदी की बड़ी गिरावट हो चुकी है. ऐसे में ज्यादातर निवेशक इस उलझन में हैं कि उन्हें अपने पास मौजूद गोल्ड को बेच देना चाहिए या रोक कर रखना चाहिए. मौजूदा हालात को देखकर लग रहा है कि सोने की कीमतों में अभी और गिरावट होगी, क्योंकि दुनियाभर में कोरोना वायरस वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर अच्छी खबरें आ रही हैं. ऐसे में लोग दूसरे निवेश विकल्पों का रुख करने लगे हैं.
'अमेरिकी डॉलर और गोल्ड करते हैं एकदूसरे के उलट व्यवहार'
निवेशकों का एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जो ये जानना चाहता है कि क्या मौजूदा कीमतों पर गोल्ड में निवेश करना सुरक्षित रहेगा. क्या उन्हें इस मौके का फायदा उठाकर तगड़ा मुनाफा मिल सकता है. इस पर इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता का कहना है कि हाल के दिनों में सोने के दामों में हुए सुधार के कई कारण हैं. इनमें सबसे बड़ा कारण डॉलर का दूसरी बड़ी करेंसीज के मुकाबले मजबूत होना है. उनके मुताबिक, अमेरिकी डॉलर और सोना एकदूसरे के उलट व्यवहार करते हैं. अगर डॉलर की मांग में इजाफा होगा तो सोने के दाम दबाव में आ जाएंगे. वहीं, अमेरिकी बॉन्ड्स यील्ड में हुई वृद्धिा के कारण भी गोल्ड के दामों में सुधार हुआ है.
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मेहता कहते हैं कि डॉलर की मजबूती के अलावा अब लोग बड़े मुनाफे के लिए ज्यादा जोखिम वाले विकल्पों का रुख भी कर रहे हैं. इनमें इक्विटी और क्रिप्टोकरेंसी जैसी विकल्प शामिल हैं. हालांकि, मुझे लगता है कि गोल्ड की कीमतों में ये गिरावट अस्थायी और कम समय के लिए है. लिहाजा, निवेशक मौजूदा कीमतों पर सोने में निवेश कर लंबी अवधि में तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके उलट इक्विटी में आई तेजी के लंबी अवधि तक टिके रहने की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है. लिहाजा, जल्द मुनाफा कमाकर बाहर निकलना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. अगर शेयर बाजारों में गिरावट होती है तो लोग फिर गोल्ड का रुख करेंगे और इसकी कीमतों में तेजी से इजाफा होगा. उनके मुताबिक, सोना 3 से 4 महीने के भीतर 1960 डॉलर प्रति औंस का उच्चस्तर छू सकता है, जो अब से करीब 150 डॉलर ऊपर होगा.
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अमेरिकी बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड की बढ़ोतरी से घटे सोने के दाम
क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर चिराग मेहता का कहना है कि गोल्ड की कीमतों में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड (US Benchmark Bond Yield) में हुई बढ़ोतरी है. बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड ने बाजार को चौंका दिया है. पिछले साल अगस्त में जहां ये 0.6 फीसदी के निचले स्तर पर था, वहीं अब ये दोगुना से ज्यादा 1.37 फीसदी पर पहुंच गया है. इससे सोने के दामों में कुछ गिरावट हुई है. हालांकि, मुझे नहीं लगता कि ये स्थिति ज्यादा समय तक बनी रहेगी. अगर यील्ड में और बढ़ोतरी हुई तो कुछ समय में ही केंद्रीय बैंक (Central Bank) को हस्तक्षेप करना पड़ेगा. इससे फिर सोने को समर्थन मिलेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि गोल्ड की कीमतों में 2021 में बढ़ोतरी होना तय है. साथ ही 7-10 फीसदी गोल्ड आपके निवेश पोर्टफोलियो में विविधता (Diversified Portfolio) लाता है.
'अमेरिकी डॉलर और गोल्ड करते हैं एकदूसरे के उलट व्यवहार'
निवेशकों का एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जो ये जानना चाहता है कि क्या मौजूदा कीमतों पर गोल्ड में निवेश करना सुरक्षित रहेगा. क्या उन्हें इस मौके का फायदा उठाकर तगड़ा मुनाफा मिल सकता है. इस पर इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता का कहना है कि हाल के दिनों में सोने के दामों में हुए सुधार के कई कारण हैं. इनमें सबसे बड़ा कारण डॉलर का दूसरी बड़ी करेंसीज के मुकाबले मजबूत होना है. उनके मुताबिक, अमेरिकी डॉलर और सोना एकदूसरे के उलट व्यवहार करते हैं. अगर डॉलर की मांग में इजाफा होगा तो सोने के दाम दबाव में आ जाएंगे. वहीं, अमेरिकी बॉन्ड्स यील्ड में हुई वृद्धिा के कारण भी गोल्ड के दामों में सुधार हुआ है.
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मेहता कहते हैं कि डॉलर की मजबूती के अलावा अब लोग बड़े मुनाफे के लिए ज्यादा जोखिम वाले विकल्पों का रुख भी कर रहे हैं. इनमें इक्विटी और क्रिप्टोकरेंसी जैसी विकल्प शामिल हैं. हालांकि, मुझे लगता है कि गोल्ड की कीमतों में ये गिरावट अस्थायी और कम समय के लिए है. लिहाजा, निवेशक मौजूदा कीमतों पर सोने में निवेश कर लंबी अवधि में तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके उलट इक्विटी में आई तेजी के लंबी अवधि तक टिके रहने की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है. लिहाजा, जल्द मुनाफा कमाकर बाहर निकलना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. अगर शेयर बाजारों में गिरावट होती है तो लोग फिर गोल्ड का रुख करेंगे और इसकी कीमतों में तेजी से इजाफा होगा. उनके मुताबिक, सोना 3 से 4 महीने के भीतर 1960 डॉलर प्रति औंस का उच्चस्तर छू सकता है, जो अब से करीब 150 डॉलर ऊपर होगा.
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अमेरिकी बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड की बढ़ोतरी से घटे सोने के दाम
क्वांटम म्यूचुअल फंड के सीनियर फंड मैनेजर चिराग मेहता का कहना है कि गोल्ड की कीमतों में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड (US Benchmark Bond Yield) में हुई बढ़ोतरी है. बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड ने बाजार को चौंका दिया है. पिछले साल अगस्त में जहां ये 0.6 फीसदी के निचले स्तर पर था, वहीं अब ये दोगुना से ज्यादा 1.37 फीसदी पर पहुंच गया है. इससे सोने के दामों में कुछ गिरावट हुई है. हालांकि, मुझे नहीं लगता कि ये स्थिति ज्यादा समय तक बनी रहेगी. अगर यील्ड में और बढ़ोतरी हुई तो कुछ समय में ही केंद्रीय बैंक (Central Bank) को हस्तक्षेप करना पड़ेगा. इससे फिर सोने को समर्थन मिलेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि गोल्ड की कीमतों में 2021 में बढ़ोतरी होना तय है. साथ ही 7-10 फीसदी गोल्ड आपके निवेश पोर्टफोलियो में विविधता (Diversified Portfolio) लाता है.