नई दिल्ली. सरकार अपनी कमाई बढ़ाने और कल्याणकारी योजनाओं (Welfare Schemes) पर खर्च बढ़ाने के लिए कैपिटल गेन्स टैक्स ढांचे (Capital Gains Tax Structure) में सुधार करना चाहती है. मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के समक्ष पेश इस प्रस्ताव में कहा गया है कि कैपिटल मार्केट से कमाई पर लगने वाला टैक्स कारोबार से होने वाली आय पर लगने वाले टैक्स से कम नहीं होना चाहिए.
सरकार का मानना है कि कारोबार से कमाई पर ज्यादा टैक्स वसूलने से उद्यमशीलता (Entrepreneurial) और रोजगार के मोर्चे पर झटका लगेगा. एक अधिकारी ने कहा कि कैपिटल गेन्स टैक्स ढांचे को अधिक प्रभावी बनाने के लिए विधायी संशोधनों की जरूरत है. इस पर अगले बजट में विचार किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- 1 अप्रैल से इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा कई गुना महंगा, जानें कितनी देनी होगी फीस
अमेरिका की तरह हमारे पास कोई डाटा नहीं
इनमें से एक अन्य अधिकारी ने बताया कि टैक्स के मोर्चे पर असमानता से निपटने के लिए टैक्सेसन और बेनेफिट ट्रांसफर दो ही लेवल थे. हमारे पास फिलहाल इससे जुड़ा कोई डाटा तो नहीं है, लेकिन अमेरिका जैसे देशों के डाटा के आधार पर कहा जा सकता है कि कर भुगतान के बाद आय में अंतर की तस्वीर डाटा से दिखने वाली प्री- टैक्स, प्री-ट्रांसफर इनकम से काफी अलग होती है.
ये भी पढ़ें- Income Tax Update : इसी महीने निपटा लें ये 4 काम वरना मुश्किलों में फंस जाएंगे आयकरदाता
टैक्स को लेकर काफी असमानता
अधिकारी ने कहा कि कमाई पर टैक्स को लेकर काफी असमानता है. हमने अन्य देशों में कैपिटल पूंजीगत लाभ कर ढांचे को देखा है और हम इससे अलग नहीं हो सकते. सरकार का अनुमान है कि कई देशों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 25-30 फीसदी या स्लैब के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है.
बदलाव से पहले इन पर ध्यान जरूरी
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में कैपिटल गेन्स टैक्स की दर ज्यादा है. इससे भारत में निवेश के प्रति आकर्षण कम हो सकता है. उनका कहना है कि हाल के दिनों में पूंजी बाजार में जो उछाल देखा गया है, वह टैक्स व्यवस्था के कारण है. ईवाई के सुधीर कपाड़िया का कहना है कि टैक्स व्यवस्था में कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले हमें वैश्विक प्रतिस्पर्धी माहौल को ध्यान में रखना होगा क्योंकि लोग और पूंजी दोनों ही अत्यधिक गतिशील हैं.
10 और 15 फीसदी है कैपिटल गेन्स टैक्स
देश में लिस्टेड इक्विटी पर एक साल से अधिक समय के लिए एक लाख रुपये की सीमा से ऊपर के लाभ पर 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान करना होता है. एक साल से कम समय के लिए रखे गए शेयरों पर 15 फीसदी के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स का भुगतान करना होता है. यह प्रावधान एक अप्रैल, 2019 से लागू है.
ये भी पढ़ें – Income Tax Update : इसी महीने निपटा लें ये 4 काम वरना मुश्किलों में फंस जाएंगे आयकरदाता
राजस्व सचिव भी दे चुके हैं बदलाव के संकेत
बजट 2022-23 पेश होने के बाद राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा था कि देश में कैपिटल गेन्स टैक्स का नियम जटिल है. इसे आसान बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि सरकार शेयरों, ऋण और अचल संपत्ति पर कैपिटल गेन्स टैक्स की गणना के लिए विभिन्न दरों एवं होल्डिंग अवधि में बदलाव के लिए तैयार है. इसकी प्रमुख वजह प्रणाली को सरल बनाना है. बजाज ने कहा था कि कैपिटल गेन्स टैक्स की दर और होल्डिंग अवधि पेचीदा मामला है. सरकार ने ही इसे बनाया भी है. रियल एस्टेट के लिए कैपिटल गेन्स टैक्स की होल्डिंग अवधि 24 महीने, शेयर के लिए 12 महीने और ऋण के लिए 36 महीने है. इस भारी अंतर को देखते हुए इस पर काम किए जाने की जरूरत है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Centre Government, Income tax, Taxpayer