इन कंपनियों में निवेश से पहले कर लें जांच, केंद्र सरकार की इस सलाह की न करें अनदेखी

निधि कंपनियां नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रही हैं.
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने निवेशकों से निधि कंपनियों में निवेश करने से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी लेने को कहा. इस प्रकार की कंपनियों द्वारा नियमों का पालन न किए के बाद मंत्रालय ने यह बयान जारी किया.
- News18Hindi
- Last Updated: February 26, 2021, 9:30 AM IST
नई दिल्ली. कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) ने गुरुवार को निवेशकों (Investor) के लिए अहम सलाह जारी की है. मंत्रालय (Ministry) ने कहा है कि निवेशक निधि कंपनियों (Nidhi Company ) में निवेश करने से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी लें. इस प्रकार की कंपनियों द्वारा नियमों का न किए जाने के कुछ मामलों को देखने के बाद मंत्रालय ने यह बयान जारी किया.
कंपनी कानून के तहत पंजीकृत निधि कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय (Non Banking) इकाइयां है जो अपने सदस्यों के साथ कर्ज देने और लेने का काम करती हैं. कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘निवेशकों को निधि कंपनी में निवेश करने या उसका सदस्य बनने से पहले उसकी स्थिति/आगे-पीछे के इतिहास की जांच की सलाह दी जाती है.’’ संशोधित कंपनी कानून, 2013 और निधि नियम, 2014 के तहत कंपनियों को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के पास एनडीएच-4 फॉर्म के जरिए आवेदन देकर स्वयं को निधि कंपनी घोषित करने की जरूरत होती है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘आवेदनों पर गौर करने के बाद यह पाया गया कि ये कंपनियां नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रही हैं.’’ मंत्रालय के अनुसार इसके परिणामस्वरूप कंपनियों के इस संदर्भ में दिए गये कई आवेदन खारिज हुए हैं।
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कंपनियों पर आयकर विभाग की नजर रखने के लिए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय करेगा मदद
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) ने गुरुवार को कहा कि उसने आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के साथ समझौता किया है. एमसीए ने एक बयान में कहा कि समझाौता ज्ञापन (एमओयू) से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और सबीआईसी के बीच नियमित तौर पर आंकड़ों और सूचना के स्वत: आदान-प्रदान सुगम रूप से हो सकेगा.
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जीएसटी, आयात निर्यात के आंकड़ों पर होगी आयकर विभाग की नजर
मंत्रालय के मुताबिक एमओयू मंत्रालय और सीबीआईसी के नियमों के प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए है. आंकड़ों में आयात-निर्यात सौदों का ब्योरा तथा देश में पंजीकृत कंपनियो के वित्तीय बयान शामिल हैं. नियमित आधार पर आंकड़ों के आदान-प्रदान के साथ मंत्रालय और सीबीआईसी जांच और अभियोजन मकसद से अनुरोध कर एक-दूसरे के पास उपलब्ध अन्य सूचनाएं प्राप्त कर सकती हैं.
कंपनी कानून के तहत पंजीकृत निधि कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय (Non Banking) इकाइयां है जो अपने सदस्यों के साथ कर्ज देने और लेने का काम करती हैं. कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘निवेशकों को निधि कंपनी में निवेश करने या उसका सदस्य बनने से पहले उसकी स्थिति/आगे-पीछे के इतिहास की जांच की सलाह दी जाती है.’’ संशोधित कंपनी कानून, 2013 और निधि नियम, 2014 के तहत कंपनियों को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के पास एनडीएच-4 फॉर्म के जरिए आवेदन देकर स्वयं को निधि कंपनी घोषित करने की जरूरत होती है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘आवेदनों पर गौर करने के बाद यह पाया गया कि ये कंपनियां नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रही हैं.’’ मंत्रालय के अनुसार इसके परिणामस्वरूप कंपनियों के इस संदर्भ में दिए गये कई आवेदन खारिज हुए हैं।
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कंपनियों पर आयकर विभाग की नजर रखने के लिए कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय करेगा मदद
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) ने गुरुवार को कहा कि उसने आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के साथ समझौता किया है. एमसीए ने एक बयान में कहा कि समझाौता ज्ञापन (एमओयू) से कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय और सबीआईसी के बीच नियमित तौर पर आंकड़ों और सूचना के स्वत: आदान-प्रदान सुगम रूप से हो सकेगा.
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जीएसटी, आयात निर्यात के आंकड़ों पर होगी आयकर विभाग की नजर
मंत्रालय के मुताबिक एमओयू मंत्रालय और सीबीआईसी के नियमों के प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए है. आंकड़ों में आयात-निर्यात सौदों का ब्योरा तथा देश में पंजीकृत कंपनियो के वित्तीय बयान शामिल हैं. नियमित आधार पर आंकड़ों के आदान-प्रदान के साथ मंत्रालय और सीबीआईसी जांच और अभियोजन मकसद से अनुरोध कर एक-दूसरे के पास उपलब्ध अन्य सूचनाएं प्राप्त कर सकती हैं.