नई दिल्ली. Budget 2022 : कम टैक्स रेट वाली नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था (Optional Income Tax Regime) 2020 में लागू हुई और अभी तक करदाताओं का दिल अभी तक नहीं जीत पाई है. व्यक्तिगत आयकर चुकाने वाले ज्यादातर टैक्सपेयर पुराने टैक्स स्ट्रक्चर (Old Income Tax Regime) को ही टैक्स देने के लिये चुन रहे हैं. बजट 2022 में नई टैक्स व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिये इंसेंटिव (Incentive) सहित कुछ और लुभावनी घोषणायें वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण (Nirmala Sitharaman) कर सकती हैं.
सरकार ने नई वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था को 2020 में लागू किया था. इसमें टैक्स दरों को भी कम रखा गया था. लेकिन, फिर भी यह व्यक्तिगत आय करदाताओं (Individual Taxpayers) का दिल नहीं जीत पाई. इसके पीछे कई कारण रहे हैं. खास बात यह है कि ऐसी ही वैकल्पिक टैक्स स्ट्रक्चर सरकार 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax) के लिये लाई थी. उसे कॉर्पोरेट कर दाताओं ने खूब पसंद किया.
2020-21 से पुरानी और नई कर व्यवस्था में किसी एक को चुनने का विकल्प है. पुरानी व्यवस्था में आयकर कानून की धारा 80सी, 80डी, HRA समेत कई छूट मिलती है. नई व्यवस्था में छूट नहीं मिलेगी. इसमें सिर्फ 80 सीसीडी (2) यानी नियोक्ता के योगदान पर छूट का लाभ इनकम टैक्सपेयर ले सकता है. नई व्यवस्था में कर की दरें कम हैं लेकिन नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने वाले आयकरदाता आयकर कानून के चैप्टर VI-A के तहत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन और एग्जेंप्शन जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन, होम लोन, एलआईसी, हेल्थ इंश्योरेंस आदि में निवेश नहीं का लाभ नहीं ले सकते.
कम टैक्स रेट वाली एग्जेंप्शन फ्री टैक्स व्यवस्था सरकार की आशा के अनुरूप लोकप्रिय नहीं हुई. इसके कई कारण हैं. स्वतंत्र सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का न होना, कोविड-19 (Covid-19) के दौर में मेडिकल इंश्योरेंस का बढ़ता महत्व और नई व्यवस्था में भी इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अनिवार्यता होने को विशेषज्ञ इसे टैक्सपेयर द्वारा न अपनाने के प्रमुख कारण मानते हैं.
कंसल्टेंसी फर्म Deloitte India की पार्टनर ताप्ती घोष ने लाइव मिंट को बताया कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि नई कर व्यवस्था सरल है. लेकिन, इसे ज्यादा रिस्पांस नहीं मिला है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इनमें से एक कारण यह है कि जिनकी सैलरी 15 लाख से ज्यादा है, उनको भी नई टैक्स व्यवस्था में 30 फीसदी टैक्स देना होता है. जब उस आयकर दाता को इससे कोई लाभ ही नहीं मिल रहा है तो क्यों इसे चुनें?
कुछ अकाउंटेंट का कहना है कि नई टैक्स व्यवस्था बिजनेस इनकम (Business income) के मामले में काफी जटिल है. बहुत से लोगों की इनकम का सोर्स जॉब के साथ-साथ बिजनेस भी है. दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट तरूण कुमार का कहना है कि कोविड-19 और वर्क फ्राम होम (Work From Home) कल्चर के कारण बहुत से लोग जॉब के साथ ही स्टॉक मार्केट में भी निवेश करने लगे हैं. इस तरह वे जॉब और बिजनेस इनकम होने के कारण टैक्स पेयर बन गये. बिजनेस या प्रोफेशन से किसी को अगर आय होती है तो उस दशा में सेक्शन 115 बीएसी से छूट (opt out) का लाभ केवल एक बार लिया जा सकता है. इसीलिये बिजनेस टैक्स पेयर को नई टैक्स व्यवस्था लुभा नहीं पाई है. इनकम टैक्स एक्ट के सैक्शन 115 बीएसी में ही नई टैक्स व्यवस्था का प्रावधान है.
लाइव मिंट पर प्रकाशित एक खबर के अनुसार, नई कर व्यवस्था को लोकप्रिय बनाने के लिये वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) गंभीरता से विचार कर रहा है. इस व्यवस्था की खामियों और टैक्स पेयर को इसमें आ रही परेशानियों का समझा जा रहा है और समाधान तलाशे जा रहे हैं. बजट 2022 (Budget 2022) में नई टैक्स व्यवस्था के लिये इंसेटिव और अन्य सुविधाओं की घोषणा हो सकती है. हालांकि वित्त मंत्रालय, रेवेन्यू डिपार्टमेंट और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज ने इस संबंध में ई-मेल से भेजे गये लाइव मिंट के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया.
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