आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है.
नई दिल्ली. आज जीएसटी दिवस (GST Day) है. पुरानी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की जगह वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 को देश में लागू हुआ था. नई व्यसवस्था लागू होने की खुशी में ही हर साल एक जुलाई को जीएसटी दिवस के रूप में मनाया जाता है. सबसे पहले एक जुलाई 2018 को जीएसटी लागू होने की पहली वर्षगांठ पर इसे मनाया गया था. आजादी के बाद जीएसटी को सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना जाता है. इससे देश के अप्रत्यक्ष कर ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है.
जीएसटी लागू करने का मकसद देश में ‘एक देश-एक मार्केट-एक टैक्स’ विचार को मूर्तरूप देना था. जीएसटी लागू होने से सर्विस टैक्स, वैट, क्रय कर, एक्साइज ड्यूटी और अन्य कई टैक्स समाप्त हो गए. इनकी जगह जीएसटी ने ले ली. हालांकि, अभी भी शराब, पेट्रोलियम पदार्थ और स्टाम्प ड्यूटी को जीएसटी से मुक्त रखा गया है और ये पुरानी टैक्स व्यवस्था ही लागू होती है.
ऐसे शुरू हुआ जीएसटी का सफर
देश में पुरानी कर व्यवस्था की जगह नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लाने का विचार वर्ष 2000 में आया था. तब एक समिति का गठन जीएसटी कानून का मसौदा तैयार करने के लिए किया गया. 2004 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. इसके दो साल बाद 2006 में अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वर्ष 2010 से जीएसटी को देश में लागू करने की घोषणा की, लेकिन यह 2010 में लागू नहीं हो पाया, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इसके कई प्रावधानों को लेकर मतभेद था.
1 जुलाई 2017 से लागू हुआ जीएसटी
देश में नई कर व्यवस्था को लागू होने में 17 साल लग गए. जीएसटी को 2016 में राज्य सभा और लोकसभा ने पास कर दिया. जीएसटी को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के रूप में अधिनियमित किया गया. 1 जुलाई, 2017 को इसे देश में लागू कर दिया गया. जीएसटी देश में सही ढंग से लागू करने के लिए एक जीएसटी परिषद का गठन किया गया. परिषद में केंद्रीय वित्त मंत्री, राज्य मंत्री (रेवेन्यू) और राज्यों के वित्त मंत्रियों को जगह दी गई.
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जीएसटी की खास बातें
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