CEA K. Subramanian ने कहा, जीएसटी में जल्द ही 2 स्लैब को मिलाकर एक नई दर बनाई जा सकती है.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार एकबार फिर वस्तु व सेवा कर (GST) के स्ट्रक्चर में बदलाव की योजना बना रही है. वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन (CEA K. Subramanian) ने कहा कि जल्द ही 2 स्लैब का विलय कर (Merging Slabs) जीएसटी स्ट्रक्चर में सिर्फ तीन दरें रखने की कवायद चल रही है. उन्होंने कहा कि ये बदलाव निश्चित तौर पर होना ही है. जीएसटी में तीन दर का ढांचा (3 Rates Structure) होना बहुत ही जरूरी और अहम है. लिहाजा, केंद्र सरकार इस मामले पर निश्चित तौर पर जल्द ही फैसला लेगी.
‘5 दरों के कारण ही हर महीने हुआ है तगड़ा कलेक्शन’
सुब्रमण्यन ने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि वास्तविक योजना जीएसटी में तीन दर के ढांचे की ही थी. हालांकि, बाद में इसे पांच दरों के साथ पेश किया गया, जो केंद्र सरकार (Central Government) का शानदार कदम था. उन्होंने कहा कि जीएसटी में 5 दरें होने के कारण ही कलेक्शन की राशि (GST Collection) बहुत बड़ी हो पाती है. नीति निर्माताओं ने शुरुआत में 5 दरों के साथ ही पहले जीएसटी को पेश करने की योजना बनाई. मौजूदा समय में जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 फीसदी की चार प्रमुख दरें हैं. इसके साथ ही ऑटोमोबाइल, तंबाकू जैसे उत्पादों पर एक सेस (Cess) भी है.
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क्या होगा सस्ता और किस पर चुकाने होंगे ज्यादा दाम
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसदी और कीमतों धातुओं पर 3 फीसदी की विशेष दर लागू है. उन्होंने बताया कि 12 और 18 फीसदी की दरों का विलय करने का प्रस्ताव है. इनका विलय होते ही जीएसटी में 3 दरों के ढांचे की व्यवस्था हो जाएगी. कई साल से इस मुद्दे पर नीति निर्माताओं के बीच बातचीत चल रही है. हालांकि, अभी तक जीएसटी काउंसिल में अब तक इस पर कोई अंतिम प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सका है. अगर काउंसिल ने दोनों दरों को मर्ज करने की मंजूरी दे दी तो घी, मक्खन, चीज़ और चश्मे महंगे हो जाएंगे. वहीं, किचनवेयर्स और कपड़े सस्ते हो जाएंगे.
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जेटली और FCC ने कही थी दरों के विलय की बात
संसद में इस साल की शुरुआत में पेश रिपोर्ट में 15वें वित्त आयोग (FCC) ने भी 12 और 18 फीसदी की दरों का विलय करने का आग्रह सरकार से किया था ताकि जीएसटी स्ट्रक्चर में तीन दरें रह जाएं. इसके अलावा पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने भी दोनों स्लैब को मर्ज करने की बात कही थी. उन्होंने दिसंबर 2018 में अपने ब्लॉग में लिखा, ’12 और 18 फीसदी के दो स्टैंडर्ड रेट्स के बजाय एक स्टैंडर्ड रेट की रूपरेखा तैयार की जा सकती है. ऐसा भी किया जा सकता है कि इन दोनों के बीच की कोई दर पेश की जाए.’ अर्नस्ट एंड यंग इंडिया के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि अगर दोनों स्लैब्स को मर्ज कर बीच की कोई दर बनाई जाती है तो 12 फीसदी की दर वाले प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ जाएंगी. वहीं, 18 फीसदी की दर वाली वस्तुओं के दाम कम हो जाएंगे.
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