केंद्र सरकार हेल्थ सेक्टर के लिए अलग से फंड बनाने की तैयारी कर रही है.
नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी (COVID-19 Pandemic) से सीख मिलने के बाद केंद्र सरकार अब देश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure) को मजबूत करने की योजना बना रही है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी से पता चला है कि इस दिशा में अब आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार हेल्थ सेक्टर (Health Sector) के लिए अलग से फंड की व्यवस्था करने की योजना बना रही है. संभावित तौर पर इसे 'प्रधानमंत्री स्वास्थ्य संवर्धन निधि' कहा जा सकता है. शुरुआती प्रस्ताव के मुताबिक, इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और 1 फरवरी 2021 को पेश होने वाले बजट में इसका ऐलान किया जा सकता है.
तैयार किए प्रस्ताव के मुताबिक, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य संवर्धन निधि पब्लिक अकाउंट में एक तरह का नॉन-लैप्सेबल फंड (Non-Lapsable Fund) होगा. इसका मतलब है कि फंड में रखी गई रकम एक वित्तीय वर्ष के अंत में लैप्स नहीं होगी. हेल्थ और एजुकेशन सेस (Health and Education Cess) से प्राप्त होने वाली रकम इस फंड में जमा की जाएगी.
पिछले साल हेल्थ सेस के नाम पर सरकार की झोली में आए 14 हजार करोड़ रुपये
वर्तमान में, केंद्र सरकार एजुकेशन और हेल्थ सेस के नाम पर इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स से 4 फीसदी की कटौती करती है. इसमें से 3 फीसदी रकम एजुकेशन सेस और बाकी की एक फीसदी रकम हेल्थ सेस होती है. ऐसे में, हेल्थ और एजुकेशन सेस के जरिए प्राप्त होने वाली कुल रकम का 25 फीसदी इस फंड में जमा किया जाएगा. वित्त वर्ष 2019-20 में एजुकेशन और हेल्थ सेस के दम पर सरकार की झोली में करीब 56,000 करोड़ रुपये आए थे. इसमें हेल्थ सेस का हिस्सा करीब 14 हजार करोड़ रुपये था.
इस फंड का इस्तेमाल हेल्थ सेक्टर के लिए केंद्र सरकार की फ्लैगशिप स्कीम आयुष्मान भारत, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना आदि के लिए किया जाएगा.
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प्रस्ताव के मुताबिक, शुरू में किसी भी उपरोक्त योजना पर खर्च ग्रॉस बजटरी सपोर्ट (GBS) से किया जाएगा. एक बार GBS समाप्त हो जाने के बाद, प्रस्तावित फंड का उपयोग किया जाएगा. सूत्रों ने कहा, इस फंड का प्रमुख लाभ यूनिवर्सल और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल के लिए अतिरिक्त संसाधनों की उपलब्धता होगा.
सरकार का लक्ष्य होगा कि 2024 तक हेल्थ सेक्टर पर कुल GDP का 4 फीसदी रकम खर्च किया जाए. वर्तमान में यह कुल GDP का 1.4 फीसदी है.
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