नई दिल्ली. देश में अपने घर से दूर रहकर दूसरे शहरों-राज्यों में नौकरी या व्यवसाय करने वाले ज्यादातर लोगों का सपना होता है, अपना घर खरीदना. हालांकि, मेट्रोपॉलिटिन या कॉस्मोपॉलिटिन ही नहीं देश के ज्यादातर छोटे-बड़े शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें (Property Prices) काफी बढ़ गई हैं. ऐसे में ज्यादातर नौकरीपेशा और व्यवसाय करने वाले लोग होम लोन (Home Loan) का सहारा लेते हैं. मैजिकक्रिक्स (Magicbricks) के सर्वे के मुताबिक, हाल के दिनों में मिड और हाई रेंज सेगमेंट में होम लोन की मांग बढ़ी है. सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 38 फीसदी ग्राहक 30 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच होम लोन लेना चाहते हैं.
क्यों बढ़ रही है मिड-हाई सेगमेंट में होम लोन की मांग
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 46 फीसदी ग्राहक 30 लाख से 1 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा की कैटेगरी में होम लोन लेना चाहते हैं. इसमें बताया गया है कि बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे शहरों में मिड व हाई रेंज सेगमेंट में होम लोन की मांग ज्यादा बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 20 फीसदी घर खरीदार 50 लाख से 1 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा वाली कैटेगरी में होम लोन लेना चाहते हैं. रिपोर्ट में होम लोन की मांग बढ़ने के कई कारण बताए गए हैं. इनमें वर्क फ्रॉम होम (WFH) की वजह से घर में ऑफिस के तौर पर अलग रूम की जरूरत, सर्किल रेट्स व स्टांप ड्यूटी में कमी और ब्याज दरों में गिरावट (Low Interest Rates) को मुख्य कारण बताया गया है.
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रीयल एस्टेट सेक्टर में धीरे-धीरे बढ़ रहा है लेनदेन
मैजिकब्रिक्स के सीईओ सुधीर पई ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से उठाए गए कदमों के कारण मिड व हाई सेगमेंट की प्रॉपर्टीज के लिए मांग बढ़ी है. पई ने कहा कि बाजार का माहौल भी मांग के मुताबिक बन रहा है. मैजिकब्रिक्स होम लोन पर ग्राहकों के आंकड़ों के मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म पर घर खरीदारों ने औसत 34 लाख रुपये के होम लोन के लिए सर्च किया है. यह रीयल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छे संकेत हैं. इससे साफ है कि रेजीडेंशियल रीयल एस्टेट के सभी सेगमेंट में धीरे-धीरे लेनदेन बढ़ रहा है. सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि होम लोन के अलावा लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी और बैलेंस ट्र्रांसफर भी बढ़ रहा है.
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केंद्र सरकार किस संपत्ति का और कैसे करती है मौद्रीकरण
भू-मौद्रिकरण के तहत सरकार के पास मौजूद अधिशेष जमीन को बाजार में बेचा जाता है या रियायती दरों पर दिया जाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि बेकार पड़ी संपत्ति आत्मनिर्भर भारत में योगदान नहीं कर सकती है. गैर-मुख्य संपत्ति में सरकारी मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की अधिशेष भूमि शामिल है. भूमि का मौद्रिकरण या तो प्रत्यक्ष बिक्री या रियायत या इसी तरह से हो सकता है. इसके लिए विशेष क्षमता की जरूरत है. मैं इसके लिए एक कंपनी के रूप में स्पशेल परपज व्हीकल (SPV) प्रस्तावित करती हूं ताकि इस काम को आगे बढ़ाया जा सके.
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