अनावश्यक लोन न लेकर अतिरिक्त खर्च करने से बचें.
नई दिल्ली. कौन नहीं चाहेगा कि रिटायरमेंट के बाद उसके पास इतना फंड हो ताकि वह बगैर पैसों की चिंता किए खर्च कर सके. अपने जीवनसाथी के साथ कहीं महंगी ट्रिप पर जा सके और एक आरामदेह जीवन बसर कर सके. लेकिन क्या है सब हासिल करना आसान है? बिलकुल नहीं. ये चीजें जितनी लुभावनी लगती हैं पहुंच से उतनी ही दूर होती हैं. हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि अनुशासन के साथ आगे बढ़ते हुए इन तक पहुंचा नहीं जा सकता.
आपकी वित्तीय आजादी आपको बेशक मिल सकती है लेकिन वहां तक पहुंचने की राह में तीन बड़े रोड़े हैं. अगर आप इन्हें किसी तरह पार कर जाते हैं तो अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. हम इस लेख में इसी के बारे में बात करेंगे. मनीकंट्रोल ने इन तीनों परेशानियों और उनके समाधान को विस्तार से बताया है. आइए जानते हैं कि ये तीन बाधाएं क्या है.
महंगा इलाज, सस्ता इंश्योरेंस
भारत में स्वास्थ्य महंगाई दर 10 फीसदी है जो काफी अधिक है. इसलिए आपका किसी सस्ते और कम सम एश्योर्ड वाले बीमा के भरोसे रहना एक बड़ी गलती होती है. अगर किसी के साथ कोई अनहोनी घटती है या फिर उन्हें किसी क्रिटिकल बीमारी के इलाज की जरूरत पड़ती है तो इन इंश्योरेंस से काम नहीं चल पाएगा. अगर आपके पास कंपनी का दिया ग्रुप इंश्योरेंस है तब भी आपको 10-15 लाख रुपये का मेडिकल बीमा लेना चाहिए जिसमें जानलेवा बीमारियां कवर की गई हों. इससे आप किसी आपातकालीन समय में आर्थिक रूप से सुरक्षित हो सकेंगे.
बहुत अधिक लोन
लोग कई बार जाने-अनजाने अपने ऊपर लोन का बोझ ले बैठते हैं. भले ही उन्हें लगता है कि वे किसी तरह उससे फायदा बना रहे हैं लकिन हकीकत यह नहीं होती. इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए दो लोग 83000 रुपये प्रति माह की आय प्राप्त करते हैं. एक अपनी कुल आय का 30 फीसदी मकान की ईएमआई, 30 फीसदी खर्च और 40 फीसदी निवेश में लगाता है. वहीं, दूसरा शख्स 50 फीसदी हिस्सा मकान की ईएमआई में लगा देता है जबकि 30 फीसदी हिस्सा खर्च और बाकी बचा केवल 20 फीसदी हिस्सा ही निवेश कर पाता है. लंबी अवधि में ये दूसरे शख्स के लिए बहुत बड़ा घाटा साबित होता है. इसलिए अनावश्यक लोन लेने से बचें.
निवेश के रिटर्न का महंगाई दर से कम होना
ये समस्या बहुत सारे लोगों की है. वह जितना निवेश करते हैं और उस पर जो रिटर्न मिलता है वह महंगाई दर को मात नहीं दे पाता. इस तरह आप रिटायरमेंट तक फंड तो जुटा लेंगे लेकिन फाइनेंशियल फ्रीडम नहीं हासिल कर पाएंगे. अपने निवेश का केवल 10 फीसदी हिस्सा इक्विटी में डालना पर्याप्त नहीं है. एफडी व इंश्योरेंस से इतर आपको इक्विटी में निवेश बढ़ाना होगा.
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