ये हैं वाे 12 तरीके, जिनका फायदा उठाकर आप भी कर सकते हैं इनकम टैक्स में बचत

जानते उन सभी एक्ट के बारे में जिसके चलते आप इनकम टैक्स काे और कम कर सकते है.
वित्त वर्ष 2020-21 खत्म हाेने में अब एक महीना ही रह गया है. ऐसे में इनकम टैक्स (Income Tax ) में छूट पाने के लिए इंवेस्टमेंट प्रूफ जमा करने के लिए तैयारियां भी जाेराे शाेराे से चल रही हाेगी. इन सब के बीच जानिए वाे 12 तरीके जिनका फायदा उठाकर आप भी कर है इनकम टैक्स में बचत कर सकते है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 23, 2021, 6:14 PM IST
नई दिल्ली. टैक्स पेयर्स (Tax Payers) अमूमन इनकम टैक्स (Income Tax) के टैक्स सेविंग डिडक्शन में सेक्शन 80c के बारे में ही ज्यादा जानते है. हालांकि इसके अलावा भी इनकम टैक्स में कई ऐसे प्रावधान है जिनकी जानकारी नहीं हाेने के वजह से लाेग जाे टैक्स बचा सकते है वाे बचा नहीं पाते या कहे कि टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction)काे कम नहीं कर पाते. ऐसे एक या दाे नहीं बल्कि 12 प्रावधान है जिनके बारे में आज हम आपकाे बता रहे है जिनमें अलग-अलग व छाेटी-छाेटी चीजाें के लिए भी सरकार टैक्स में रिबेट देती है. ताे चलिए आज जानते उन सभी एक्ट के बारे में जिसके चलते आप इनकम टैक्स काे और कम कर सकते है.
सेक्शन 80C
इनकम टैक्स (आयकर) बचत के लिहाज से आयकर कानून का सेक्शन 80C बहुत महत्वपूर्ण और कॉमन है. जहां कोई भी व्यक्ति वेतन या कारोबार से आमदनी के बाद इनकम टैक्स (आयकर) के 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आता है तो इनकम टैक्स कानून के सिर्फ सेक्शन 80C में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश से वह टैक्स देनदारी के 46,350 रुपये की बचत कर सकता है. इसमें ईपीएफ, पीपीएफ, म्यूचूअल फंड, पीपीएफ, एनपीएफ, हाेम लाेन का प्रिसिंपल राशि देकर और बच्चाें की स्कूल फीस में भी सेक्शन 80c का बैनिफिट मिलता है.
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टैक्स सेविंग का एक और तरीका है सब सेक्शन 80CCD (1B) के तहत 50 हजार रुपए NPS अकाउंट निवेश करने का.यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह कटाैती सेक्शन 80c के अलावा मानी जाती है ऐसे में आप कुल दाे लाख रुपए तक की राशि पर टैक्स सेविंग कर सकते है. जिसमें सेक्शन 80c में 1,50,000 और 80CCD (1B) में 50,000 रुपये.
सेक्शन 80CCD (2)
NPS अकाउंट में एंप्लॉयर द्वारा किए गए अंशदान पर भी कर्मचारी टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. एंप्लॉयर का अंशदान, इंप्लॉई की सैलरी के 10 फीसदी के बराबर और डीए (dearness allowance) शामिल रहता है. यह ध्यान रखें कि वित्त वर्ष 2020-21 से प्रभावी, सेवानिवृत्ति के फंड में नियोक्ता का योगदान - ईपीएफ, सुपरनेशन फंड, एनपीएस, एक वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक हाेगा ताे कर योग्य होगा. इसके अलावा, इस तरह के योगदान पर अर्जित ब्याज भी टैक्स के दायरे में आएगा. इस प्रकार, इस धारा के तहत कर लाभ का लाभ उठाते समय, यह सुनिश्चित करें कि आपके एनपीएस खाते में नियोक्ता का योगदान और साथ ही ईपीएफ का योगदान वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक न हो.
सेक्शन 80D
इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम पर टैक्स बचाया जा सकता है. अगर आप खुद के लिए, पार्टनर या बच्चों के लिए प्रीमियम अदा करते हैं तो 25,000 रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं. अगर आप अपने 60 साल से ऊपर के माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम चुका सकते हैं तो 50,000 रुपये तक की छूट पाई जा सकती है.इसलिए, स्व (जीवनसाथी और आश्रित बच्चों सहित) और वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के लिए भुगतान किया गया स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम आपको वित्तीय वर्ष में 75,000 रुपये तक का कर बचाने में मदद कर सकता है.यदि करदाता और माता-पिता दोनों वरिष्ठ नागरिक हैं, तो एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 1 लाख रुपये की कटौती का दावा किया जा सकता है.
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सेक्शन 80D के अलावा दाे और ऐसे सेक्शन है जाे आपकाे टैक्स बचाने में मदद करते है. जिसमें सेक्शन 80DD and Section 80DDB आते है. सेक्शन 80DD का लाभ उसे मिलता है जहां वह खुद या उसके परिजनाें में काेई अक्षम हाे, इसमें उसकी पत्नी, बच्चे, भाई, बहन या वह खुद भी हाे सकता है, इसके लिए ईलाज के लिए किए जाने वाला खर्च काे आयकर से मुक्त किया जाता है. कटौती की अनुमति इस बात पर निर्भर करती है कि निर्भरता अक्षम है या गंभीर रूप से अक्षम है. यदि आश्रित कम से कम 40% विकलांग है, तो अधिकतम कटौती 75,000 रुपये और यदि विकलांगता 80% या अधिक है, तो इसे गंभीर विकलांगता माना जाता है और इसमें अधिकतम कटौती 1.25 लाख रुपये का प्रावधान है.
वहीं सेक्शन 80DDB में रोगों या बिमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों के लिए टैक्स छूट का प्रावधान है. सेक्शन 80DDB निर्दिष्ट बीमारियों जैसे कि कैंसर, क्रोनिक किडनी रोगों आदि के उपचार के लिए किए गए चिकित्सा खर्चों के लिए कटौती प्रदान करता है. इस कटौती का दावा स्वयं या आश्रितों पर किए गए खर्चों के लिए किया जा सकता है. 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए, चाहे स्व या आश्रित, अधिकतम कटौती 40,000 रुपये है जबकि 60 वर्ष या इससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए, अधिकतम कटौती 1 लाख रुपए.
सेक्शन 80U
सेक्शन 80डीडी या 80यू के तहत डिडक्शन क्लेम करने के लिए जरूरी है कि खुद व्यक्ति या आश्रित किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित हो जिसमें वह काम करने में अक्षम हो. इन सेक्शनों में विकलांगता का स्तर 40 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए. हालांकि, धारा 80Uऔर 80DD के तहत कटौती का दावा एक साथ नहीं किया जा सकता है.धारा 80 यू के तहत कटौती का दावा विकलांग व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जबकि धारा 80 डीडी के तहत कटौती निर्भर व्यक्ति द्वारा दावा किया जाता है जिसने विकलांग व्यक्ति के इलाज के लिए खर्च किया है. विकलांगता और गंभीर विकलांगता दोनों सेक्शन के लिए डिडक्शन की रकम बराबर है.
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सेक्शन 80 सी के तहत होम लोन प्रिंसिपल रीपेमेंट पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट के अलावा, एक फाइनेंशियल ईयर के दौरान लोन पर दिए जाने वाले ब्याज पर अधिकतम 2 लाख रुपये पर टैक्स बेनिफिट का दावा कर सकते हैं. यह लाभ केवल खुद के लिए ली गई संपत्ति के लिए लिए गए ऋण के लिए उपलब्ध है. ताे यदि आप एक निर्माणाधीन संपत्ति के लिए होम लोन पर ब्याज दे रहे हैं, तो यह लाभ घर के कब्जे के बाद उपलब्ध होगा, बशर्ते यह पांच साल के भीतर हो. निर्माण अवधि के दौरान भुगतान किया गया ब्याज जमा किया जा सकता है और मकान पर कब्जा पाने के बाद पांच बराबर किस्तों में दावा किया जा सकता है.
सेक्शन 80EEA
दान में योगदान करने से आपको टैक्स बचाने में भी मदद मिल सकती है. यदि आप धारा 80 जी के तहत निर्दिष्ट सरकारी अधिसूचित धन को दान करते हैं तो आप अपनी सकल कुल आय से कटौती के रूप में दान के 100% तक का दावा कर सकते हैं जिससे आपकी कर योग्य आय कम हो सकती है.
सेक्शन 80TTA
बैंकों या डाकघरों के साथ रखे बचत खातों में शेष राशि पर अर्जित ब्याज "अन्य स्रोतों से आय" के तहत कर योग्य है. एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपये तक के इन स्रोतों से अर्जित ब्याज को धारा 80TTA के तहत सकल कुल आय से कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है. हालांकि, वरिष्ठ नागरिक इस कटौती का दावा नहीं कर सकते क्योंकि वे धारा 80TTB के तहत कटौती का दावा करने के योग्य हैं.
सेक्शन 80TTB
वरिष्ठ नागरिक (जिनकी आयु 60 वर्ष और उससे अधिक है) इस धारा के तहत सकल कुल आय से अधिकतम 50,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं. कटौती का उल्लेख निर्दिष्ट स्रोतों से अर्जित ब्याज पर किया जा सकता है जैसे कि बचत खाता, सावधि जमा, वरिष्ठ नागरिक बचत खाता आदि.
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सेक्शन 80E
एजुकेशन लोन पर चुकाए गए ब्याज पर भी आपको टैक्स छूट मिलेगी. केवल व्यक्ति ही इस कटौती का दावा कर सकते हैं. हिंदू अविभाजित परिवार( HUF) इस कटौती के हकदार नहीं हैं. अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है कि एक वित्तीय वर्ष में इस धारा के तहत सकल कुल आय से कटौती के रूप में दावा किया जा सकता है. हालांकि, ऋण चुकाने के शुरूआत की तारिख से अधिकतम 8 वर्षों के के अंदर ही इसका लाभ लिया जा सकता है.