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Moonlighting: अगर आप भी कर रहे हैं मूनलाइटिंग, तो ज़रा टैक्स कैलकुलेशन भी समझ लीजिए

Moonlighting से होने वाली आमदनी को लेकर टैक्स लायबिलिटी पर असर पड़ता है.

Moonlighting से होने वाली आमदनी को लेकर टैक्स लायबिलिटी पर असर पड़ता है.

Tax Implications of Moonlighting: दो नौकरी से होने वाली आमदनी को लेकर कर्मचारियों की टैक्स लायबिलिटी बढ़ जाती है. क्यों ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

'मूनलाइटिंग' से होने वाली अतिरिक्त आय भी सैलरी के रूप में मिलती है.
दोनों नियोक्ता टैक्स लायबिलिटी की गणना नियमों के तहत करेंगे.
कुछ आईटी कंपनियों ने Moonlighting को गलत प्रैक्टिस बताया है.

नई दिल्ली. आईटी इंडस्ट्री में पिछले कुछ दिनों से Moonlighting को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इंफोसिस और विप्रो जैसी नामी कंपनियों ने इस तरह की प्रैक्टिस को गलत बताया है. दरअसल मूनलाइटिंग का अर्थ है किसी संगठन में नौकरी करते हुए अतिरिक्त आय के लिए चोरी चुपके दूसरी
नौकरी करना. आमतौर पर मौजूदा नियोक्ता को इस दूसरी जॉब की जानकारी नहीं होती है.

हालांकि, Moonlighting से होने वाली आमदनी को लेकर कुछ परेशानी हो सकती है क्योंकि आप दो कंपनियों से वेतन प्राप्त करते हैं इसलिए टैक्सपेयर को सावधान रहना चाहिए.

देय कर भुगतान में देरी करने पर देना पड़ेगा जुर्माना
मान लीजिये ‘मूनलाइटिंग’ से होने वाली आय सैलरी के रूप में मिलती है, तो दोनों नियोक्ता टैक्स लायबिलिटी की गणना के लिए 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडेक्शन और 80c कटौती पर विचार करेंगे. इसके अतिरिक्त दोनों एंप्लॉयर बेसिक एक्समशन लिमिट को ध्यान में रखेंगे और संबंधित वेतन के अनुसार टैक्स स्लैब पर विचार करेंगे. इससे प्रत्येक नियोक्ता द्वारा टीडीएस की कटौती करदाता की कुल कर देयता से कम हो सकती है. वहीं, देय शेष कर का भुगतान संबंधित तिथियों पर अग्रिम कर किस्तों के रूप में किया जाना चाहिए, अन्यथा करदाता देर से भुगतान पर ब्याज और जुर्माना देना होगा.

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उदाहरण के लिए अनिकेत को एंप्लॉयर A से ₹14 लाख सैलरी मिलती है. स्टैंडर्ड डिडेक्शन और 80c बेनेफिट के बाद उसकी कर योग्य आय ₹12 लाख होगी और ₹179,400 का टीडीएस काट लिया जाएगा. वहीं, अनिकेत ‘मूनलाइटिंग’ के तहत एक कंसलटेशन के रोल में दूसरी कंपनी को भी अपनी सेवा देता है और इससे उसे सालाना ₹9 लाख फीस मिलती है. यहां 10% टीडीएस (₹90,000) काटा जाएगा.

अनिकेत प्रकल्पित कराधान का विकल्प चुनता है इसलिए केवल ₹4.5 लाख कर योग्य होगा (ग्रॉस इनकम का 50% U/s 44ADA) उसकी कुल कर योग्य आय ₹1,650,000 (₹12 लाख वेतन + ₹4.5 लाख प्रोफेशनल इनकम) है और कुल टैक्स लायबिलिटी ₹319,800 होगी. जिसमें से ₹2,69,400 पहले ही TDS (सैलरी टीडीएस ₹179,400 + ₹90,000 टीडीएस) के रूप में काटी जा चुकी है, पेशेवर शुल्क पर) इसलिए देय कर ₹50,400 होगा.

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हालांकि, Moonlighting को लेकर कुछ कंपनियों ने कहा कि उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है. हाल ही में स्विगी ने ‘मूनलाइटिंग’ पॉलिसी लेकर आई है. जिसमें कर्मचारी मंजूरी लेकर दूसरे कार्य या अन्य प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकते हैं. लेकिन आईटी इंडस्ट्री में विप्रो और इंफोसिस ने मूनलाइटिंग जैसी प्रैक्टिस को धोखाधड़ी बताया है. इंफोसिस ने कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वह ऐसा करते हैं तो उनकी नौकरी जा सकती है. वहीं, विप्रो अपने कुछ कर्मचारियों को मूनलाइटिंग करने के आरोप में निकाल चुका है.

Tags: Income tax, Income tax implications, Income Tax Planning, IT industry

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