1930 की महामंदी से भी भयानक है यह मंदी, IMF से मदद की मांग बढ़ी

IMF से मदद की मांग बढ़ी
आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्ट क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा, IMF के 189 सदस्य देशों में से 102 देश संगठन से सहायता मांग रहे हैं.
- पीटीआई
- Last Updated: April 16, 2020, 12:00 PM IST
वॉशिंगटन. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) की प्रमुख बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pamdemic) के कारण सदस्य देश मदद की भारी मांग कर रहे हैं. आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्ट क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने कहा, अप्रत्याशित तरीके से 189 सदस्य देशों में से 102 देश अब तक मदद की मांग कर चुके हैं. उन्होंने विश्वबैंक के साथ सालाना ग्रीष्मकालीन बैठक की शुरुआत पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आईएमएफ मदद की मांग को पूरा करने के लिये एक हजार अरब डॉलर की पूरी क्षमता के कर्ज वितरित करने के लिये प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा, यह एक ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया. जॉर्जीवा ने फिर से दोहराया कि इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है. आईएमएफ प्रमुख और विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास दोनों ने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों द्वारा गरीब देशों के लिये कर्ज की किस्तों की देनदारी निलंबित करने के निर्णय की सराहना की.
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उन्होंने और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास, दोनों ने 20 प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक अध्यक्षों द्वारा बुधवार को लिए गए एक निर्णय की प्रशंसा की, जो कम आय वाले देशों के लिए लोन के किस्त भुगतान के निलंबन की घोषणा की. इस वर्ष के अंत में 1 मई से लोन भुगतान के निलंबन से गरीब देशों को 12 अरब डॉलर फंड मिलेगा, जिसका उपयोग वे हेल्थ केयर और कोरोनो वायरस से पैदा हुई अन्य जरूरतों को पूरा करने में खर्च करेंगे.आईएमएफ के नये आकलन के अनुसार, इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ पहले ही आपातकालीन मदद कार्यक्रमों को 50 करोड़ डॉलर से बढ़ा कर 100 करोड़ डॉलर कर चुका है.
उन्होंने कहा कि आईएमएफ इसके साथ ही इस बात की भी तैयारी कर रहा है कि जैसे ही अर्थव्यवस्थाएं इस संकट से उबरना शुरू करें, उनकी गतिविधियां पुन: शुरू की जा सकें. उन्होंने कहा, हमें इस बारे में भी सोचने की जरूरत है कि इस संकट के दूसरे छोर पर हमें किन संकटों का सामना करना पड़ सकता है.
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उन्होंने कहा, यह एक ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया. जॉर्जीवा ने फिर से दोहराया कि इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महान आर्थिक मंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है. आईएमएफ प्रमुख और विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास दोनों ने जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों द्वारा गरीब देशों के लिये कर्ज की किस्तों की देनदारी निलंबित करने के निर्णय की सराहना की.
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उन्होंने और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास, दोनों ने 20 प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक अध्यक्षों द्वारा बुधवार को लिए गए एक निर्णय की प्रशंसा की, जो कम आय वाले देशों के लिए लोन के किस्त भुगतान के निलंबन की घोषणा की. इस वर्ष के अंत में 1 मई से लोन भुगतान के निलंबन से गरीब देशों को 12 अरब डॉलर फंड मिलेगा, जिसका उपयोग वे हेल्थ केयर और कोरोनो वायरस से पैदा हुई अन्य जरूरतों को पूरा करने में खर्च करेंगे.आईएमएफ के नये आकलन के अनुसार, इस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ पहले ही आपातकालीन मदद कार्यक्रमों को 50 करोड़ डॉलर से बढ़ा कर 100 करोड़ डॉलर कर चुका है.
उन्होंने कहा कि आईएमएफ इसके साथ ही इस बात की भी तैयारी कर रहा है कि जैसे ही अर्थव्यवस्थाएं इस संकट से उबरना शुरू करें, उनकी गतिविधियां पुन: शुरू की जा सकें. उन्होंने कहा, हमें इस बारे में भी सोचने की जरूरत है कि इस संकट के दूसरे छोर पर हमें किन संकटों का सामना करना पड़ सकता है.
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