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Income Tax बचाने से सारे विकल्प एक साथ, एक जगह... तो अभी देखिए और प्लानिंग कीजिए

इनकम टैक्स बचाने के लिए उपलब्ध सबसे लोकप्रिय विकल्प आयकर 
अधिनियम की धारा 80 सी के तहत हैं

इनकम टैक्स बचाने के लिए उपलब्ध सबसे लोकप्रिय विकल्प आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत हैं

Income Tax Planning- आयकर में कटौती के लिए सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली छूट को लेकर हमेशा करदाता के मन में कई सवाल रहते ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

इनकम टैक्स को लेकर धारा 80 के तहत, ऐसे कई सवाल करदाता के मन में चलते रहते हैं.
करदाता सेक्शन 80C में निर्धारित सीमा से ज्यादा कटौती के कई और विकल्प अपना सकता है.
इनमें होम लोन की किस्त, किराए का भुगतान समेत कई अन्य कटौतियां शामिल हैं.

नई दिल्ली. हर साल इनकम टैक्स (Income Tax) का भुगतान करना होता है. जैसे ही नया साल शुरू होता है, कंपनियां निवेश के प्रूफ मांगने लगती हैं और यह प्रक्रिया फरवरी तक चलती है. यही वह समय होता है जब हर इंसान इस बारे में सबसे अधिक फिक्रमंद होता है कि कैसे अपना पैसा बचा ले. कैसे कम से कम इनकम टैक्स का भुगतान करना पड़े. चूंकि अब 2023 की शुरुआत हो चुकी है, इसलिए जितनी जल्दी आप अपनी टैक्स प्लानिंग शुरू करेंगे, उतना ही बेहतर तरीके से ज्यादा टैक्स बचा पाएंगे.

आयकर की दरें अलग-अलग व्यक्तियों के लिए भिन्न होती हैं और उनकी आय और अन्य स्रोतों से अर्जित लाभ पर निर्भर करती हैं. साथ ही, व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों और कॉर्पोरेट्स के लिए कर की दरें अलग-अलग हैं. हालांकि, सरकार कुछ निवेश तंत्रों पर कर कटौती के रूप में लाभ भी प्रदान करती है जिनके जरिए आप टैक्स बचाने का दावा कर सकते हैं.

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जितनी जल्दी प्लानिंग, उतना फायदा
मिंट की खबर के अनुसार, फिसडम कंपनी टैक्स2विन के सह-संस्थापक और सीईओ अभिषेक सोनी ने कहा, इनकम टैक्स पर ज्यादा बचत पाने के लिए इसकी प्लानिंग समय पर शुरू कर देनी चाहिए. हालांकि, इनकम टैक्स बचाने के लिए कौन सा माध्यम अपनाना है, इसे लेकर करदाता के सामने हमेशा चुनौती बनी रहती है. कोई कितना टैक्स बचा सकता है, लॉक-इन अवधि क्या है, आयकर अनुभागों में कितनी कर कटौती उपलब्ध है, विशेष रूप से धारा 80 के तहत, ऐसे कई सवाल करदाता के मन में चलते रहते हैं.

टैक्स2विन के सह-संस्थापक और सीईओ अभिषेक सोनी कहना है कि इनकम टैक्स बचाने के लिए उपलब्ध सबसे लोकप्रिय विकल्प आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत हैं जो आपको एक वित्तीय वर्ष में 150,000 रुपये तक की कर कटौती का दावा करने में मदद कर सकता है. अगर कोई करदाता सेक्शन 80C में निर्धारित सीमा से ज्यादा कटौती चाहता है, तो नीचे दिए जा रहे विकल्पों पर गौर कर सकता है…

  • Section 80TTA: धारा 80TTA बैंक, सहकारी समिति या डाकघर में की गई बचत पर ब्याज से अर्जित आय पर INR 10,000 तक की कटौती प्रदान करती है. इसमें एफडी से अर्जित ब्याज के लिए कोई कटौती नहीं है.
  • Section 80E: एजुकेशन लोन की मदद से आप टैक्स भी बचा सकते हैं. अगर आप इस तरह के लोन को चुका रहे हैं, तो उस शिक्षा ऋण पर चुकाया गया ब्याज धारा 80ई के तहत कुल आय से कटौती के रूप में स्वीकृत है.
  • Section 80D: वरिष्ठ नागरिकों के मामले में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम या मेडिकल खर्च, कर कटौती के तहत पात्र है.
  • Section 24 (b): इसके तहत होम लोन के लिए चुकाया गया ब्याज पर टैक्स में कटौती का दावा किया जा सकता है.
  • Section 10 (10D): धारा 10(10डी) के प्रावधानों के अनुसार, आपकी जीवन बीमा योजना के सभी भुगतान कर छूट के पात्र हैं.
  • Section 80EE: धारा 80EE किसी भी वित्तीय संस्थान से प्राप्त आवासीय गृह संपत्ति ऋण के ब्याज वाले हिस्से पर आयकर लाभ की अनुमति देता है. आप इस सेक्शन के अनुसार प्रति वित्तीय वर्ष 50,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं. आप इस कटौती का दावा तब तक जारी रख सकते हैं जब तक कि आप पूरी तरह से ऋण चुका नहीं देते हैं.
  • Section 10(13A):मकान किराए के लिए गए भुगतान पर छूट (अगर सैलरी ब्रेक-अप में उल्लेख किया गया है).
  • Section 80GG: भुगतान किए गए आवास किराए की कटौती (यदि वेतन ब्रेक-अप में उल्लेख नहीं किया गया है).
  • Section 80G:करदाता राहत कोषों और धर्मार्थ संस्थानों में किए गए योगदान के लिए आयकर अधिनियम की धारा 80G के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं. हालांकि, सभी दान धारा 80 जी के तहत कटौती के लिए पात्र नहीं हैं.
  • Section 80GGA: आयकर अधिनियम की धारा 80GGA वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए किए गए दान के लिए कटौती प्रदान करती है. यह करदाताओं को टैक्स बेनेफिट प्रदान करने के साथ-साथ देश के वैज्ञानिक और ग्रामीण विकास का समर्थन करने में मदद करता है.
  • Section 80GGC: आयकर की धारा 80GGC किसी व्यक्ति को किसी भी राजनीतिक दल के लिए किए गए दान या योगदान के लिए कर कटौती का दावा करने की अनुमति देती है. इसलिए, अगर आप इस तरह की कर कटौती का विकल्प चुनते हैं, तो आपके पास चिकित्सा भत्ता, मकान किराया भत्ता, आदि जैसी अन्य छूटों के अलावा धारा 80जीजीसी के तहत आयकर का एक अच्छा हिस्सा बचाने का अवसर है.
  • Section 80DD: विकलांग व्यक्तियों के इलाज पर होने वाले मेडिकल खर्च के लिए टैक्स में कटौती का दावा किया जा सकता है.
  • Section 80U:निवासी नागरिक जिसे चिकित्सा प्राधिकरण द्वारा विकलांग व्यक्ति के रूप में प्रमाणित किया गया है, धारा 80यू के तहत कर लाभ का दावा कर सकता है.
  • Section TTB: धारा 80TTB एक प्रावधान है जिसमें 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक है, उस वित्त वर्ष के लिए अपनी सकल कुल आय से कटौती के रूप में एक निर्दिष्ट राशि का दावा कर सकते हैं.

इसके अलावा, टैक्स फाइलिंग कंपनियां अतिरिक्त कटौतियों का विश्लेषण करने में आपकी मदद कर सकती हैं, जिनका आप टैक्स राहत हासिल करने और हाथ में ज्यादा पैसा पाने का लाभ उठा सकते हैं.

क्या है आयकर अधिनियम की धारा 80C?
भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएँ 80 CCC एवं 80 CCD के
तहत किसी भी व्यक्ति को एक फाइनेंशियल वर्ष के टैक्स में 1,50,000 रुपए तक की छूट मिल सकती है.
आप इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इन्कम टैक्स रिटर्न) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं.

इस कैटेगरी के तहत मिलने वाली छूट सेक्शन 80 C, 80 CCC एवं 80 CCD के अंतर्गत आती हैं. धारा 80 C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), आदि सेवाएँ आती हैं. धारा 80 CCC में कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती है. 80 CCD के तहत भारतीय पेंशन सिस्टम (NPS) आता है.

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